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यहां ऑनलाइन पढ़ाई में भी आ रही हैं दिक्कतें, घर पर नेटवर्क न मिलने से जंगल में पढ़ाई कर रहे बच्चे

उपमंडल ठियोग के कोटखाई में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई में दिक्कतें पेश आ रही हैं. दरअसल कोटखाई के ग्राम पंचायत ग्राउग में बच्चों को घरों में नेटवर्क की समस्या सता रही है जिससे ऑनलाइन पढ़ाई में उन्हें परेशानी हो रही है. समस्या के चलते बच्च अब जंगलों में जाकर पढ़ाई कर रहे है.

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Published : May 19, 2021, 3:16 PM IST

Updated : May 19, 2021, 7:53 PM IST

study in forest
study in forest

शिमला/ठियोग: उपमंडल ठियोग के कोटखाई में एक तरफ कारोना का डर है और दूसरी तरफ बच्चों के भविष्य की फिक्र अभिभावकों को सता रही है. कोरोना काल में भले ही सरकार ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए बच्चों को पढ़ाने की बात कर रही है, लेकिन अभी भी प्रदेश में ऐसे कई इलाके हैं जहां तक नेटवर्क की सुविधा ही नहीं है. इस वजह से बच्चों को पढ़ाई में दिक्कतें पेश आ रही हैं और बच्चों को अब जंगलों में जाकर पढ़ाई करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

study in forest
जंगल में पढ़ाई कर रहा बच्चा

घर में बच्चों को सता रही नेटवर्क की समस्या

कारोना का खतरा सबसे ज्यादा बच्चों पर है. ऐसे में सरकार ने बच्चों को लेकर कड़े नियम बनाए हैं, ताकि बच्चे सुरक्षित रह सकें, लेकिन बच्चों के अभिभावक अब इस दुविधा में हैं कि बच्चों को घर में सुरक्षित रखें या फिर उनके भविष्य के बारे में सोचें. इन्ही बातों से परेशान कोटखाई के ग्राम पंचायत ग्राउग में लोगों को एक तरफ तो सरकार के फरमानों का डर सता रहा है. वहीं, दूसरी तरफ स्कूलों के फरमानों का. अभिभावकों का कहना है कि इसी उलझन में दो साल बीत रहे हैं कि बच्चों को कैसे बीमारी से बचाएं और कैसे पढ़ाएं.

study in forest
जंगल में पढ़ाई कर रहे बच्चे

ऑनलाइन पढ़ाई में हो रही परेशान

ऑनलाइन पढ़ाई ने पंचायत के लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. उनका कहना है कि वे सरकार की मानें या स्कूलों की. सरकार और स्कूलों ने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के आदेश दिए हैं, लेकिन पंचायत में इंटरनेट नहीं चल रहा है, जिसके कारण जान जोखिम में डाल पंचायत के लोग घर से बाहर दो से तीन किलोमीटर दूर जंगलों में डेरा डाले रहते हैं, ताकि वहां सिग्नल मिल सके. पूरा दिन सिग्नल ढूंढते और आपस में दूरी कैसे रखें, सबको मिलकर एक जगह बैठना मजबूरी है. लोगों का कहना है कि दो साल से जीना दुश्वार हो गया है. घर में सिग्नल नहीं है जिसके चलते जंगलों में रहना पड़ता है और अगर न निकलें तो स्कूल के टीचर बच्चों को डांटते हैं कि पढ़ाई क्यों नहीं करते. क्लास क्यों नहीं लगाते जिसके चलते ऐसी आफत में पूरी पंचायत के लोग सिग्नल वाली जगह पहुंच जाते हैं और बारी बारी अपने बच्चों को पढ़ाते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

सरकार और प्रशासन से समस्या के समाधान की मांग

सिग्नल की समस्या न केवल अभिभावकों को सता रही है, बल्कि पंचायत में सरकारी और निजी अध्यापक भी इससे बहुत ज्यादा परेशान हैं. न बच्चों को काम दे पाते हैं, न उन्हें पढ़ा पाते हैं. समस्या से गांव के प्रधान को भी अवगत कराया गया, लेकिन कोई समाधान नहीं मिल रहा है. इससे उनकी चिंता बढ़ती जा रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पंचायत में सिंगल की समस्या के बारे में उन्होंने सरकार और अधिकारियों को बताया है. साथ ही सूबे के नेता ओर मौजूदा दौर में सरकार के मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा से भी इस बारे में बातचीत की. टेलीकॉम कम्पनियों से भी बात की, लेकिन कोई नहीं सुनता. उनकी परेशानी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है.

study in forest
जंगल में पढ़ाई

जल्द समाधान का आश्वासन

लोगों की समस्याओं को नेशनल यूथ कॉपरेटिव संस्था के प्रदेश कॉर्डिनेटर अजय भेरटा ने कहा कि उनकी समस्या का हल करने के लिए जल्द ही सरकार से मांग की जाएगी. उन्होंने कहा कि समस्या पूरी पंचायत में है जिससे लोगों को परेशानी से रोजाना दो चार होना पड़ता है. ऐसे में सरकार जल्द इस समस्या का हल करेगी जिससे लोगों को राहत हो.

