शिमला: हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक ऐसा योद्धा है, जिसे हम वॉरियर अगेंस्ट हंगर कहकर पुकारें तो गलत नहीं होगा. इस योद्धा ने भुखमरी के खिलाफ एक ऐसा युद्ध छेड़ दिया है, जिसके चर्चे विश्व स्तर पर होने लगे हैं.
अस्पतालों में निशुल्क कैंटीन सेवा
बॉबी शिमला में ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स नाम से एक संस्था चलाते हैं. यह संस्था आईजीएमसी अस्पताल, केएनएच और कैंसर अस्पताल में कार्य करती है. संस्था की ओर से अस्पतालों में आने वाले मरीजों और उनके परिजनों के लिए खाने की निशुल्क व्यवस्था की जाती है. संस्था की नींव 7 साल पहले साल 2014 में रखी गई थी. बॉबी ने कैंसर अस्पताल में मरीजों को चाय-बिस्किट की सुविधा मुहैया करवाकर भूख के दानव के खिलाफ जंग छेड़ी थी. समय के साथ-साथ संस्था की ओर से किए जा रहे काम में बढ़ावा होने लगा. धीरे-धीरे मरीजों और उनके परिजनों के लिए लंगर लगाने का कार्य शुरू किया गया.
चाय से की थी सेवा की शुरुआत
बॉबी लंगर लगाने के अलावा डेड बॉडी वाहन भी चलाते हैं. शव वाहन चलाने के दौरान बॉबी को कुछ ऐसे अनुभव हुए थे जिन्होंने बॉबी की नींद उड़ा दी थी. शिमला के कैंसर अस्पताल को बॉबी किसी कब्रिस्तान से कम नहीं मानते. जब बॉबी ने अस्पताल में सेवाओं का हाल देखा तो उन्हें एहसास हुआ कि हम आज भी सुविधाओं को लेकर कितने पिछड़े हुए हैं. अस्पताल में एक चाय की दुकान तक नहीं है. बॉबी चाहते थे कि मरीज को सुबह की एक कप चाय तो जरूर मिलनी चाहिए इसलिए बॉबी ने अस्पताल में हिमाचल की पहली निशुल्क कैंटीन सुविधा शुरू की. कैंटीन में मरीजों को सुबह की चाय के साथ बिस्किट देने की निशुल्क सेवा शुरू की गई.
भूखे को खाना खिलाने की अपील
बॉबी मानते हैं कि गरीब का मुंह गुरु का गुल्लक होता है यानी अगर भूखे को खाना खिलाया जाए तो वह सीधे गुरु की सेवा होती है. बॉबी लोगों से भी यही अपील करते हैं कि मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारे या चर्च में दान देने के बजाय अस्पताल में दान दिया जाए. आज अगर गूगल पर कोई बॉबी के बारे में जानना चाहता है तो सिर्फ वेला बॉबी सर्च करने से लोग बॉबी को स्कूल, कॉलेज और बड़े-बड़े मंचों पर भुखमरी के खिलाफ कर रहे कार्यों के बारे में बोलते हुए देख जाएंगे.
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