शिमला: भारतीय सेना की पहुंच तिब्बत बॉर्डर तक होने के आसार बढ़ गए हैं. नेशनल हाईवे-5 को लेकर एक बड़ा बदलाव प्रस्तावित है. इस हाईवे की अलाइनमेंट में कुछ बदलाव होंगे. इसके लिए एक कमेटी अध्ययन करेगी.
अलाइनमेंट बदलने के कारणों की समीक्षा और नए बदलाव से इस हाईवे का काम गति पकड़ेगा. इस हाईवे के बनने से भारतीय सेना की पहुंच तिब्बत बॉर्डर तक आसान होगी. इंडो-तिब्बत बॉर्डर को जोड़ने वाले इस हाईवे के निर्माण को लेकर कुछ परेशानियां आ रही थीं.
उन्हीं परेशानियों का हल निकालने के लिए कमेटी बनाई गई है. ये कमेटी अलाइनमेंट बदलने और उसके प्रभावों की समीक्षा करेगी. राज्य सरकार के मुख्य सचिव अनिल खाची ने इस मामले में सरकार की तरफ से संकेत मिलते ही कमेटी गठित की है. उम्मीद है कि कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट देगी.
अभी निर्माण में भूस्खलन हो रहा है
नेशनल हाईवे-5 कालका से बन रहा है और तिब्बत बॉर्डर तक जाएगा. इस हाईवे पर कैथलीघाट से ढली फोरलेन की अलाइनमेंट बदलने की नौबत आई है. कारण ये है कि अभी निर्माण में भूस्खलन हो रहा है और भारी भरकम रकम खर्च करनी पड़ रही है.
इस हाईवे में शिमला को बाइपास किया जाना है. फोरलेन का अंतिम सिरा पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार शिमला के उपनगर ढली का चौक ही रहेगा. शिमला को बाईपास कर रहे इस फोरलेन को प्रस्तावित बदलाव के अनुसार समिट्रि की टनल से जोड़ा जाना है.
राज्य सरकार अलाइनमेंट को लेकर फैसला लेगी
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ऐसा चाह रही है. इसके पीछे तकनीकी कारण तो हैं ही, बेतहाशा लागत भी प्रमुख कारण बनकर उभरा है. अलाइनमेंट बदलने का आग्रह नेशनल हाईवे अथॉरिटी का है. अथॉरिटी के कहने पर हिमाचल सरकार ने लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर्स की कमेटी गठित की है. कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद राज्य सरकार अलाइनमेंट को लेकर फैसला लेगी.
पूर्व में ये था एनएचआईए का प्लान
सामरिक महत्व के इस फोरलेन प्रोजेक्ट में अलाइनमेंट को लेकर नेशनल हाईवे अथॉरिटी का जो प्लान था, उसके अनुसार ये निर्माण शिमला के लोअर कमलानगर, देवली कॉलोनी, सेक्रेड हार्ट स्कूल से होते हुए ढली चौक तक जाना था.
इस अभियान के तहत एनएचएआई ने बा-कायदा जमीन व साथ लगती जमीन में बने मकानों का अधिग्रहण कर लिया था. अथॉरिटी ने प्रभावितों को मुआवजा भी दे दिया है. एनएचएआई को शायद ये अनुमान नहीं था कि इस क्षेत्र में निर्माण कठिन है. भूस्खलन ने अथॉरिटी को परेशानी में डाल दिया. अब नए प्लान के अनुसार संजौली के पास से समिट्रि टनल से लेकर ढली चौक तक के नौ सौ मीटर लंबे स्ट्रेच को फोरलेन में बदला जाए.
सामरिक महत्व के इस प्रोजेक्ट पर सेना को भी आस
सामरिक महत्व के इस प्रोजेक्ट पर सेना को भी आस है. इस परियोजना में सोलन जिला के परवाणू से ढली तक तकरीबन 85 किलोमीटर लंबे फोरलेन का निर्माण तीन चरणों में किया जा रहा है. परवाणू से कैथलीघाट तक दो चरणों में इस फोरलेन का 90 प्रतिशत तक कार्य पूरा हो चुका है.
अभी तीसरे चरण में कैथलीघाट से ढली चौक तक निर्माण होना है. इससे पूर्व वर्ष 2018 में कैथलीघाट से ढली चौक तक का काम अवार्ड कर दिया गया था. जिस कंपनी को ये काम मिला, उसने वर्ष 2019 में छिटपुट काम पूरा भी कर लिया था, परंतु जनवरी 2020 में कंपनी ने अपने हाथ पीछे खींच लिए.
पक्की सड़क सिर्फ टू-लेन ही बननी थी
उसके बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने कैथलीघाट से ढली चौक तक भी टू-लेन के बजाय फोरलेन के निर्माण का फैसला लिया. यदि पुरानी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट की बात करें तो खैथलीघाट से ढली चौक तक कटिंग तो चार लेन की होनी थी, लेकिन पक्की सड़क सिर्फ टू-लेन ही बननी थी.
अब टू-लेन की जगह फोरलेन प्रस्तावित होने से तीसरे चरण में की डीपीआर दोबारा बनाई जा रही है. पुरानी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के मुताबिक कैथलीघाट से ढली चौक तक के 27.4 किलोमीटर लंबे फोरलेन की लागत 1500 करोड़ रुपए प्रस्तावित थी.
अब अलाइनमेंट बदलने से लागत भी बढ़ेगी, लेकिन ये फोरलेन इंडो-तिब्बत बॉर्डर को जोड़ेगा तो इसके लिए सरकार लागत की परवाह नहीं करेगी. ये आपात परिस्थितियों में सेना की रसद और आवाजाही को तिब्बत बॉर्डर तक सुनिश्चित करेगा.
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