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कोरोना से जंग: टैक्सी यूनियन ने डीसी को सौंपा ज्ञापन, लगाई ये गुहार - सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा

टैक्सी यूनियनों का एक प्रतिनिधि मंडल सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा की अध्यक्षता में डीसी शिमला से मिला, प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि शिमला शहर में मंडी, कुल्लू, कांगड़ा, ऊना व अन्य जिलों की तर्ज पर टैक्सी ऑपरेटरों को टैक्सियां चलाने की इजाजत दी जाए.

delegation met DC to demand a taxi
टैक्सी चलाने की मांग को लेकर प्रतिनिधि मंडल डीसी से मिला
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Published : May 19, 2020, 8:56 PM IST

शिमलाः शहर में कार्यरत टैक्सी यूनियनों का एक प्रतिनिधि मंडल सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा की अध्यक्षता में डीसी शिमला से मिला, प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि शिमला शहर में मंडी, कुल्लू, कांगड़ा, ऊना व अन्य जिलों की तर्ज पर टैक्सी ऑपरेटरों को टैक्सियां चलाने की इजाजत दी जाए.

डीसी शिमला ने आश्वासन दिया कि इस संदर्भ में सहानुभूतिपूर्वक आधार पर तुरन्त ही सकारात्मक कदम उठाया जाएगा व 23 मई तक हर हाल में टैक्सी सेवा शुरू करने के लिए पहल शुरू की जाएगी.

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व टैक्सी यूनियन के राज्य उपाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार ने कहा है कि शिमला शहर में टैक्सियों के संचालन पर प्रतिबंध से हजारों परिवारों को दो वक्त की रोजी-रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है. लगातार तीसरे महीने टैक्सियों के संचालन पर प्रतिबंध से टैक्सियों की पिछले तीन महीने की बैंक किश्त भी टैक्सी ऑपरेटरों के लिए गले की फांस बन गई है.

हिमाचल प्रदेश के मंडी, ऊना, कांगड़ा व कुल्लू जिलों में टैक्सी के संचालन की इजाजत दी गई है तो फिर शिमला जिला में इसकी इजाजत न देना टैक्सी संचालकों के साथ प्रशासन की घोर मनमानी है. उन्होंने कहा कि एक तरफ टैक्सी संचालकों के रोजगार पूरी तरह खत्म हो गया है. वहीं, दूसरी ओर बैंक की किश्तों, मकान किरायों व बच्चों की फीसों के बोझ तले वे पूरी तरह दब गए हैं. उन्होंने कहा कि शिमला शहर जैसी जगह में कुल जनसंख्या के एक-चौथाई लोगों के पास भी अपने निजी वाहन नहीं हैं, इसलिए टैक्सियों के न चलने से जनता भी अपने कई कामों के लिए सीधे तौर पर टैक्सियों पर निर्भर है. टैक्सियों को चलाने की इजाजत न देने से शिमला शहर की जनता को भी भारी परेशानी हो रही है.

उन्होंने कहा है कि टैक्सी संचालक सरकार को टैक्स देते हैं, फिर भी उनके प्रति सरकार का सौतेला व्यवहार समझ से परे है. उन्होंने कहा है कि पूरे देश में कृषि क्षेत्र के बाद ट्रांसपोर्ट सेक्टर दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है. हिमाचल प्रदेश में भी सवा दो लाख से ज्यादा कमर्शियल व्हीकल पंजीकृत हैं, जिसमें तीन लाख से ज्यादा लोग कार्यरत हैं. इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों के साथ प्रदेश सरकार व प्रशासन का रवैया बेहद बुरा है.इस क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले लोग सरकार से कुछ लेने के बजाए सरकार के राजस्व में इजाफा ही करते हैं.

बता दे कि शिमला जिला प्रशासन ने शिमला जिला में हजारों टैक्सी संचालकों को टैक्सियां चलाने की इजाजत न देने से ये टैक्सी संचालक भारी परेशानी में हैं. लेकिन अब प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही टैक्सी सेवा शुरू कर दी जाएगी.

शिमलाः शहर में कार्यरत टैक्सी यूनियनों का एक प्रतिनिधि मंडल सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा की अध्यक्षता में डीसी शिमला से मिला, प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि शिमला शहर में मंडी, कुल्लू, कांगड़ा, ऊना व अन्य जिलों की तर्ज पर टैक्सी ऑपरेटरों को टैक्सियां चलाने की इजाजत दी जाए.

डीसी शिमला ने आश्वासन दिया कि इस संदर्भ में सहानुभूतिपूर्वक आधार पर तुरन्त ही सकारात्मक कदम उठाया जाएगा व 23 मई तक हर हाल में टैक्सी सेवा शुरू करने के लिए पहल शुरू की जाएगी.

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व टैक्सी यूनियन के राज्य उपाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार ने कहा है कि शिमला शहर में टैक्सियों के संचालन पर प्रतिबंध से हजारों परिवारों को दो वक्त की रोजी-रोटी जुटाना मुश्किल हो गया है. लगातार तीसरे महीने टैक्सियों के संचालन पर प्रतिबंध से टैक्सियों की पिछले तीन महीने की बैंक किश्त भी टैक्सी ऑपरेटरों के लिए गले की फांस बन गई है.

हिमाचल प्रदेश के मंडी, ऊना, कांगड़ा व कुल्लू जिलों में टैक्सी के संचालन की इजाजत दी गई है तो फिर शिमला जिला में इसकी इजाजत न देना टैक्सी संचालकों के साथ प्रशासन की घोर मनमानी है. उन्होंने कहा कि एक तरफ टैक्सी संचालकों के रोजगार पूरी तरह खत्म हो गया है. वहीं, दूसरी ओर बैंक की किश्तों, मकान किरायों व बच्चों की फीसों के बोझ तले वे पूरी तरह दब गए हैं. उन्होंने कहा कि शिमला शहर जैसी जगह में कुल जनसंख्या के एक-चौथाई लोगों के पास भी अपने निजी वाहन नहीं हैं, इसलिए टैक्सियों के न चलने से जनता भी अपने कई कामों के लिए सीधे तौर पर टैक्सियों पर निर्भर है. टैक्सियों को चलाने की इजाजत न देने से शिमला शहर की जनता को भी भारी परेशानी हो रही है.

उन्होंने कहा है कि टैक्सी संचालक सरकार को टैक्स देते हैं, फिर भी उनके प्रति सरकार का सौतेला व्यवहार समझ से परे है. उन्होंने कहा है कि पूरे देश में कृषि क्षेत्र के बाद ट्रांसपोर्ट सेक्टर दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है. हिमाचल प्रदेश में भी सवा दो लाख से ज्यादा कमर्शियल व्हीकल पंजीकृत हैं, जिसमें तीन लाख से ज्यादा लोग कार्यरत हैं. इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों के साथ प्रदेश सरकार व प्रशासन का रवैया बेहद बुरा है.इस क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले लोग सरकार से कुछ लेने के बजाए सरकार के राजस्व में इजाफा ही करते हैं.

बता दे कि शिमला जिला प्रशासन ने शिमला जिला में हजारों टैक्सी संचालकों को टैक्सियां चलाने की इजाजत न देने से ये टैक्सी संचालक भारी परेशानी में हैं. लेकिन अब प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही टैक्सी सेवा शुरू कर दी जाएगी.

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