ETV Bharat / state

हिमाचल में पाए जाते हैं 3 जहरीले सांप, काटे जाने पर मेडिसिन इलाज को दें तवज्जो - snakebite death

हिमाचल प्रदेश के आईजीएमसी अस्पताल शिमला में हर साल सर्पदंश के 60-70 मामले सामने आते हैं. यह मामले ज्यादातर मैदानी इलाकों से रेफर किए गए होते हैं. हिमाचल में सांपों की 35 प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें से सिर्फ 3 सांप जहरीले होते हैं, जिनके काटने से इंसान की जान को खतरा होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मरीज को सही समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है. डॉक्टर्स का कहना है कि सर्पदंश के मामले में झाड़ फूंक से इलाज करवाना मरीज की जान के साथ खिलवाड़ है.

Photo
फोटो
author img

By

Published : Jun 29, 2021, 2:16 PM IST

Updated : Jun 29, 2021, 4:44 PM IST

शिमला: मानसून की दस्तक के साथ ही किसान और बागवान खेतों और बगीचों के काम में जुट जाते हैं. इसी दौरान सांप भी जमीन पर निकल आते हैं. ऐसे में किसानों और बागवानों की जान को हमेशा खतरा बना रहता है. हर साल सर्पदंश के दर्जनों मामले अस्पताल आते हैं. अगर समय पर इलाज न मिले तो व्यक्ति की मौत हो जाती है. आईजीएमसी मेडिसिन विभाग में हर साल 60 से 70 मामले सर्पदंश के आते हैं. सबसे अधिक मामले 108 एंबुलेंस के माध्यम से ही अस्पताल पहुंचते हैं.

हिमाचल में पाए जाते हैं 3 जहरीले सांप

दुनिया भर में सांपों की 3,900 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसमें से 270 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं. हिमाचल में सिर्फ 35 प्रजातियां ही पाई जाती हैं. इनमें से मुख्यता 3 प्रकार के सांप ही जहरीले होते हैं. कॉमन करेट, कोबरा और वाइपर सांप इतने जहरीले होते हैं कि इनके काटने से व्यक्ति की मौत हो जाती है. बाकी सांप इतने जहरीले नहीं होते हैं. अगर थोड़ी सावधानी बरती जाए और समय पर अस्पताल पहुंचाया जाए तो व्यक्ति बच सकता है.

वीडियो रिपोर्ट.

असुरक्षित महसूस होने पर काटते हैं सांप

वन विभाग के विशेषज्ञ डीएफओ राजेश शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अधिकतर प्रजातियां हिमाचल के मैदानी इलाकों जैसे हमीरपुर, मंडी, ऊना, कांगड़ा में पाई जाती हैं. पहाड़ी इलाको में दो ही सांप पाए जाते हैं. इसमें हिमालयन पिट वाइपर और नॉर्दर्न पिट वाइपर सांप यहां होते हैं. राजेश ने बताया कि खेत मे काम करने वाले किसान को सांप खुद नहीं काटता लेकिन जब सांप असुरक्षित महसूस करता है तो अपने बचाव में काटता है. यदि हम सांप को न छेड़ें तो वह इंसान को नहीं काटते हैं.

झाड़ फूंक से न करवाएं सर्पदंश का इलाज

आइजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉक्टर राहुल गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया की आईजीएमसी में रेफर केस ही आते हैं. बीते साल 23 मामले आए थे. उनका कहना था कि शिमला में सर्पदंश के मामले सुन्नी इलाके के आसपास से ही आते हैं, जबकि अन्य मरीज मैदानी इलाके से ही आते हैं. उनका कहना था कि 95 फीसदी सांप नॉन प्वॉइजनिंग होते हैं, जबकि 5 फीसदी ही जहरीले होते हैं. इसमें कोबरा, करेट और वाइपर ही जहरीले होते हैं. उनका कहना था कि यदि सांप किसी को काटता है तो झाड़ फूंक में न पड़कर सीधे अस्पताल आकर इलाज करवाएं. इसका इलाज निशुल्क है.

