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कौन बनेगा सीएम जयराम का तारणहार, क्या महेंद्र सिंह के कंधे पर डाली जाएगी मंडी फतह की जिम्मेदारी

रामस्वरूप शर्मा के दुखद निधन के बाद खाली हुई मंडी लोकसभा सीट का उपचुनाव सिर पर है. अब सवाल ये उठ रहा है कि इस सीट से बीजेपी का उम्मीदवार कौन होगा. कई चेहरे टिकट की रेस में हैं. सबसे ज्यादा अटकलें महेंद्र सिंह ठाकुर के नाम की लगाई जा रही हैं. वहीं, प्रवीण शर्मा, करगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर, अजय राणा के नामों को लेकर भी चर्चाओं का दौर गर्म हैं. इन नामों में एक नाम कंगना का भी है.

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Published : Jun 10, 2021, 7:44 PM IST

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फोटो.

शिमला: रामस्वरूप शर्मा के दुखद निधन के बाद खाली हुई मंडी लोकसभा सीट का उपचुनाव सिर पर है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए मंडी सीट पर जीत प्रतिष्ठा का सवाल है. अपने गृह जिला की इस सीट पर भाजपा की हार-जीत जयराम ठाकुर का राजनीतिक भविष्य तय करेगी. मंडी लोकसभा सीट की जंग में जीत का पहला पड़ाव टिकट वितरण होगा.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर यहां इस मोर्चे पर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. यही कारण है कि मंडी से टिकट के लिए उनके विश्वस्त सहयोगी और सबसे पॉवरफुल कैबिनेट मिनिस्टर महेंद्र सिंह ठाकुर का नाम चर्चा में है. महेंद्र सिंह ठाकुर के नाम की चर्चा इसलिए भी है कि वे चुनावी गणित और चुनाव प्रबंधन के माहिर माने जाते हैं. महेंद्र सिंह के नाम ये रिकॉर्ड है कि उन्होंने अलग-अलग समय में अलग-अलग चिन्ह पर विधानसभा चुनाव जीता है. इसके अलावा पार्टी ने जिस भी चुनाव के लिए उन्हें प्रभारी नियुक्त किया, वो चुनाव भाजपा कभी नहीं हारी.

अब जयराम सरकार के कार्यकाल का अंतिम पड़ाव है और इस दौरान एंटी इन्कम्बेंसी फैक्टर भी प्रभावी होने लगता है, लिहाजा सीएम भी कोई रिस्क नहीं उठाना चाहते, लेकिन महेंद्र सिंह ठाकुर के नाम को आगे करने पर और कई राजनीतिक उलझनें बढ़ेंगी. मसलन, यदि महेंद्र सिंह अपनी सीट छोड़ते हैं तो जीतने पर एक और उपचुनाव पार्टी के सिर पर खड़ा हो जाएगा. अथवा धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के महेंद्र सिंह का राजनीतिक वारिस कौन होगा. क्या उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट मिलेगा?

ब्राह्मण फैक्टर और ब्रिगेडियर खुशाल सिंह

मंडी सीट से रामस्वरूप शर्मा सांसद थे. दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में उन्होंने मौत को गले लगा लिया. रामस्वरूप शर्मा दूसरी बार सांसद बने थे. मंडी सीट पर ब्राह्मण फैक्टर भी प्रभावी रहता है. यदि मुख्यमंत्री इस फैक्टर को तवज्जो देते हैं और युवा चेहरे प्रवीण शर्मा रेस में आते हैं तो अलग समीकरण बन जाएंगे. प्रवीण शर्मा उच्च शिक्षित और समर्पित पार्टी कार्यकर्ता हैं.

अपने साथियों व पार्टी कार्यकर्ताओं में वे पिन्नू के नाम से लोकप्रिय हैं. उनके नाम की भी चर्चा चलती रहती है, लेकिन एक युवा चेहरे पर दांव लगाने से पहले कई बातों पर ध्यान दिया जाएगा. फिर यहां एक और फैक्टर काम कर रहा है और वो खेमा फैक्टर है. इसी सिलसिले में एक नाम करगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशाल सिंह का भी है. वे भी मजबूत प्रत्याशी हो सकते हैं.

