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इस साल भी नहीं होंगे छात्र संघ चुनाव, मैरिट के आधार पर बनेगी एससीए

इस साल छात्र संगठनों को उम्मीद थी कि प्रदेश की भाजपा सरकार छात्र संघ चुनाव पर लगे प्रतिबंध को हटाएगी, लेकिन छठे साल भी यह प्रतिबंध नहीं हटाया गया है. मेरिट के आधार पर विश्वविद्यालय के हर विभाग और कॉलेज में हर विषय और कक्षा से टॉपर चुने जाएंगे. साथ ही इन शिक्षण संस्थानों में सांस्कृतिक, एनसीसी, एनएसएस, खेलकूद क्षेत्र में से भी अव्वल रहने वाले एक एक छात्र को चुना जाएगा.

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Published : Sep 2, 2019, 6:35 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के कॉलेजों में इस साल भी छात्र संघ चुनाव नहीं होंगे. एचपीयू और इससे जुड़े 136 कॉलेजों में मेरिट के आधार पर अप्रत्यक्ष रूप से ही एससीए का गठन किया जाएगा. मैरिट के आधार पर एससीए गठन का शैड्यूल भी एचपीयू कुलपति की मंजूरी के बाद जारी कर दिया गया है.

इस साल छात्र संगठनों को उम्मीद थी कि प्रदेश की भाजपा सरकार छात्र संघ चुनावों पर लगे प्रतिबंध को हटाएगी, लेकिन छठे साल भी यह प्रतिबंध नहीं हटाया गया है. एचपीयू कुलपति की ओर से सभी कॉलेजों को 10 दिनों में मनोनयन आधार पर एससीए गठन की प्रक्रिया को पूरा कर इसकी रिपोर्ट एचपीयू को भेजने के निर्देश दिए गए हैं.

इस अधिसूचना के आधार पर सत्र 2019-20 के लिए मेरिट पर ही एससीए चुनी जाएगी. एचपीयू के कुलसचिव घनश्याम चंद ने कहा है कि सभी शिक्षण संस्थानों को 3 सितंबर से लेकर 12 सितंबर के बीच में मेरिट के आधार पर एससीए गठन की प्रक्रिया पूरी कर इसकी सूची एचपीयू को 12 सितंबर तक देनी होगी.

एचपीयू प्रशासन के इस फैसले से छात्र संगठनों को झटका लगा है. एबीवीपी, एसएफआई और एनएसयूआई तीनों ही छात्र संगठन इस बार छात्र संघ चुनावों की बहाली की मांग कर रहे थे.
मेरिट के आधार पर इस तरह चुनी जाएगी एससीए

मेरिट के आधार पर विश्वविद्यालय के हर विभाग और कॉलेज में हर विषय और कक्षा से टॉपर चुने जाएंगे. साथ ही इन शिक्षण संस्थानों में सांस्कृतिक, एनसीसी, एनएसएस, खेलकूद क्षेत्र में से भी अव्वल रहने वाले एक एक छात्र को चुना जाएगा. विश्वविद्यालय और कॉलेजों में चुने गए छात्रों के नामों की सूची तैयार की जाएगी और हर संस्थान में हर सूची में शैक्षणिक आधार पर टॉप पर रहने वाले 4 छात्रों को एससीए पदाधिकारी चुना जाएगा.

सबसे शीर्ष पर रहने वाला छात्र या छात्रा अध्यक्ष, दूसरे पर उपाध्यक्ष, तीसरे पर महासचिव और चौथे नंबर पर रहने वाले छात्र को संयुक्त सचिव चुना जाएगा. सूची में शामिल छात्र-छात्राओं को केंद्रीय छात्रसंघ प्रतिनिधियों में शामिल किया जाएगा.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय समेत कॉलेजों में हिंसक घटनाओं के चलते साल 2014 में छात्रसंघ चुनाव पर प्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंध लगाया गया था. कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र संगठनों के बीच हिंसक घटनाएं न हो और शैक्षणिक माहौल बना रहे इसके लिए कांग्रेस सरकार ने इन चुनावों पर प्रतिबंध लगाया था. इसके बाद 6 साल बीतने के बाद भी यह छात्र संघ चुनाव प्रदेश में बहाल नहीं हो पाए हैं.

