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Shimla News: ठियोग हाटकोटी में NH 5 बाधित, एक सप्ताह में बनेगा वैली ब्रिज, रूट डायवर्ट - शिमला में लैंडस्लाइड

राजधानी शिमला में लैंडस्लाइड होने से ठियोग हाटकोटी में एनएच 5 बाधित है. जिसकी वजह से इस रूट पर यातायात प्रभावित है. बीते दिनों कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने लैंडस्लाइड प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था. साथ ही बैली ब्रिज निर्माण के आदेश दिए थे. फिलहाल इस रूट पर ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया है. पढ़िए पूरी खबर...

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शिमला में लैंडस्लाइड से एनएच बंद
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Published : Jun 21, 2023, 6:54 AM IST

शिमला: ठियोग हाटकोटी एनएच 5 पर सड़क बंद होने से लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. ठियोग हाटकोटी एनएच 5 पर वन-वे ट्रैफिक चलाया जाएगा. एक हफ्ते में वैली ब्रिज बनाया जाएगा, जिसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है. तब तक रूट डायवर्ट ही रहेगा. मंगलवार को पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य के निरीक्षण के बाद से इस पर काम शुरू कर दिया है.

वहीं देशभर से मशहूर पर्यटन स्थल नारकंडा, चांशल, हाटू व शिलारू आने वाले टूरिस्ट इन पर्यटन स्थलों को नहीं जा पाएंगे. इस वजह से अगले कुछ दिन तक दैनिक उपभोग की खाद्य वस्तुओं की सप्लाई भी प्रभावित रहेगी. इसके लिए मशोबरा सड़क का इस्तेमाल करना पड़ेगा. वैली ब्रिज जब तक नहीं बनता, तब तक ठियोग के रहीघाट से बस स्टैंड के बीच वाहनों के लिए पूरी तरह बंद रहेगा. इससे ठियोग की स्थानीय जनता सहित अप्पर शिमला, किन्नौर के लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ेगी.

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण एनएच 5 पर ठियोग में बिजली बोर्ड दफ्तर के समीप रविवार को सुबह से ही बंद पड़ा है. एनएच का लगभग 12 मीटर हिस्सा धंस गया. एनएच धंसने की वजह से स्थानीय लोगों की भी मुश्किलें बढ़ गई है. क्योंकि सारा ट्रैफिक देवरीघाट, धमांदरी, चियोग, इत्यादि पंचायतों की सड़कों से डॉयवर्ट किया गया है. इससे इन सड़कों में घंटों ट्रैफिक जाम लग रहा है.

ठियोग में एनएच बंद होने के बाद लोग वैकल्पिक सड़कों से होते हुए अपने गंतव्य तक पहुंच सकते हैं. इसके लिए लोगों को कई किलोमीटर अतिरिक्त सफर और लंबे ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ रहा है. सैकड़ों वाहन नंगलदेवी-कनोग-धमांदरी-सैंज होते हुए कोटखाई, रोहड़ू, चौपाल इत्यादि क्षेत्रों को भेजे जा रहे है. इसी तरह कुछ गाड़ियां नंगलदेवी-शड़याना-टनकोटी-प्रेमघाट होते हुए ठियोग, मत्याना, नारकंडा और रामपुर तथा बसे वाया फागू-चियोग-धमांदरी-सैंज होते हुए भेजी जा रही है.

माकपा ने राष्ट्रीय उच्च मार्ग (NH5) ठियोग में भूस्खलन के चलते बंद होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस सड़क के मरम्मत कार्य को युद्धस्तर पर किया जाए और इसे शीघ्र बहाल किया जाए. माकपा के जिला सचिव संजय चौहान ने कहा कि सरकार को केंद्र सरकार के सहयोग से सीमा सड़क संगठन (BRO) को ठियोग में बेली ब्रिज का निमार्ण जल्द करवाना चाहिए. इसके साथ ही इस सड़क पर किए जा रहे डंगे के निमार्ण के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध करवा कर इसका निर्माण भी युद्धस्तर पर करवाया जाए.

यह राष्ट्रीय उच्च मार्ग न केवल शिमला, किन्नौर, कुल्लू व मंडी जिला के आंतरिक भागों को जोड़ने का कार्य करता है, बल्कि यह सामरिक दृष्टि से भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क है. इससे शिमला जिला के ठियोग, रामपुर, चौपाल, कोटखाई, जुब्बल, रोहड़ू के साथ ही साथ किन्नौर जिला व कुल्लू जिला के निरमंड, आनी व अन्य क्षेत्रों का यातायात प्रभावित हुआ है.

इन क्षेत्रों में फलों का सीजन शुरू हो चुका है और कम ऊंचाई वाले इलाकों में सेब का तुड़ान भी 20-25 दिनों में आरंभ हो जाएगा. यदि समय रहते इस डंगे का निमार्ण कर सड़क की बहाली शीघ्र नहीं की गई तो, सेब सीजन के दौरान यातायात की व्यवस्था प्रभावित होगी और इससे सेब की फसल का मंडियों में समय पर न पहुंचने से किसानो व बागवानों को आर्थिक रूप से भारी नुकसान पहुंचेगा.

