शिमला: सुप्रीम कोर्ट ने शिमला प्लानिंग एरिया में डेवलपमेंट प्लान को हरी झंडी दिखाई है. साथ ही एनजीटी के 2017 के आदेश को भी रद्द कर दिया है. एनजीटी के आदेश में शिमला में कोर व ग्रीन एरिया में निर्माण पर रोक लगाई गई थी. साथ ही प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिल से अधिक के निर्माण की अनुमति नहीं थी. पूर्व में भाजपा सरकार के समय एनजीटी के आदेश को एसएलपी के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. गुरुवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब भाजपा व कांग्रेस में इस बारे में श्रेय लेने की होड़ लग गई है.
भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने: सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही सबसे पहले भाजपा नेता और पूर्व जयराम सरकार में शहरी विकास मंत्री रहे सुरेश भारद्वाज ने प्रेस वार्ता आयोजित की. उसके बाद सरकार की तरफ से सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने भी मीडिया से मुलाकात की. पूर्व शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज की प्रेस वार्ता साढ़े तीन बजे आयोजित की गई तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान की प्रेस वार्ता सवा चार बजे हुई. दोनों ने ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अपनी पार्टी की जीत के साथ जोड़ा.
भाजपा का दावा: शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे सुरेश भारद्वाज पूर्व में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में शहरी विकास मंत्री थे. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि पूर्व में भाजपा सरकार ने एनजीटी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. भाजपा सरकार के समय इस मामले में एसएलपी दाखिल की गई थी. उन्होंने कहा कि एनजीटी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सेट एसाइड यानी खत्म कर शिमला प्लानिंग एरिया में निर्माण की अनुमति दी है.
कांग्रेस का दावा: वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सरकार ने राज्य का पक्ष मजबूती से रखा है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी तरीके से अपना पक्ष रखा, जिस कारण एनजीटी के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द किया. नरेश चौहान ने कहा कि शिमला विकास योजना को सुखविंदर सरकार ने ही मार्च 2023 में प्लानिंग एरिया में निर्माण गतिविधियों के लिए एक नए ब्लू प्रिंट के साथ अधिसूचित किया था. उस ब्लू प्रिंट में यह तर्क दिया गया था कि एनजीटी ने अपने अधिकार क्षेत्र को पार किया है. अब सुप्रीम कोर्ट से भी राहत मिल गई है.
इस फैसले ने शिमला की जनता को उन विकास गतिविधियों को पूरा करने के लिए बहुत जरूरी राहत दी है जो बीते कई सालों से अधर में लटकी हुई थीं. नरेश चौहान ने दावा किया कि इसका श्रेय सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रयासों को जाता है, जिन्होंने मामले की सुनवाई के लिए अनुभवी वकीलों की सेवाएं लीं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी सराहना की, जिसमें कहा गया था कि डेवलपमेंट प्लान को अंतिम रूप देने की शक्ति का प्रयोग राज्य सरकार के पास है और एनजीटी निर्देश जारी नहीं कर सकता है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि एनजीटी राज्य के वैधानिक कार्यों में अतिक्रमण नहीं कर सकता है.
एनजीटी ने नवंबर 2017 में लगाई थी रोक: एनजीटी ने नवंबर 2017 को एक फैसले में राजधानी शिमला में कोर, ग्रीन एरिया में भवन निर्माण इत्यादि पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थीं. एनजीटी के आदेश के अनुसार शिमला में कोर एरिया में नया निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया था. इसके अलावा निर्माण में अढ़ाई मंजिल की शर्त थी. राज्य में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा सरकार के समय तत्कालीन शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने इस शिमला डेवलपमेंट प्लान को तैयार करवाया था. बाद में एनजीटी ने 12 मई, 2022 को इस पर भी रोक लगा दी थी. सुखविंदर सरकार के समय शिमला विकास योजना नए सिरे से प्रकाशित और अधिसूचित हुई. वहीं, एनजीटी के 2017 के आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन के जरिए चुनौती दी गई थी. अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि शिमला में प्लानिंग एरिया में निर्माण कार्य हो सकते हैं और डेवलपमेंट प्लान में पर्यावरणीय पहलुओं को लेकर विस्तार से जिक्र किया गया है.
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