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जंगल में पढ़ाई कर रहे बच्चे

ये भी पढ़ें: कोरोना से जंग में सेना ने दिया प्रदेश सरकार का सहयोग, संजौली में 60 बेड का अस्पताल प्रशासन को सौंपा

शिमला/ठियोग: उपमंडल ठियोग के कोटखाई में एक तरफ कारोना का डर है और दूसरी तरफ बच्चों के भविष्य की फिक्र अभिभावकों को सता रही है. कोरोना काल में भले ही सरकार ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए बच्चों को पढ़ाने की बात कर रही है, लेकिन अभी भी प्रदेश में ऐसे कई इलाके हैं जहां तक नेटवर्क की सुविधा ही नहीं है. इस वजह से बच्चों को पढ़ाई में दिक्कतें पेश आ रही हैं और बच्चों को अब जंगलों में जाकर पढ़ाई करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

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जंगल में पढ़ाई कर रहा बच्चा

घर में बच्चों को सता रही नेटवर्क की समस्या

कारोना का खतरा सबसे ज्यादा बच्चों पर है. ऐसे में सरकार ने बच्चों को लेकर कड़े नियम बनाए हैं, ताकि बच्चे सुरक्षित रह सकें, लेकिन बच्चों के अभिभावक अब इस दुविधा में हैं कि बच्चों को घर में सुरक्षित रखें या फिर उनके भविष्य के बारे में सोचें. इन्ही बातों से परेशान कोटखाई के ग्राम पंचायत ग्राउग में लोगों को एक तरफ तो सरकार के फरमानों का डर सता रहा है. वहीं, दूसरी तरफ स्कूलों के फरमानों का. अभिभावकों का कहना है कि इसी उलझन में दो साल बीत रहे हैं कि बच्चों को कैसे बीमारी से बचाएं और कैसे पढ़ाएं.

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जंगल में पढ़ाई कर रहे बच्चे

ऑनलाइन पढ़ाई में हो रही परेशान

ऑनलाइन पढ़ाई ने पंचायत के लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. उनका कहना है कि वे सरकार की मानें या स्कूलों की. सरकार और स्कूलों ने बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के आदेश दिए हैं, लेकिन पंचायत में इंटरनेट नहीं चल रहा है, जिसके कारण जान जोखिम में डाल पंचायत के लोग घर से बाहर दो से तीन किलोमीटर दूर जंगलों में डेरा डाले रहते हैं, ताकि वहां सिग्नल मिल सके. पूरा दिन सिग्नल ढूंढते और आपस में दूरी कैसे रखें, सबको मिलकर एक जगह बैठना मजबूरी है. लोगों का कहना है कि दो साल से जीना दुश्वार हो गया है. घर में सिग्नल नहीं है जिसके चलते जंगलों में रहना पड़ता है और अगर न निकलें तो स्कूल के टीचर बच्चों को डांटते हैं कि पढ़ाई क्यों नहीं करते. क्लास क्यों नहीं लगाते जिसके चलते ऐसी आफत में पूरी पंचायत के लोग सिग्नल वाली जगह पहुंच जाते हैं और बारी बारी अपने बच्चों को पढ़ाते हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

सरकार और प्रशासन से समस्या के समाधान की मांग

सिग्नल की समस्या न केवल अभिभावकों को सता रही है, बल्कि पंचायत में सरकारी और निजी अध्यापक भी इससे बहुत ज्यादा परेशान हैं. न बच्चों को काम दे पाते हैं, न उन्हें पढ़ा पाते हैं. समस्या से गांव के प्रधान को भी अवगत कराया गया, लेकिन कोई समाधान नहीं मिल रहा है. इससे उनकी चिंता बढ़ती जा रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पंचायत में सिंगल की समस्या के बारे में उन्होंने सरकार और अधिकारियों को बताया है. साथ ही सूबे के नेता ओर मौजूदा दौर में सरकार के मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा से भी इस बारे में बातचीत की. टेलीकॉम कम्पनियों से भी बात की, लेकिन कोई नहीं सुनता. उनकी परेशानी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है.

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जंगल में पढ़ाई

जल्द समाधान का आश्वासन

लोगों की समस्याओं को नेशनल यूथ कॉपरेटिव संस्था के प्रदेश कॉर्डिनेटर अजय भेरटा ने कहा कि उनकी समस्या का हल करने के लिए जल्द ही सरकार से मांग की जाएगी. उन्होंने कहा कि समस्या पूरी पंचायत में है जिससे लोगों को परेशानी से रोजाना दो चार होना पड़ता है. ऐसे में सरकार जल्द इस समस्या का हल करेगी जिससे लोगों को राहत हो.

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जंगल में पढ़ाई कर रहे बच्चे

ये भी पढ़ें: कोरोना से जंग में सेना ने दिया प्रदेश सरकार का सहयोग, संजौली में 60 बेड का अस्पताल प्रशासन को सौंपा

Last Updated : May 19, 2021, 7:53 PM IST
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