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हाय ये बेरोजगारी! हिमाचल में 10 हजार से ज्यादा योगा डिग्री धारक बेरोजगार

हिमाचल प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा योगा डिग्री धारक बेरोजगार हैं. योग के क्षेत्र में रोजगार न होने की वजह से यह प्रशिक्षित योग प्रशिक्षु घर पर बैठने के लिए मजबूर हैं. साल 2017 में जब उच्च शिक्षा के अंतर्गत योग विशेष शामिल किया गया. तब विद्यार्थियों में रोजगार को लेकर उम्मीद जगी थी. उच्च शिक्षा के अंतर्गत 60 योग शिक्षकों के पदों को सृजित करने की मंजूरी मिली, लेकिन अब तक यह काम पूरा नहीं हो सका है.

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Published : Jul 23, 2021, 12:12 PM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा योगा डिग्री धारक बेरोजगार हैं. योग के क्षेत्र में रोजगार न होने की वजह से यह प्रशिक्षित योग प्रशिक्षु घर पर बैठने के लिए मजबूर हैं. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से योग की पढ़ाई पूरी कर चुके चंद्रकांत शर्मा का कहना है कि एक ओर तो सरकार योग को बढ़ावा देने की बात कर रही है, लेकिन दूसरी ओर योग प्रशिक्षुओं के लिए रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है.

चंद्रकांत शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में साल 1979 से योग विषय के तौर पर पढ़ाया जा रहा है. विश्वविद्यालय में योग का डिप्लोमा, एमफिल और पीएचडी की पढ़ाई कराई जाती है, लेकिन इतनी पढ़ाई के बावजूद योग प्रशिक्षु बेरोजगार रह जाते हैं. उन्होंने कहा कि देशभर में विद्यार्थियों में योग को पढ़ने की दिलचस्पी बढ़ी है. ऐसे में योग को स्कूल और कॉलेज स्तर पर शुरू करवाया जाना चाहिए. उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि योग विषय को कॉलेज और स्कूल के स्तर पर शुरू किया जाए, ताकि योग प्रशिक्षकों को भी रोजगार मिल सके.

वीडियो.

उन्होंने कहा कि साल 2017 में जब उच्च शिक्षा के अंतर्गत योग विशेष शामिल किया गया. तब विद्यार्थियों में रोजगार को लेकर उम्मीद जगी थी. उच्च शिक्षा के अंतर्गत 60 योग शिक्षकों के पदों को सृजित करने की मंजूरी मिली, लेकिन अब तक यह काम पूरा नहीं हो सका है. ऐसे में उन्होंने सरकार से मांग की है कि साल 2017 में सृजित 60 पदों पर जल्द से जल्द भर्ती की जाए.

ये भी पढ़ें: खुद तालाब की सफाई में जुटे एसडीएम काजा, पर्यटकों से की ये अपील

शिमलाः हिमाचल प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा योगा डिग्री धारक बेरोजगार हैं. योग के क्षेत्र में रोजगार न होने की वजह से यह प्रशिक्षित योग प्रशिक्षु घर पर बैठने के लिए मजबूर हैं. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से योग की पढ़ाई पूरी कर चुके चंद्रकांत शर्मा का कहना है कि एक ओर तो सरकार योग को बढ़ावा देने की बात कर रही है, लेकिन दूसरी ओर योग प्रशिक्षुओं के लिए रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है.

चंद्रकांत शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में साल 1979 से योग विषय के तौर पर पढ़ाया जा रहा है. विश्वविद्यालय में योग का डिप्लोमा, एमफिल और पीएचडी की पढ़ाई कराई जाती है, लेकिन इतनी पढ़ाई के बावजूद योग प्रशिक्षु बेरोजगार रह जाते हैं. उन्होंने कहा कि देशभर में विद्यार्थियों में योग को पढ़ने की दिलचस्पी बढ़ी है. ऐसे में योग को स्कूल और कॉलेज स्तर पर शुरू करवाया जाना चाहिए. उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि योग विषय को कॉलेज और स्कूल के स्तर पर शुरू किया जाए, ताकि योग प्रशिक्षकों को भी रोजगार मिल सके.

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उन्होंने कहा कि साल 2017 में जब उच्च शिक्षा के अंतर्गत योग विशेष शामिल किया गया. तब विद्यार्थियों में रोजगार को लेकर उम्मीद जगी थी. उच्च शिक्षा के अंतर्गत 60 योग शिक्षकों के पदों को सृजित करने की मंजूरी मिली, लेकिन अब तक यह काम पूरा नहीं हो सका है. ऐसे में उन्होंने सरकार से मांग की है कि साल 2017 में सृजित 60 पदों पर जल्द से जल्द भर्ती की जाए.

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