करगिल हीरो का तमगा उनके सीने पर है और मंडी लोकसभा सीट में पूर्व सैनिकों की भी खासी संख्या है. फिर ब्रिगेडियर खुशाल सिंह का अपना भी मजबूत आभामंडल है, लेकिन ये भी सियासी मजबूरी है कि मजबूत नाम और ताकतवर चेहरों को राजनीति में अकसर कांटों भरे रास्ते मिलते हैं. इसके अलावा एक और नाम संघ के समर्पित कार्यकर्ता अजय राणा का भी चर्चा में रहता है. हालांकि अजय राणा के नाम को लेकर संघ की अंदरूनी प्रक्रिया की जानकारी रखने वाले कहते हैं कि होल टाइमर के लिए चुनाव लड़ने के कुछ नियम हैं.

कंगना रनौत

वहीं, सोशल मीडिया पर कंगना रनौत के नाम को लेकर भी चर्चा होती रहती है. बीते साल मुंबई में कंगना के ऑफिस पर हुई कार्रवाई के बाद उनके परिवार ने बीजेपी की सदस्यता भी ली थी. इसके साथ ही सीएम समेत कई बीजेपी के नेताओं को उन्होंने भाई की शादी का आमंत्रण भी दिया था. कंगना सोशल मीडिया पर बीजेपी का समर्थन करने के साथ-साथ कांग्रेस पर तंज कसती हुई नजर आती हैं. आज ही उन्होंने अपने आप को हॉट संघी भी बताया था. हालांकि कंगना के टिकट की चर्चा सोशल मीडिया पर ही है. पार्टी ने कभी इस पर कोई बात नहीं की है और ना ही कंगना बीजेपी के किसी नेता और ना ही पार्टी के किसी कार्यक्रम में दिखी हैं. लंबे समय से पार्टी के साथ जुड़े कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर कंगना को टिकट देना बीजेपी को शायद ही रास आएगा.

शर्मा का परिवार राजनीति से दूर

दिवंगत सांसद रामस्वरूप शर्मा का परिवार सक्रिय राजनीति से कमोबेश दूर है. उनके बेटों की कोई खास राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है. परिवार के किसी सदस्य ने सार्वजनिक रूप से टिकट की मांग भी नहीं की है. ये बात सही है कि सांसद रामस्वरूप शर्मा को पीएम नरेंद्र मोदी पसंद करते थे और 2014 में उनके लिए प्रचार भी किया था. मंडी सीट पर पीएम मोदी की भी खास नजर रहेगी. ऐसे में सीएम जयराम ठाकुर इस सीट पर रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल करना चाहेंगे. इसके लिए सबसे पहली सीढ़ी मजबूत प्रत्याशी का चयन होगा. देखना है कि टिकट की ये लॉटरी किसके नाम निकलती है.

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शिमला: रामस्वरूप शर्मा के दुखद निधन के बाद खाली हुई मंडी लोकसभा सीट का उपचुनाव सिर पर है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए मंडी सीट पर जीत प्रतिष्ठा का सवाल है. अपने गृह जिला की इस सीट पर भाजपा की हार-जीत जयराम ठाकुर का राजनीतिक भविष्य तय करेगी. मंडी लोकसभा सीट की जंग में जीत का पहला पड़ाव टिकट वितरण होगा.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर यहां इस मोर्चे पर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. यही कारण है कि मंडी से टिकट के लिए उनके विश्वस्त सहयोगी और सबसे पॉवरफुल कैबिनेट मिनिस्टर महेंद्र सिंह ठाकुर का नाम चर्चा में है. महेंद्र सिंह ठाकुर के नाम की चर्चा इसलिए भी है कि वे चुनावी गणित और चुनाव प्रबंधन के माहिर माने जाते हैं. महेंद्र सिंह के नाम ये रिकॉर्ड है कि उन्होंने अलग-अलग समय में अलग-अलग चिन्ह पर विधानसभा चुनाव जीता है. इसके अलावा पार्टी ने जिस भी चुनाव के लिए उन्हें प्रभारी नियुक्त किया, वो चुनाव भाजपा कभी नहीं हारी.

अब जयराम सरकार के कार्यकाल का अंतिम पड़ाव है और इस दौरान एंटी इन्कम्बेंसी फैक्टर भी प्रभावी होने लगता है, लिहाजा सीएम भी कोई रिस्क नहीं उठाना चाहते, लेकिन महेंद्र सिंह ठाकुर के नाम को आगे करने पर और कई राजनीतिक उलझनें बढ़ेंगी. मसलन, यदि महेंद्र सिंह अपनी सीट छोड़ते हैं तो जीतने पर एक और उपचुनाव पार्टी के सिर पर खड़ा हो जाएगा. अथवा धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र के महेंद्र सिंह का राजनीतिक वारिस कौन होगा. क्या उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट मिलेगा?