ये भी पढ़ें: लैंडस्लाइड से ठियोग में NH बाधित, PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह मौके पर पहुंचे, वैली ब्रिज लगाने के आदेश

शिमला: ठियोग हाटकोटी एनएच 5 पर सड़क बंद होने से लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. ठियोग हाटकोटी एनएच 5 पर वन-वे ट्रैफिक चलाया जाएगा. एक हफ्ते में वैली ब्रिज बनाया जाएगा, जिसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है. तब तक रूट डायवर्ट ही रहेगा. मंगलवार को पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य के निरीक्षण के बाद से इस पर काम शुरू कर दिया है.

वहीं देशभर से मशहूर पर्यटन स्थल नारकंडा, चांशल, हाटू व शिलारू आने वाले टूरिस्ट इन पर्यटन स्थलों को नहीं जा पाएंगे. इस वजह से अगले कुछ दिन तक दैनिक उपभोग की खाद्य वस्तुओं की सप्लाई भी प्रभावित रहेगी. इसके लिए मशोबरा सड़क का इस्तेमाल करना पड़ेगा. वैली ब्रिज जब तक नहीं बनता, तब तक ठियोग के रहीघाट से बस स्टैंड के बीच वाहनों के लिए पूरी तरह बंद रहेगा. इससे ठियोग की स्थानीय जनता सहित अप्पर शिमला, किन्नौर के लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ेगी.

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण एनएच 5 पर ठियोग में बिजली बोर्ड दफ्तर के समीप रविवार को सुबह से ही बंद पड़ा है. एनएच का लगभग 12 मीटर हिस्सा धंस गया. एनएच धंसने की वजह से स्थानीय लोगों की भी मुश्किलें बढ़ गई है. क्योंकि सारा ट्रैफिक देवरीघाट, धमांदरी, चियोग, इत्यादि पंचायतों की सड़कों से डॉयवर्ट किया गया है. इससे इन सड़कों में घंटों ट्रैफिक जाम लग रहा है.

ठियोग में एनएच बंद होने के बाद लोग वैकल्पिक सड़कों से होते हुए अपने गंतव्य तक पहुंच सकते हैं. इसके लिए लोगों को कई किलोमीटर अतिरिक्त सफर और लंबे ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ रहा है. सैकड़ों वाहन नंगलदेवी-कनोग-धमांदरी-सैंज होते हुए कोटखाई, रोहड़ू, चौपाल इत्यादि क्षेत्रों को भेजे जा रहे है. इसी तरह कुछ गाड़ियां नंगलदेवी-शड़याना-टनकोटी-प्रेमघाट होते हुए ठियोग, मत्याना, नारकंडा और रामपुर तथा बसे वाया फागू-चियोग-धमांदरी-सैंज होते हुए भेजी जा रही है.

माकपा ने राष्ट्रीय उच्च मार्ग (NH5) ठियोग में भूस्खलन के चलते बंद होने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस सड़क के मरम्मत कार्य को युद्धस्तर पर किया जाए और इसे शीघ्र बहाल किया जाए. माकपा के जिला सचिव संजय चौहान ने कहा कि सरकार को केंद्र सरकार के सहयोग से सीमा सड़क संगठन (BRO) को ठियोग में बेली ब्रिज का निमार्ण जल्द करवाना चाहिए. इसके साथ ही इस सड़क पर किए जा रहे डंगे के निमार्ण के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध करवा कर इसका निर्माण भी युद्धस्तर पर करवाया जाए.

यह राष्ट्रीय उच्च मार्ग न केवल शिमला, किन्नौर, कुल्लू व मंडी जिला के आंतरिक भागों को जोड़ने का कार्य करता है, बल्कि यह सामरिक दृष्टि से भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क है. इससे शिमला जिला के ठियोग, रामपुर, चौपाल, कोटखाई, जुब्बल, रोहड़ू के साथ ही साथ किन्नौर जिला व कुल्लू जिला के निरमंड, आनी व अन्य क्षेत्रों का यातायात प्रभावित हुआ है.

इन क्षेत्रों में फलों का सीजन शुरू हो चुका है और कम ऊंचाई वाले इलाकों में सेब का तुड़ान भी 20-25 दिनों में आरंभ हो जाएगा. यदि समय रहते इस डंगे का निमार्ण कर सड़क की बहाली शीघ्र नहीं की गई तो, सेब सीजन के दौरान यातायात की व्यवस्था प्रभावित होगी और इससे सेब की फसल का मंडियों में समय पर न पहुंचने से किसानो व बागवानों को आर्थिक रूप से भारी नुकसान पहुंचेगा.

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