शिमला: सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने छह सीपीएस की नियुक्ति की है. चूंकि देश भर में सीपीएस की नियुक्तियां विवादों में रही है लिहाजा सुखविंदर सिंह सरकार ने किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए सीपीएस के लिए रूल्ज ऑफ बिजनेस बनाए हैं. मंगलवार को इस बारे में सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं.
मुख्य सचिव कार्यालय से जारी आदेश के अनुसार अब सीपीएस भी उन विभागों से जुड़ी फाइल देख सकेंगे, जिन विभागों से उन्हें अटैच किया गया है. हालांकि सीपीएस कोई निर्णय सीधे नहीं ले पाएंगे, वे केवल सुझाव दे सकेंगे. लेकिन रूल्ज ऑफ बिजनेस में एक बड़ी व्यवस्था ये की गई है कि सरकार के विभिन्न विभागों की फाइल संबंधित विभाग से अटैच सीपीएस के पास से होकर जाएगी.
मुख्य सचिव कार्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि सरकार की तरफ से रूल्ज ऑफ बिजनेस में बदलाव किया गया है. इसके अनुसार मुख्य संसदीय सचिव एक्ट-2006 के सेक्शन चार में प्रावधान है कि सीपीएस राज्य के मुख्यमंत्री की ओर से असाइन की गई ड्यूटी कर सकते हैं. इसके अलावा एक्ट में ये भी प्रावधान है कि फाइल पर विभागीय सचिव की ओर से दिए गए प्रस्ताव पर फैसला लेने का अधिकार सीपीएस को नहीं होगा.
अलबत्ता मुख्य संसदीय सचिव फाइल पर विषय से संबंधित अपना नोट रिकॉर्ड कर सकता है. यह फाइल नोट एक प्रपोजल के रूप में हो सकता है. वहीं, इस फाइल नोट पर विभाग का मंत्री यानी मिनिस्टर इंचार्ज ही फैसला ले सकेगा. अब सुखविंदर सिंह सरकार ने इन्हीं प्रावधानों के अनुसार सभी विभागीय सचिवों को कहा है कि मिनिस्टर इंचार्ज को भेजे जाने वाली फाइलें मुख्य संसदीय सचिवों के माध्यम से भेजी जाएं.
उल्लेखनीय है कि मंत्रिमंडल विस्तार के समय ही सीएम सुखविंदर सिंह ने छह सीपीएस को शपथ दिलाई थी। सरकार ने सुंदर सिंह ठाकुर, मोहनलाल ब्राक्टा, संजय अवस्थी, रामकुमार चौधरी, किशोरी लाल, आशीष बुटेल को सीपीएस बनाया है. इनमें से संजय अवस्थी को मुख्यमंत्री के साथ सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अलावा पीडब्ल्यूडी और स्वास्थ्य मंत्री के साथ अटैच किया गया है.
वहीं, सुंदर सिंह ठाकुर को ऊर्जा, वन और पर्यटन के साथ जोड़ा गया है. अभी केवल दो को ही अटैच किया गया है. छह में से बाकी बचे चार मुख्य संसदीय सचिवों आशीष बुटेल, किशोरीलाल, मोहनलाल ब्राक्टा और रामकुमार चौधरी को लेकर अभी कोई आदेश जारी नहीं हुए हैं. जल्द ही इन्हें भी विभागों के साथ अटैच किया जाएगा.
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