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अद्भुत हिमाचल: इस समाधि में पानी की बूंदे डालने पर होती है बारिश!

हिमाचल को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता. देवी देवताओं की इस धरती के साथ कई किस्से कहानियां जुड़ी हुई हैं. ऐसी कई लोककथाएं है जो हिमाचल को देवभूमि का दर्जा देती हैं. वहीं, ऋषि मनु पराशर और जमद्गनी ऋषियों ने भी अपने तप से इस धरा का तेज बढाया.

कटेरी शिव मंदिर
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Published : Jan 5, 2021, 4:59 PM IST

पांवटा साहिब: पांडवों के वनवास काल से जुड़े कई किस्से आज भी लोगों की जुबानी सुने जा सकते हैं. ईटीवी भारत की खास सीरीज अद्भुत हिमाचल में आज आपको एक अद्भुत शिव मंदिर से जुड़े किस्से के बारे में बताएंगे.

प्राचीन शिव मंदिर सिरमौर के पांवटा साहिब उपमंडल के कोटड़ी व्यास गांव में है. मान्यता है कि वनवास पर निकले पांडव यहां रुके थे और इस मंदिर में बनी बावड़ी में स्नान किया था. तब से लेकर लोग एकादशी के पवित्र दिन यहां स्नान करते हैं.

वीडियो

वहीं, यहां की एक पुरानी कहानी यह भी है कि इस जंगल में तपस्वी आपस में हंस रहे थे. इसी दौरान अचानक एक महिला यहां बनी बावड़ी से पानी लेने के लिए गुजरी. महिला को लगा कि तपस्वी उस पर हंस रहे हैं. ये बात महिला ने अपने पति को बताई.

महिला के पति ने तपस्वियों को बुरा भला कहा. तपस्वी अपना अपमान सह नहीं सके. क्रोध में आकर तपस्वियों ने समाधी ले ली. इसके बाद से यहां सूखा पड़ गया. इसके बाद व्यास ऋषि यहां तपस्या करने आए उसके बाद से यहां का सूखा खत्म हुआ. जब भी यहां सूखा पड़ता है तो बारिश के लिए लोग इस समाधि में पानी की बूंदें डालते हैं.

लोगों का मानना है कि ऐसा करने से बारिश होती है. एक समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती थी, लेकिन आज प्रशासन और सरकारों की बेरुखी के चलते यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम हो चुकी है.

पांवटा साहिब: पांडवों के वनवास काल से जुड़े कई किस्से आज भी लोगों की जुबानी सुने जा सकते हैं. ईटीवी भारत की खास सीरीज अद्भुत हिमाचल में आज आपको एक अद्भुत शिव मंदिर से जुड़े किस्से के बारे में बताएंगे.

प्राचीन शिव मंदिर सिरमौर के पांवटा साहिब उपमंडल के कोटड़ी व्यास गांव में है. मान्यता है कि वनवास पर निकले पांडव यहां रुके थे और इस मंदिर में बनी बावड़ी में स्नान किया था. तब से लेकर लोग एकादशी के पवित्र दिन यहां स्नान करते हैं.

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वहीं, यहां की एक पुरानी कहानी यह भी है कि इस जंगल में तपस्वी आपस में हंस रहे थे. इसी दौरान अचानक एक महिला यहां बनी बावड़ी से पानी लेने के लिए गुजरी. महिला को लगा कि तपस्वी उस पर हंस रहे हैं. ये बात महिला ने अपने पति को बताई.

महिला के पति ने तपस्वियों को बुरा भला कहा. तपस्वी अपना अपमान सह नहीं सके. क्रोध में आकर तपस्वियों ने समाधी ले ली. इसके बाद से यहां सूखा पड़ गया. इसके बाद व्यास ऋषि यहां तपस्या करने आए उसके बाद से यहां का सूखा खत्म हुआ. जब भी यहां सूखा पड़ता है तो बारिश के लिए लोग इस समाधि में पानी की बूंदें डालते हैं.

लोगों का मानना है कि ऐसा करने से बारिश होती है. एक समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती थी, लेकिन आज प्रशासन और सरकारों की बेरुखी के चलते यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कम हो चुकी है.

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