शिमला: जिले के झझीडी में हुए स्कूली बस हादसे के विरोध में छात्र अभिभावक मंच ने शिमला उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन के दौरान मंच ने सरकार के खिलाफ जमकर नारे बाजी की और इस घटना को एक हादसा नहीं बल्कि जान बूझ कर अंजाम देने का आरोप भी लगाया.
मंच का मानना है कि इस बस दुर्घटना ने एक बार फिर से जनता और खासतौर से स्कूली बच्चों की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है. शिमला जहां भीड़ होने से गाड़ियां पहले ही धीमी गति से चलती हैं, वहां इस तरह के हादसे का होना आने आप में ही एक बड़ा सवाल है.
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मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि पिछले कुछ समय से शिमला शहर के बालूगंज, क्रासिंग और जतोग में हुए दर्दनाक हादसों से भी प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है. इन सभी हादसों में स्कूली बच्चों की जान गई है. स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक चिंता में हैं. इन हादसों का अभिभावकों पर गलत असर हो रहा है. इसके लिए जरूरी है कि जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, लोक निर्माण विभाग, नगर निगम और परिवहन विभाग इस दिशा में काम करें ताकि ऐसे दर्दनाक हादसों पर रोक लग सके.
छात्र अभिभावक मंच ने अपने इस धरना प्रदर्शन के माध्यम से मांग उठाई की स्कूली बच्चों की सेफ्टी और सिक्योरिटी सुनिश्चित की जाए. स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस को लागू किया जाए. सीबीएसई के नियमों और गाइडलाइंस के साथ ही निजी स्कूलों को अपनी बसें लगवाना अनिवार्य किया जाए. स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए रेगुलेटरी कमिश्नन बनाया जाए. सड़कों पर पैरापिट, क्रेश बेरियर और रेलिंग लगाई जाए.
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