शिमलाः आज जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग विश्व भर की समस्या है. बीते कुछ समय में क्लाइमेट चेंज के कारण कई प्राकृतिक आपदाओं का भीषण रूप देखने को मिला जिसने हजारों लोगों की जान ले ली. हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर के रहने वाले विद्यार्थियों ने सोशल मीडिया पर 'नो मीन्स नो, सेव किन्नौर' (No means No, Save Kinnaur) के नाम से एक विशेष मुहिम शुरू की है.
सोशल मीडिया पर अपनी मुहिम के जरिए किन्नौर के रहने वाले यह विद्यार्थी किन्नौर को बचाने की मांग कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर मुहिम चला रहे इन विद्यार्थियों का कहना है कि विकास के नाम पर किन्नौर में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट की वजह से आपदा को आमंत्रण दिया जा रहा है. भौगोलिक दृष्टि से अति संवेदनशील किन्नौर में बड़े प्रोजेक्ट की वजह से स्थानीय लोगों की जान खतरे में है. किन्नौर के विद्यार्थियों का कहना है कि सतलुज पर बन रहे बड़े-बड़े प्रोजेक्ट को बंद करने की जरूरत है.
सोशल मीडिया पर मुहिम चला रहे किन्नौर के विद्यार्थियों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मनजीत नेगी ने कहा कि प्रोजेक्ट के नाम पर किन्नौर को खोखला किया जा रहा है. किन्नौर के लोग ऐसा विकास नहीं चाहते जिससे उनकी जान पर खतरा बने. उन्होंने कहा कि इस मुहिम का मकसद सीधा और स्पष्ट है. इस मुहिम के जरिए विद्यार्थी किन्नौर को बचाने की मांग कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि साल 1991 के बाद से लेकर अब तक लगातार किन्नौर का वन क्षेत्र घट रहा है. इस समय किन्नौर में 30 बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिसकी वजह से लोग परेशान हैं. प्रोजेक्ट के नाम पर बड़ी संख्या में पेड़ों को काटा जा रहा है. करछम-वांगटु प्रोजेक्ट में 10,507 पेड़, नाथपा झाकड़ी प्रोजेक्ट (Nathpa Jhakri Project) के लिए 1084 पेड़ और सोरंग प्रोजेक्ट के लिए 184 पेड़ों को काटा गया.
मनजीत नेगी ने मांग की है कि अब किन्नौर को किसी नए प्रोजेक्ट की जरूरत नहीं है. केंद्र व प्रदेश सरकार किन्नौर के लोगों के साथ प्रकृति के बारे में सोचें और विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ बंद करें. वहीं, कमल नेगी और नितिका बिष्ट का कहना है कि बड़े प्रोजेक्ट की वजह से किन्नौर में लगातार भूस्खलन के मामले बढ़ रहे हैं. बड़े प्रोजेक्ट की वजह से किन्नौर के कई गांव अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि विकास का मतलब बड़े-बड़े प्रोजेक्ट लगाना नहीं होता. इस तरह के विकास से किन्नौर के लोग बेहद परेशान हैं. किन्नौर का युवा चाहता है कि किन्नौर की जमीन और संपदा का संरक्षण किया जाए. यदि ऐसा ही चलता रहा, तो आने वाली पीढ़ी को किन्नौर के लोग जवाब देने योग्य भी नहीं बचेंगे. स्थिति लगातार भयावह होती चली जा रही है.
जलवायु परिवर्तन (Climate change) के कारण बर्फबारी का समय बदल रहा है. ऐसे में उनकी यह मांग है कि किन्नौर में इस तरह का विकास बंद किया जाए. हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर से ताल्लुक रखने वाले विद्यार्थी शिमला, चंडीगढ़, दिल्ली और कई बड़े शहरों में पढ़ाई या नौकरी के लिए बाहर रह रहे हैं. सभी विद्यार्थियों का सोशल मीडिया (social media) पर जमकर समर्थन मिल रहा है, न केवल किन्नौर के विद्यार्थी बल्कि अन्य विद्यार्थी भी किन्नौर को बचाने की इस मुहिम को समर्थन दे रहे हैं.
इस मुहिम में विद्यार्थी फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से पोस्टर और बैनर के जरिए अपना विरोध जता रहे हैं. ऑनलाइन युग में सोशल मीडिया जनता तक पहुंचने का सबसे सशक्त माध्यम है. ऐसे में किन्नौर के इन विद्यार्थियों ने किन्नौर को बचाने के लिए सोशल मीडिया को चुना है.
ये भी पढ़ें- जुब्बल कोटखाई से नीलम ने ठोकी दावेदारी, मुश्किल में पड़ सकती है बीजेपी