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सरकार ने अपने चेहतों को दी ट्रैक्टर पर सब्सिडी, HC ने दिए जांच के आदेश

सब्सिडी के नाम पर किए गए घोटाले की जांच करने के प्रदेश उच्च न्यायालय ने एसडीएम घुमारवीं को आदेश जारी किए हैं. प्रार्थी ने न्यायालय के समक्ष यह दलील दी थी कि सरकार ट्रैक्टर पर सब्सिडी देने के मामले में पिक एंड चूज की नीति अपना रही है

सब्सिडी के नाम
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Published : Jan 9, 2021, 8:12 PM IST

शिमला: सब्सिडी के नाम पर हुए घोटाले की जांच करने के प्रदेश उच्च न्यायालय ने एसडीएम घुमारवीं को आदेश जारी किए हैं. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने 6 सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं.

सरकार पिक एंड चूज की नीति अपना रही है

प्रार्थी ने न्यायालय के समक्ष यह दलील दी थी कि सरकार ट्रैक्टर पर सब्सिडी देने के मामले में पिक एंड चूज की नीति अपना रही है उसे इस आधार पर सब्सिडी देने के लिए मना किया गया कि उसके पास पहले से ही एक ट्रैक्टर है, और वह राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार सब्सिडी लेने का हकदार नहीं है, जबकि अन्य समान वाली स्थित वाले कई व्यक्ति भी हैं जिन्हें सब्सिडी दे दी गयी.

प्रार्थी ने न्यायालय में पेश की सूची

प्रार्थी ने इसी तरह के लोगों की उनके ट्रैक्टर के पंजीकरण के साथ सूची न्यायालय के समक्ष रखी. इन परिस्थितियों में न्यायालय ने उस सच्चाई को महसूस किया जिसे जानने की जरूरत थी. इसलिए न्यायालय ने एसडीएम घुमारवीं को यह निर्देशित करना उचित समझा कि वह शिकायतकर्ता और सभी हितधारक आरोपियों को शामिल करने के बाद मामले की विस्तृत जांच करें और छः सप्ताह की अवधि के भीतर न्यायालय में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे.

न्यायालय ने मामले से जुडे तमाम रिकॉर्ड मांगे

कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान मामले से जुड़ा तमाम रिकॉर्ड मंगाया था, लेकिन प्रतिवादी केवल किसानों के आवेदन फार्म के साथ लगे शपथ पत्र ही न्यायालय के समक्ष पेश कर पाए किसी भी रिपोर्ट को पेश नही किया गया जिसकी जांच इन शपथ पत्रों की सामग्री की शुद्धता और सत्यता करने के लिए फ़ील्ड एजेंसी द्वारा की गई हो. रिकॉर्ड को सील करने और वापस सौंपने का आदेश दिया गया ताकि एसडीएम को जांच के दौरान संबंधित रिकॉर्ड सौंप दिया जाए.

ये भी पढे: रामपुर प्रशासन की अपील, चुनाव के चक्कर में आपसी संबंध खराब न करें लोग

शिमला: सब्सिडी के नाम पर हुए घोटाले की जांच करने के प्रदेश उच्च न्यायालय ने एसडीएम घुमारवीं को आदेश जारी किए हैं. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने 6 सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं.

सरकार पिक एंड चूज की नीति अपना रही है

प्रार्थी ने न्यायालय के समक्ष यह दलील दी थी कि सरकार ट्रैक्टर पर सब्सिडी देने के मामले में पिक एंड चूज की नीति अपना रही है उसे इस आधार पर सब्सिडी देने के लिए मना किया गया कि उसके पास पहले से ही एक ट्रैक्टर है, और वह राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार सब्सिडी लेने का हकदार नहीं है, जबकि अन्य समान वाली स्थित वाले कई व्यक्ति भी हैं जिन्हें सब्सिडी दे दी गयी.

प्रार्थी ने न्यायालय में पेश की सूची

प्रार्थी ने इसी तरह के लोगों की उनके ट्रैक्टर के पंजीकरण के साथ सूची न्यायालय के समक्ष रखी. इन परिस्थितियों में न्यायालय ने उस सच्चाई को महसूस किया जिसे जानने की जरूरत थी. इसलिए न्यायालय ने एसडीएम घुमारवीं को यह निर्देशित करना उचित समझा कि वह शिकायतकर्ता और सभी हितधारक आरोपियों को शामिल करने के बाद मामले की विस्तृत जांच करें और छः सप्ताह की अवधि के भीतर न्यायालय में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे.

न्यायालय ने मामले से जुडे तमाम रिकॉर्ड मांगे

कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान मामले से जुड़ा तमाम रिकॉर्ड मंगाया था, लेकिन प्रतिवादी केवल किसानों के आवेदन फार्म के साथ लगे शपथ पत्र ही न्यायालय के समक्ष पेश कर पाए किसी भी रिपोर्ट को पेश नही किया गया जिसकी जांच इन शपथ पत्रों की सामग्री की शुद्धता और सत्यता करने के लिए फ़ील्ड एजेंसी द्वारा की गई हो. रिकॉर्ड को सील करने और वापस सौंपने का आदेश दिया गया ताकि एसडीएम को जांच के दौरान संबंधित रिकॉर्ड सौंप दिया जाए.

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