मानसिक रूप से भी परेशान हो जाते हैं मरीज

आईजीएमसी में मनोचिकित्सा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर देवेश शर्मा ने बताया कि सांप के काटने के बाद व्यक्ति मानसिक रूप से घबरा जाता है और मनमर्जी से इलाज करने लगता है. उनका कहना था कि सांप के काटने के बाद व्यक्ति को घबराना नहीं चाहिए और बिना घरेलू नुकसान के तुरंत अस्पताल जाना चाहिए. उनका कहना था कि सर्पदंश से रिकवर होने के बाद भी व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हो सकता है. अगर किसी के साथ ऐसा हो रहा है तो तुरंत मनोचिकित्सक के पास जा कर इलाज करवाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: शहीद की जयंती! देवभूमि हिमाचल का वो शूरवीर, जिसने कारगिल युद्ध में पाई थी पहली शहादत

शिमला: मानसून की दस्तक के साथ ही किसान और बागवान खेतों और बगीचों के काम में जुट जाते हैं. इसी दौरान सांप भी जमीन पर निकल आते हैं. ऐसे में किसानों और बागवानों की जान को हमेशा खतरा बना रहता है. हर साल सर्पदंश के दर्जनों मामले अस्पताल आते हैं. अगर समय पर इलाज न मिले तो व्यक्ति की मौत हो जाती है. आईजीएमसी मेडिसिन विभाग में हर साल 60 से 70 मामले सर्पदंश के आते हैं. सबसे अधिक मामले 108 एंबुलेंस के माध्यम से ही अस्पताल पहुंचते हैं.

हिमाचल में पाए जाते हैं 3 जहरीले सांप

दुनिया भर में सांपों की 3,900 प्रजातियां पाई जाती हैं. इसमें से 270 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं. हिमाचल में सिर्फ 35 प्रजातियां ही पाई जाती हैं. इनमें से मुख्यता 3 प्रकार के सांप ही जहरीले होते हैं. कॉमन करेट, कोबरा और वाइपर सांप इतने जहरीले होते हैं कि इनके काटने से व्यक्ति की मौत हो जाती है. बाकी सांप इतने जहरीले नहीं होते हैं. अगर थोड़ी सावधानी बरती जाए और समय पर अस्पताल पहुंचाया जाए तो व्यक्ति बच सकता है.

वीडियो रिपोर्ट.

असुरक्षित महसूस होने पर काटते हैं सांप

वन विभाग के विशेषज्ञ डीएफओ राजेश शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अधिकतर प्रजातियां हिमाचल के मैदानी इलाकों जैसे हमीरपुर, मंडी, ऊना, कांगड़ा में पाई जाती हैं. पहाड़ी इलाको में दो ही सांप पाए जाते हैं. इसमें हिमालयन पिट वाइपर और नॉर्दर्न पिट वाइपर सांप यहां होते हैं. राजेश ने बताया कि खेत मे काम करने वाले किसान को सांप खुद नहीं काटता लेकिन जब सांप असुरक्षित महसूस करता है तो अपने बचाव में काटता है. यदि हम सांप को न छेड़ें तो वह इंसान को नहीं काटते हैं.

झाड़ फूंक से न करवाएं सर्पदंश का इलाज

आइजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉक्टर राहुल गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया की आईजीएमसी में रेफर केस ही आते हैं. बीते साल 23 मामले आए थे. उनका कहना था कि शिमला में सर्पदंश के मामले सुन्नी इलाके के आसपास से ही आते हैं, जबकि अन्य मरीज मैदानी इलाके से ही आते हैं. उनका कहना था कि 95 फीसदी सांप नॉन प्वॉइजनिंग होते हैं, जबकि 5 फीसदी ही जहरीले होते हैं. इसमें कोबरा, करेट और वाइपर ही जहरीले होते हैं. उनका कहना था कि यदि सांप किसी को काटता है तो झाड़ फूंक में न पड़कर सीधे अस्पताल आकर इलाज करवाएं. इसका इलाज निशुल्क है.

मानसिक रूप से भी परेशान हो जाते हैं मरीज

आईजीएमसी में मनोचिकित्सा विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर देवेश शर्मा ने बताया कि सांप के काटने के बाद व्यक्ति मानसिक रूप से घबरा जाता है और मनमर्जी से इलाज करने लगता है. उनका कहना था कि सांप के काटने के बाद व्यक्ति को घबराना नहीं चाहिए और बिना घरेलू नुकसान के तुरंत अस्पताल जाना चाहिए. उनका कहना था कि सर्पदंश से रिकवर होने के बाद भी व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हो सकता है. अगर किसी के साथ ऐसा हो रहा है तो तुरंत मनोचिकित्सक के पास जा कर इलाज करवाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: शहीद की जयंती! देवभूमि हिमाचल का वो शूरवीर, जिसने कारगिल युद्ध में पाई थी पहली शहादत

Last Updated : Jun 29, 2021, 4:44 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.