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ये भी पढ़ें: अधर में इन कॉलेजों के छात्रों का भविष्य, एफिलेशन को लेकर HPU और शिक्षा विभाग में तकरार

शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के कॉलेजों में इस साल भी छात्र संघ चुनाव नहीं होंगे. एचपीयू और इससे जुड़े 136 कॉलेजों में मेरिट के आधार पर अप्रत्यक्ष रूप से ही एससीए का गठन किया जाएगा. मैरिट के आधार पर एससीए गठन का शैड्यूल भी एचपीयू कुलपति की मंजूरी के बाद जारी कर दिया गया है.

इस साल छात्र संगठनों को उम्मीद थी कि प्रदेश की भाजपा सरकार छात्र संघ चुनावों पर लगे प्रतिबंध को हटाएगी, लेकिन छठे साल भी यह प्रतिबंध नहीं हटाया गया है. एचपीयू कुलपति की ओर से सभी कॉलेजों को 10 दिनों में मनोनयन आधार पर एससीए गठन की प्रक्रिया को पूरा कर इसकी रिपोर्ट एचपीयू को भेजने के निर्देश दिए गए हैं.

इस अधिसूचना के आधार पर सत्र 2019-20 के लिए मेरिट पर ही एससीए चुनी जाएगी. एचपीयू के कुलसचिव घनश्याम चंद ने कहा है कि सभी शिक्षण संस्थानों को 3 सितंबर से लेकर 12 सितंबर के बीच में मेरिट के आधार पर एससीए गठन की प्रक्रिया पूरी कर इसकी सूची एचपीयू को 12 सितंबर तक देनी होगी.

एचपीयू प्रशासन के इस फैसले से छात्र संगठनों को झटका लगा है. एबीवीपी, एसएफआई और एनएसयूआई तीनों ही छात्र संगठन इस बार छात्र संघ चुनावों की बहाली की मांग कर रहे थे.
मेरिट के आधार पर इस तरह चुनी जाएगी एससीए

मेरिट के आधार पर विश्वविद्यालय के हर विभाग और कॉलेज में हर विषय और कक्षा से टॉपर चुने जाएंगे. साथ ही इन शिक्षण संस्थानों में सांस्कृतिक, एनसीसी, एनएसएस, खेलकूद क्षेत्र में से भी अव्वल रहने वाले एक एक छात्र को चुना जाएगा. विश्वविद्यालय और कॉलेजों में चुने गए छात्रों के नामों की सूची तैयार की जाएगी और हर संस्थान में हर सूची में शैक्षणिक आधार पर टॉप पर रहने वाले 4 छात्रों को एससीए पदाधिकारी चुना जाएगा.

सबसे शीर्ष पर रहने वाला छात्र या छात्रा अध्यक्ष, दूसरे पर उपाध्यक्ष, तीसरे पर महासचिव और चौथे नंबर पर रहने वाले छात्र को संयुक्त सचिव चुना जाएगा. सूची में शामिल छात्र-छात्राओं को केंद्रीय छात्रसंघ प्रतिनिधियों में शामिल किया जाएगा.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय समेत कॉलेजों में हिंसक घटनाओं के चलते साल 2014 में छात्रसंघ चुनाव पर प्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंध लगाया गया था. कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र संगठनों के बीच हिंसक घटनाएं न हो और शैक्षणिक माहौल बना रहे इसके लिए कांग्रेस सरकार ने इन चुनावों पर प्रतिबंध लगाया था. इसके बाद 6 साल बीतने के बाद भी यह छात्र संघ चुनाव प्रदेश में बहाल नहीं हो पाए हैं.

