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केंद्र सरकार के आदेश के बाद भी शहरी क्षेत्रों में नहीं खुली दुकानें, व्यापारी सरकार से नाखुश

केंद्र सरकार के आदेश के बाद भी हिमाचल के शहरी क्षेत्रों में प्रदेश सरकार की ओर से दुकानें खोलने की अनुमति नहीं मिली. प्रदेश सरकार के निर्णय से नाखुश व्यापारी वर्ग की ओर से शिमला व्यापार मंडल ने प्रशासन से जोन वाइज दुकानें खोलने की मांग की है. वहीं, लॉकडाउन से परेशान व्यापारी वर्ग को सरकार से भी कोई सहायता नहीं मिल रही है.

market closed due to lockdown
तालाबंदी के कारण बाजार बंद
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Published : Apr 27, 2020, 10:17 PM IST

शिमला : कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार ने सशर्त सभी क्षेत्रों में छूट दी दे है, लेकिन प्रदेश सरकार के लिए गए निर्णय से अब व्यापारी वर्ग मायूस नजर आ रहा है.

राज्य सरकार ने भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि से लेकर निजी निर्माण कार्यों और सभी दुकानों को सशर्त खोलने के अनुमति दे दी हो, लेकिन शहरी क्षेत्रों यानी नगर निगम और नगर परिषद की परिधि में आने वाली दुकानों को खोलने अनुमति नहीं दी है.

प्रशासन के नए आदेश के तहत इन क्षेत्रों में अभी भी लॉकडाउन का निर्णय जैसा है वैसा ही रहेगा. प्रशासन के इस निर्णय को लेकर शिमला व्यापार मंडल ने विरोध करना शुरु कर दिया है और प्रशासन से शहरी क्षेत्रों में भी सभी तरह की दुकानों को खोलने के आदेश देने की मांग की है.

वीडियो रिपोर्ट.

शिमला व्यापार मंडल के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते 22 मार्च से लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में सभी तरह की दुकानों को पूरी तरह से बंद रखने के आदेश हैं, लेकिन 32 दिनों बाद केंद्र सरकार ने सभी तरह को दुकानों को खोलने के आदेश के बाद भी राज्य सरकार द्वारा सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में दुकानें खोलने के आदेश दिए हैं.

जबकि शहरी क्षेत्रों में सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की दुकानें खोलने का निर्णय लिया है, जो सही निर्णय नहीं है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते प्रत्येक व्यापारी वर्ग परेशान है. ऐसे में एक माह से ज्यादा समय बीत जाने के बाद उनकी एक रुपए की आमदनी नहीं हो पाई है.

market closed due to lockdown
केंद्र सरकार के आदेश के बाद भी शहरी क्षेत्रों में नहीं खुली दुकानें

वहीं, दुकानों में काम करने वाले कामगारों का वेतन और बैंक किश्त के साथ इएमआई चुकानी पड़ रही है. जिससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है, लेकिन सरकार की ओर से व्यापारी वर्ग की किसी तरह की कोई सहायता नहीं कि जा रही है.

हालांकि इसके अलावा दुकानदारों को एवरेज के आधार पर बिजली के बिल भी जारी कर दिए हैं, जिससे आर्थिक बोझ का भार और बढ़ गया है. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि लॉकडाउन के दौरान सभी वर्ग का ध्यान रखते हुए निर्णय लिया जाना चाहिए.

साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी सभी तरह की दुकानों को जोन वाइज खोलनी की अनुमति दी जानी चाहिए, जिससे व्यापारी वर्ग का आर्थिक भार कम हो सके. गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने नगर निगम और नगर निकाय क्षेत्रों में सरकार के पुराने आदेशों को लागू रखा है.

