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स्पीति की पहाड़ियों में दिखे बर्फानी तेंदुए, कैमरे में कैद हुई तस्वीरें

स्पीति घाटी के किब्बर चिचम के अलावा काजा के साथ सटी पहाड़ियों पर विलुप्त श्रेणी में दर्ज वन्य प्राणी बर्फानी तेंदुए दिखाई दे रहे हैं. सैकड़ों पर्यटक इन दिनों बर्फानी तेंदुओं को देखने के लिए घाटी में पहुंच रहे हैं.

Snow leopard
स्पीति की पहाड़ियों में दिखे बर्फानी तेंदुए
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Published : Feb 15, 2020, 5:01 PM IST

शिमला: जनजातीय जिला लाहौल स्पीति की पहाड़ियों में स्नो लेपर्ड (बर्फानी तेंदुए) देखने को मिल रहे हैं. घाटी के किब्बर चिचम के अलावा काजा के साथ सटी पहाड़ियों पर विलुप्त श्रेणी में दर्ज वन्य प्राणी बर्फानी तेंदुए दिखाई दे रहे हैं. सैकड़ों पर्यटक इन दिनों बर्फानी तेंदुओं को देखने के लिए स्पीति घाटी में पहुंच रहे हैं.

स्पीति की पिन वैली, नेशनल पार्क, चंद्रताल वाइड लाइफ सेंक्चुअरी और किब्बर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में स्थापित कैमरों में बर्फानी तेंदुओं की गतिविधियां कैद हो रही हैं. वन विभाग ने स्नो लेपर्ड की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए कई जगहों पर कैमरे लगाए हैं.

बता दें कि पिछले वर्ष भी स्पीति घाटी में करीब 35 तेंदुए कैमरे में कैद हुए थे. विलुप्त हो रही प्रजाति में शामिल बर्फानी तेंदुओं की तादाद बढ़ने के पीछे ठंडे क्षेत्रों में पाए जाने वाले आइबेक्स और ब्लूशिप जैसे जानवरों की संख्या बढ़ना है. यह जानवर इन चरागाहों में काफी संख्या में पाए जाते हैं.

वन विभाग ने 2012 में प्रोजेक्ट स्नो लैपर्ड के जरिए बर्फानी तेंदुओं के प्राकृतिक आवास को संरक्षित रखने का प्रयास शुरू किया था, तब इस घाटी में मात्र चार बर्फानी तेंदुए देखे गए थे, लेकिन अब स्पीति के बाहर लाहौल घाटी में भी इनकी संख्या बढ़ रही है.

वीडियो.

स्पीति घाटी में किब्बर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी सबसे बड़ी है. इसका क्षेत्रफल 2200 वर्ग किलोमीटर तक फैला है. कुल्लू को लाहौल से जोड़ने वाली पिन वैली की वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी 675 वर्ग किमी है, जबकि चंद्रताल सेंक्चुअरी 50 वर्ग किलोमीटर तक फैली है.

गौर हो कि बर्फानी तेंदुए की संख्या दिनों दिन घट रही है. देश के करीब 13 देशों में इसके संरक्षण के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं. भारत के पांच राज्यों हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में यह पाए जाते हैं. बर्फानी तेंदुए बिग कैट परिवार की बड़ी प्रजाति है, जो हिमालय की ऊंची पहाड़ियों में पाई जाती है.

देश में इनकी संख्या करीब 500 के आसपास है. एक अनुमान के अनुसार हिमाचल में इनकी संख्या 100 तक पहुंच गई है, हालांकि हिमाचल में कितने स्नो लेपर्ड हैं इसका पूरा पता इनकी गणना के बाद ही पता चल सकेगा.

ये भी पढ़ें: स्वास्थ्य जांच के लिए PGI चंडीगढ़ पहुंचे सीएम जयराम, कार्डिएक सेंटर में करवाया चेकअप

शिमला: जनजातीय जिला लाहौल स्पीति की पहाड़ियों में स्नो लेपर्ड (बर्फानी तेंदुए) देखने को मिल रहे हैं. घाटी के किब्बर चिचम के अलावा काजा के साथ सटी पहाड़ियों पर विलुप्त श्रेणी में दर्ज वन्य प्राणी बर्फानी तेंदुए दिखाई दे रहे हैं. सैकड़ों पर्यटक इन दिनों बर्फानी तेंदुओं को देखने के लिए स्पीति घाटी में पहुंच रहे हैं.

स्पीति की पिन वैली, नेशनल पार्क, चंद्रताल वाइड लाइफ सेंक्चुअरी और किब्बर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी में स्थापित कैमरों में बर्फानी तेंदुओं की गतिविधियां कैद हो रही हैं. वन विभाग ने स्नो लेपर्ड की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए कई जगहों पर कैमरे लगाए हैं.

बता दें कि पिछले वर्ष भी स्पीति घाटी में करीब 35 तेंदुए कैमरे में कैद हुए थे. विलुप्त हो रही प्रजाति में शामिल बर्फानी तेंदुओं की तादाद बढ़ने के पीछे ठंडे क्षेत्रों में पाए जाने वाले आइबेक्स और ब्लूशिप जैसे जानवरों की संख्या बढ़ना है. यह जानवर इन चरागाहों में काफी संख्या में पाए जाते हैं.

वन विभाग ने 2012 में प्रोजेक्ट स्नो लैपर्ड के जरिए बर्फानी तेंदुओं के प्राकृतिक आवास को संरक्षित रखने का प्रयास शुरू किया था, तब इस घाटी में मात्र चार बर्फानी तेंदुए देखे गए थे, लेकिन अब स्पीति के बाहर लाहौल घाटी में भी इनकी संख्या बढ़ रही है.

वीडियो.

स्पीति घाटी में किब्बर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी सबसे बड़ी है. इसका क्षेत्रफल 2200 वर्ग किलोमीटर तक फैला है. कुल्लू को लाहौल से जोड़ने वाली पिन वैली की वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी 675 वर्ग किमी है, जबकि चंद्रताल सेंक्चुअरी 50 वर्ग किलोमीटर तक फैली है.

गौर हो कि बर्फानी तेंदुए की संख्या दिनों दिन घट रही है. देश के करीब 13 देशों में इसके संरक्षण के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं. भारत के पांच राज्यों हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में यह पाए जाते हैं. बर्फानी तेंदुए बिग कैट परिवार की बड़ी प्रजाति है, जो हिमालय की ऊंची पहाड़ियों में पाई जाती है.

देश में इनकी संख्या करीब 500 के आसपास है. एक अनुमान के अनुसार हिमाचल में इनकी संख्या 100 तक पहुंच गई है, हालांकि हिमाचल में कितने स्नो लेपर्ड हैं इसका पूरा पता इनकी गणना के बाद ही पता चल सकेगा.

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