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ये भी पढ़ें: अधर में इन कॉलेजों के छात्रों का भविष्य, एफिलेशन को लेकर HPU और शिक्षा विभाग में तकरार

Intro:प्रदेश विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के कॉलेजों में इस वर्ष भी छात्र संघ चुनाव नहीं होंगें। एचपीयू ओर इससे संबद्ध 136 कॉलेजों में मेरिट के आधार पर अप्रत्यक्ष रूप से ही एससीए का गठन किया जाएगा। मैरिट के आधार पर एससीए गठन का शैड्यूल भी एचपीयू कुलपति की मंजूरी के बाद जारी कर दिया गया है। इस वर्ष छात्र संगठनों को उम्मीद थी कि प्रदेश की भाजपा सरकार छात्र संघ चुनावों पर लगे प्रतिबंध को हटाएगी लेकिन छठे वर्ष भी यह प्रतिबंध नहीं हटाया गया है। एचपीयू कुलपति की ओर से सभी कॉलेजों को भी यह निर्देश जारी कर दिए गए है कि वह 10 दिनों के अंदर मनोनयन से एससीए गठन की प्रक्रिया को पूरा कर इसकी रिपोर्ट एचपीयू को भेजे।


Body:एचपीयू प्रशासन ने हाई पॉवर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ही इस बार भी चुनावों पर लगा प्रतिबंध ना हटा कर मेरिट के आधार पर ही एससीए गठन की अधिसूचना जारी कर दी है। एचपीयू ने बेहद ही गुपचुप तरीके से चुनावों को लेकर बैठक आयोजित की ओर इस बैठक में चुनावों को प्रत्यक्ष तरीके से ना करवा कर अप्रत्यक्ष तरीके से करवाने का फ़ैसला ले लिया। यहां तक कि शैड्यूल तय कर भी इसकी अधिसूचना भी एचपीयू कुलपति की ओर से जारी कर दी गईं। इस अधिसूचना के आधार पर सत्र 2019-20 के लिए भी मेरिट पर ही एससीए चुनी जाएगी। सभी शिक्षण संस्थानों को 3 सितंबर से लेकर 12 सितंबर के बीच में मेरिट के आधार पर एससीए गठन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। एचपीयू के कुलसचिव घनश्याम चंद ने यह जनाकारी देते हुए कहा है की प्रदेश के कॉलेजों को तय नियमों के तहत मेरिट के आधार पर एससीए गठन की प्रक्रिया को पूरा कर इसकी लिस्ट एचपीयू को 12 सितंबर तक देनी होगी। एचपीयू प्रशासन के इस फ़ैसले से छात्र संगठनों को झटका लगा है।।एबीवीपी, एसएफआई ओर एनएसयूआई तीनों ही छात्र संगठन इस बार छात्र संघ चुनावों की बहाली की मांग कर रहे थे। अब जब मांग पूरी नहीं हुई है तो एक बार फिर से छात्र संगठनों का आंदोलन शुरू हो सकता है।


Conclusion:मेरिट के आधार पर इस तरह चुनी जाएगी एससीए

मेरिट का आधार पर विश्वविद्यालय के हर विभाग और कॉलेज में प्रत्येक विषय ओर कक्षा से टॉपर चुने जाएंगे। साथ ही इन शिक्षण संस्थानों में सांस्कृतिक, एनसीसी एनएसएस खेलकूद क्षेत्र में से भी अव्वल रहने वाले एक एक छात्र को चुना जाएगा। विश्वविद्यालय और कॉलेजों में चुने गए छात्रों के नामों की सूची तैयार की जाएगी और हर संस्थान में हर सूची में शैक्षणिक आधार पर टॉप पर रहने वाले 4 छात्रों को एससीए पदाधिकारी चुना जाएगा। इसमें सबसे शीर्ष पर रहने वाला छात्र या छात्रा अध्यक्ष, दूसरे पर उपाध्यक्ष, तीसरे पर महासचिव और चौथे नंबर पर रहने वाले छात्र को संयुक्त सचिव चुना जाएगा। सूची में शामिल छात्र-छात्राओं को केंद्रीय छात्रसंघ प्रतिनिधियों में शामिल किया जाएगा।

हिंसा और राजनीतिक समीकरण बने छात्रसंघ चुनावों के बाहर ना होने का कारण

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सहित कॉलेजों में हिंसक घटनाओं के चलते वर्ष 2014 में छात्रसंघ चुनाव पर प्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंध लगाया गया था। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र संगठनों के बीच हिंसक घटनाएं ना हो और शैक्षणिक माहौल बना रहे इसके लिए कांग्रेस सरकार ने इन चुनावों पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद 6 साल बीतने के बाद भी यह छात्र संघ चुनाव प्रदेश में बहाल नहीं हो पाए हैं।
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