जिसमें मात्र आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को खोलने की अनुमति है जबकि बाकी सभी तरह की दुकानों को बंद रखने का निर्णय लिया है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सभी तरह की दुकानों को खोलने के आदेश दिए हैं. जिससे शहरी क्षेत्रों के व्यापारी प्रशासन के निर्णय से नाखुश हैं और प्रशासन से जोन वाईज दूकानें खोलने की मांग कर रहे हैं.

पढ़ेंः लॉकडाउन का साइड इफेक्ट: ऑनलाइन क्लास से टेंशन में अभिभावक! बच्चों की आंखों पर पड़ रहा असर

शिमला : कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार ने सशर्त सभी क्षेत्रों में छूट दी दे है, लेकिन प्रदेश सरकार के लिए गए निर्णय से अब व्यापारी वर्ग मायूस नजर आ रहा है.

राज्य सरकार ने भले ही ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि से लेकर निजी निर्माण कार्यों और सभी दुकानों को सशर्त खोलने के अनुमति दे दी हो, लेकिन शहरी क्षेत्रों यानी नगर निगम और नगर परिषद की परिधि में आने वाली दुकानों को खोलने अनुमति नहीं दी है.

प्रशासन के नए आदेश के तहत इन क्षेत्रों में अभी भी लॉकडाउन का निर्णय जैसा है वैसा ही रहेगा. प्रशासन के इस निर्णय को लेकर शिमला व्यापार मंडल ने विरोध करना शुरु कर दिया है और प्रशासन से शहरी क्षेत्रों में भी सभी तरह की दुकानों को खोलने के आदेश देने की मांग की है.

वीडियो रिपोर्ट.

शिमला व्यापार मंडल के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते 22 मार्च से लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में सभी तरह की दुकानों को पूरी तरह से बंद रखने के आदेश हैं, लेकिन 32 दिनों बाद केंद्र सरकार ने सभी तरह को दुकानों को खोलने के आदेश के बाद भी राज्य सरकार द्वारा सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में दुकानें खोलने के आदेश दिए हैं.

जबकि शहरी क्षेत्रों में सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की दुकानें खोलने का निर्णय लिया है, जो सही निर्णय नहीं है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते प्रत्येक व्यापारी वर्ग परेशान है. ऐसे में एक माह से ज्यादा समय बीत जाने के बाद उनकी एक रुपए की आमदनी नहीं हो पाई है.

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केंद्र सरकार के आदेश के बाद भी शहरी क्षेत्रों में नहीं खुली दुकानें

वहीं, दुकानों में काम करने वाले कामगारों का वेतन और बैंक किश्त के साथ इएमआई चुकानी पड़ रही है. जिससे उन पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है, लेकिन सरकार की ओर से व्यापारी वर्ग की किसी तरह की कोई सहायता नहीं कि जा रही है.

हालांकि इसके अलावा दुकानदारों को एवरेज के आधार पर बिजली के बिल भी जारी कर दिए हैं, जिससे आर्थिक बोझ का भार और बढ़ गया है. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि लॉकडाउन के दौरान सभी वर्ग का ध्यान रखते हुए निर्णय लिया जाना चाहिए.

साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी सभी तरह की दुकानों को जोन वाइज खोलनी की अनुमति दी जानी चाहिए, जिससे व्यापारी वर्ग का आर्थिक भार कम हो सके. गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने नगर निगम और नगर निकाय क्षेत्रों में सरकार के पुराने आदेशों को लागू रखा है.

जिसमें मात्र आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को खोलने की अनुमति है जबकि बाकी सभी तरह की दुकानों को बंद रखने का निर्णय लिया है. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सभी तरह की दुकानों को खोलने के आदेश दिए हैं. जिससे शहरी क्षेत्रों के व्यापारी प्रशासन के निर्णय से नाखुश हैं और प्रशासन से जोन वाईज दूकानें खोलने की मांग कर रहे हैं.

पढ़ेंः लॉकडाउन का साइड इफेक्ट: ऑनलाइन क्लास से टेंशन में अभिभावक! बच्चों की आंखों पर पड़ रहा असर

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