शिमला: हिमाचल प्रदेश को कर्ज के जाल से मुक्ति मिलती नहीं दिखाई दे रही है. हिमाचल के खजाने का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च होता है. कर्ज में डूबी हिमाचल सरकार इसी महीने 1500 करोड़ रुपए का लोन लेगी. जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी होगी. हिमाचल सरकार इस वित्त वर्ष में अब तक 8000 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. हाल ही में बढ़ाई गई लोन लिमिट के बाद इस वित्त वर्ष यानी मार्च तक कर्ज का आंकड़ा एक साल में ही 10 हजार करोड़ के मार्क को पार कर जाएगा.
हिमाचल पर 75 हजार करोड़ कर्ज: यानी एक वित्त वर्ष में राज्य द्वारा लिए गए कर्ज का आंकड़ा 10 हजार करोड़ से अधिक होगा. इस समय हिमाचल पर कर्ज का बोझ करीब 75 हजार करोड़ हो गया है. इस साल की लिमिट में से 3 हजार करोड़ रुपए का लोन और लिया जा सकेगा. इस तरह मार्च में बजट आने से पहले हिमाचल पर कुल 78 हजार करोड़ रुपए का कर्ज होगा.
इसी महीने कर्ज लेगी सरकार: पूर्व की जयराम ठाकुर सरकार ने कर्मचारियों को नए वेतन आयोग का लाभ दिया था. नए वेतन आयोग को लागू करने के बाद कर्मचारियों व पेंशनर्स का एरियर का एक हजार करोड़ रुपए भी सरकार को देना है, लेकिन ये तो बाद की बात है, पहले सुखविंदर सरकार को मार्च तक का समय काटना है. जनवरी महीने में सरकार डेढ़ हजार करोड़ रुपए का लोन लेगी. इस तरह मौजूदा वित्त वर्ष में लोन का आंकड़ा 9500 करोड़ रुपए हो जाएगा. हाल ही में धर्मशाला में संपन्न विधानसभा के विंटर सेशन में सुखविंदर सिंह सरकार ने लोन लिमिट बढ़ाने से संबंधित विधेयक पास किया है.
जीडीपी का 6 फीसदी लोन लिया जा सकेगा: अब राज्य की कुल जीडीपी का 6 फीसदी लोन लिया जा सकेगा. पहले ये लिमिट 4 फीसदी थी. इस तरह सुखविंदर सिंह सरकार बाकी बचे 3 महीनों यानी चालू माह जनवरी, फरवरी व मार्च में बजट से पहले कुल 3000 करोड़ रुपए लोन लेने की पात्र है, इसमें से 1500 करोड़ रुपए लोन तो इसी माह लिया जाएगा. बाकी का 1500 करोड़ रुपए मार्च से पहले लिया जाना है.
हिमाचल दिवालिया होने की कगार पर पहुंचेगा: इस तरह मौजूदा वित्त वर्ष में राज्य सरकार कुल 11 हजार करोड़ रुपए लोन ले चुकी होगी. आने वाले समय में सरकार को कर्मचारियों व पेंशनर्स का एरियर देने के लिए भी परेशानी का सामना करना होगा. यदि वित्तीय संसाधन नहीं जुटाए गए तो कांग्रेस सरकार के पास भी कर्ज लेने के सिवा और कोई चारा नहीं होगा. इससे हिमाचल आने वाले समय में दिवालिया होने के कगार पर पहुंच जाएगा. फिलहाल, राज्य सरकार जनवरी महीने में 1500 करोड़ रुपए का लोन लेने जा रही है. राज्य के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना इस समय दिल्ली में हैं. वे संभवत: 20 जनवरी को हिमाचल वापस आएंगे. उसके बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलकर लोन लेने के बारे में आदेश हासिल करेंगे.
कर्ज के मर्ज का इलाज तलाशना होगा: हिमाचल के बढ़ते कर्ज को लेकर वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि यदि समय रहते राज्य ने वित्तीय संसाधन नहीं जुटाए तो हालात खराब होंगे.अभी सरकार ने महिलाओं को 1500 रुपए प्रति माह देने का वादा पूरा करना है. इसके अलावा सभी उपभोक्ताओं को 300 यूनिट फ्री बिजली दी जानी है. कर्मचारियों का एरियर व डीए देय है. 1 हजार करोड़ रुपए की रकम इसके लिए भी चाहिए. इन हालात में सुखविंदर सिंह सरकार को जल्द ही कोई रोडमैप जनता के सामने पेश करना होगा. वैसे आगामी बजट में सुखविंदर सिंह का विजन सामने आएगा. संसाधन जुटाने के लिए कांग्रेस सरकार क्या कदम उठाएगी, उस पर सभी की नजर रहेगी. यदि आने वाले समय में कर्ज के मर्ज का इलाज नहीं तलाशा गया तो हिमाचल का कर्ज 1 लाख करोड़ रुपए को पार कर जाएगा. छोटे राज्य के लिए कर्ज का ये बड़ा बोझ असहनीय होगा.
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