ब्राह्मण फैक्टर और ब्रिगेडियर खुशाल सिंह

मंडी सीट से रामस्वरूप शर्मा सांसद थे. दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में उन्होंने मौत को गले लगा लिया. रामस्वरूप शर्मा दूसरी बार सांसद बने थे. मंडी सीट पर ब्राह्मण फैक्टर भी प्रभावी रहता है. यदि मुख्यमंत्री इस फैक्टर को तवज्जो देते हैं और युवा चेहरे प्रवीण शर्मा रेस में आते हैं तो अलग समीकरण बन जाएंगे. प्रवीण शर्मा उच्च शिक्षित और समर्पित पार्टी कार्यकर्ता हैं.

अपने साथियों व पार्टी कार्यकर्ताओं में वे पिन्नू के नाम से लोकप्रिय हैं. उनके नाम की भी चर्चा चलती रहती है, लेकिन एक युवा चेहरे पर दांव लगाने से पहले कई बातों पर ध्यान दिया जाएगा. फिर यहां एक और फैक्टर काम कर रहा है और वो खेमा फैक्टर है. इसी सिलसिले में एक नाम करगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशाल सिंह का भी है. वे भी मजबूत प्रत्याशी हो सकते हैं.

करगिल हीरो का तमगा उनके सीने पर है और मंडी लोकसभा सीट में पूर्व सैनिकों की भी खासी संख्या है. फिर ब्रिगेडियर खुशाल सिंह का अपना भी मजबूत आभामंडल है, लेकिन ये भी सियासी मजबूरी है कि मजबूत नाम और ताकतवर चेहरों को राजनीति में अकसर कांटों भरे रास्ते मिलते हैं. इसके अलावा एक और नाम संघ के समर्पित कार्यकर्ता अजय राणा का भी चर्चा में रहता है. हालांकि अजय राणा के नाम को लेकर संघ की अंदरूनी प्रक्रिया की जानकारी रखने वाले कहते हैं कि होल टाइमर के लिए चुनाव लड़ने के कुछ नियम हैं.

कंगना रनौत

वहीं, सोशल मीडिया पर कंगना रनौत के नाम को लेकर भी चर्चा होती रहती है. बीते साल मुंबई में कंगना के ऑफिस पर हुई कार्रवाई के बाद उनके परिवार ने बीजेपी की सदस्यता भी ली थी. इसके साथ ही सीएम समेत कई बीजेपी के नेताओं को उन्होंने भाई की शादी का आमंत्रण भी दिया था. कंगना सोशल मीडिया पर बीजेपी का समर्थन करने के साथ-साथ कांग्रेस पर तंज कसती हुई नजर आती हैं. आज ही उन्होंने अपने आप को हॉट संघी भी बताया था. हालांकि कंगना के टिकट की चर्चा सोशल मीडिया पर ही है. पार्टी ने कभी इस पर कोई बात नहीं की है और ना ही कंगना बीजेपी के किसी नेता और ना ही पार्टी के किसी कार्यक्रम में दिखी हैं. लंबे समय से पार्टी के साथ जुड़े कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर कंगना को टिकट देना बीजेपी को शायद ही रास आएगा.

शर्मा का परिवार राजनीति से दूर

दिवंगत सांसद रामस्वरूप शर्मा का परिवार सक्रिय राजनीति से कमोबेश दूर है. उनके बेटों की कोई खास राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है. परिवार के किसी सदस्य ने सार्वजनिक रूप से टिकट की मांग भी नहीं की है. ये बात सही है कि सांसद रामस्वरूप शर्मा को पीएम नरेंद्र मोदी पसंद करते थे और 2014 में उनके लिए प्रचार भी किया था. मंडी सीट पर पीएम मोदी की भी खास नजर रहेगी. ऐसे में सीएम जयराम ठाकुर इस सीट पर रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल करना चाहेंगे. इसके लिए सबसे पहली सीढ़ी मजबूत प्रत्याशी का चयन होगा. देखना है कि टिकट की ये लॉटरी किसके नाम निकलती है.

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