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गेयटी में मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गोदान का पहाड़ी में हुआ मंचन, कलाकारों ने बटोरी खूब तालियां

प्रसिद्ध साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के अंतिम उपन्यास गोदान को नाटक के रूप में पेश किया गया.

गेयटी में प्रस्तुति देते कलाकार.
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Published : Feb 2, 2019, 11:28 PM IST

शिमला: शनिवार को हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के अंतिम उपन्यास गोदान को नाटक के रूप में पेश किया गया. द बिगनर संस्था की ओर से पेश किये गए इ नाटक गऊ दोष के माध्यम से गोदान की कहानी को पहाड़ी टच के साथ दिखाया गया.

नाटक को हिमाचल के ग्रामीण परिवेश में कलाकारों ने इस तरीके से रूपांतरित किया कि इसमें 20वीं शताब्दी के समय में हिमाचल के किसानों का जीवन, उसकी आकांक्षा और निराशा के साथ ही स्वार्थपरता और बैठकबाजी, बेबसी और निरीहता का जीता जागता चित्रण मंच पर प्रस्तुत किया.

इस नाटक में कलाकारों ने दिखाया कि किस तरह से एक किसान की गर्दन जिस पैर के नीचे दबी है और वह उसे सहलाता है. क्लेश और वेदना को झुठलाता है, ऋण ग्रस्तता के अभिशाप में पिसता हुआ भारतीय समाज का मेरुदंड यह किसान कितना कमजोर और टूट चुका है. नाटक एक किसान लोभु पर आधारित है कि किस तरह से वह मेहनत करता है, लेकिन उसका फल उसे नहीं मिल पाता है. उसके आंगन में हुई गऊ हत्या के कारण उसका पूरा परिवार गाय का दोष लगने से पूरी तरह से बिखर जाता है.

नाटक में कलाकारों के अभिनय ने दर्शकों की खूब तालियां बटौरी. नाटक में लोभु का किरदार प्रेम चंद,जानकी का किरदार श्वेता मास्टा ओर अन्य किरदार कोमल सूद,चेतन कुमार,रोहित कौशल, तनु भारद्वाज, लोकेश कुमार ओर अन्य कलाकारों ने निभाई.

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शिमला: शनिवार को हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के अंतिम उपन्यास गोदान को नाटक के रूप में पेश किया गया. द बिगनर संस्था की ओर से पेश किये गए इ नाटक गऊ दोष के माध्यम से गोदान की कहानी को पहाड़ी टच के साथ दिखाया गया.

नाटक को हिमाचल के ग्रामीण परिवेश में कलाकारों ने इस तरीके से रूपांतरित किया कि इसमें 20वीं शताब्दी के समय में हिमाचल के किसानों का जीवन, उसकी आकांक्षा और निराशा के साथ ही स्वार्थपरता और बैठकबाजी, बेबसी और निरीहता का जीता जागता चित्रण मंच पर प्रस्तुत किया.

इस नाटक में कलाकारों ने दिखाया कि किस तरह से एक किसान की गर्दन जिस पैर के नीचे दबी है और वह उसे सहलाता है. क्लेश और वेदना को झुठलाता है, ऋण ग्रस्तता के अभिशाप में पिसता हुआ भारतीय समाज का मेरुदंड यह किसान कितना कमजोर और टूट चुका है. नाटक एक किसान लोभु पर आधारित है कि किस तरह से वह मेहनत करता है, लेकिन उसका फल उसे नहीं मिल पाता है. उसके आंगन में हुई गऊ हत्या के कारण उसका पूरा परिवार गाय का दोष लगने से पूरी तरह से बिखर जाता है.

नाटक में कलाकारों के अभिनय ने दर्शकों की खूब तालियां बटौरी. नाटक में लोभु का किरदार प्रेम चंद,जानकी का किरदार श्वेता मास्टा ओर अन्य किरदार कोमल सूद,चेतन कुमार,रोहित कौशल, तनु भारद्वाज, लोकेश कुमार ओर अन्य कलाकारों ने निभाई.

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Intro:हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के अंतिम उपन्यास गोदान का वैसे तो पहले कई मर्तबा गेयटी में मंचन हुआ है,लेकिन शनिवार को द बिगनर संस्था की ओर से बिल्कुल अलग तरीके से इस नाटक की प्रस्तुति गेयटी में दी। नाटक गऊ दोष के माध्यम से गोदान की कहानी को पहाड़ी टच के साथ दिखाया गया। इस नाटक को हिमाचल के ग्रामीण परिवेश में कलाकारों ने इस तरीके से रूपांतरित किया है कि इसमें 20वी शताब्दी के समय में हिमाचल के किसानों का जीवन,उसकी आकांक्षा ओर निराशा के साथ ही स्वार्थपरता ओर बैठकबाजी, बेबसी ओर निरीहता का जीता जागता चित्रण मंच पर प्रस्तुत किया।


Body:नाटक में कलाकारों ने दिखाया कि किस तरह से एक किसान की गर्दन जिस पैर के नीचे दबी है ओर वह उसे सहलाता है। क्लेश ओर वेदना को झुठलाता है,ऋण ग्रस्तता के अभिशाप में पिसता हुआ भारतीय समाज का मेरुदंड यह किसान कितना कमजोर और टूट चुका है। नाटक एक किसान लोभु पर आधारित है कि किस तरह से वह मेहनत करता है लेकिन उसका फल उसे नहीं मिल पाता है। उसके आंगन में हुई गऊ हत्या के कारण उसका पूरा परिवार गाय का दोष लगने से पूरी तरह से बिखर जाता है।


Conclusion:नाटक में कलाकारों के अभिनय ने दर्शकों की खूब तालियां बटौरी। नाटक में लोभु का किरदार प्रेम चंद,जानकी का किरदार श्वेता मास्टा ओर अन्य किरदार कोमल सूद,चेतन कुमार,रोहित कौशल, तनु भारद्वाज, लोकेश कुमार ओर अन्य कलाकारों ने निभाई।
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