ETV Bharat / state

शिमला में रिवोली सुरंग की हालत दयनीय, टनल खराब होने से लोगों को हो रही परेशानी - riwoli tunnel

लोअर बाजार को लक्कड़ बाजार से जोड़ने वाली टनल की हालत खस्तहाल हो गई है. लेकिन इसे दुरूस्त करने के लिए कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया जा रहा है.

Shimla riwoli tunnel
author img

By

Published : Aug 24, 2019, 7:26 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला के लोअर बाजार को लक्कड़ बाजार से जोड़ने वाली रिवोली सुरंग खस्ताहाल में है. टनल में जगह-जगह पानी रिस रहा है. टनल में लगाई गई लाइट्स भी जगह-जगह खराब पड़ी है. इससे टनल में रोशनी न होने के कारण लोगों को खासकर महिलाओं और बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

बता दें कि ब्रिटिश हुकूमत में राजधानी शिमला में इस टनल का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था. ब्रिटिश हुकूमत ने शिमला को 1885 में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया. इसके बाद उन्होंने कालका-शिमला ट्रैक का निर्माण कर यहां 103 सुरंगों को बनाने के साथ ही दूसरी कई सुरंगें शहर के बीच भी बनवाई. ऐसी ही एक सुरंग का निर्माण लोअर बाजार को रिवोली लक्कड़ बाजार से जोड़ने के लिए साल 1905 में किया गया. इसे वर्तमान में रिवोली टनल के नाम से जाना जाता है.

वीडियो.

ब्रिटिश काल में जब इस टनल का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था, तो उस समय इसका इस्तेमाल घोड़ों के जरिए सामान ढुलाई के लिए किया जाता था. लेकिन आज आम जनता इस टनल का इस्तेमाल करती है. फिर भी इसकी हालत और सुधार की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

टनल का रिवोली की ओर का किनारा भी धंसने लगा है. इसके साथ लगे डंगे में दरारें आ गई हैं. जिसकी वजह से टनल के इस सिरे के दो एग्जिट पॉइंट्स में से एक को एहतियात के तौर पर बंद कर दिया गया है. वहीं, इस टनल की ऐतिहासिकता और इसके वजूद को बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है.

बता दें कि 500 मीटर लंबी और 10 फुट चौड़ी रिवोली टनल का जीर्णोद्धार साल 2000 में करवाया गया था. तब इस टनल में पानी की निकासी ओर रोशनी का उचित प्रबंध किया गया था. लेकिन आज इसके हालात को लेकर कोई भी कदम अब नहीं उठाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: अरुण जेटली का निधन: किडनी ट्रांसप्लांट के लिए हिमाचल के डॉक्टर पर जताया था जेटली ने भरोसा

शिमला: राजधानी शिमला के लोअर बाजार को लक्कड़ बाजार से जोड़ने वाली रिवोली सुरंग खस्ताहाल में है. टनल में जगह-जगह पानी रिस रहा है. टनल में लगाई गई लाइट्स भी जगह-जगह खराब पड़ी है. इससे टनल में रोशनी न होने के कारण लोगों को खासकर महिलाओं और बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

बता दें कि ब्रिटिश हुकूमत में राजधानी शिमला में इस टनल का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था. ब्रिटिश हुकूमत ने शिमला को 1885 में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया. इसके बाद उन्होंने कालका-शिमला ट्रैक का निर्माण कर यहां 103 सुरंगों को बनाने के साथ ही दूसरी कई सुरंगें शहर के बीच भी बनवाई. ऐसी ही एक सुरंग का निर्माण लोअर बाजार को रिवोली लक्कड़ बाजार से जोड़ने के लिए साल 1905 में किया गया. इसे वर्तमान में रिवोली टनल के नाम से जाना जाता है.

वीडियो.

ब्रिटिश काल में जब इस टनल का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था, तो उस समय इसका इस्तेमाल घोड़ों के जरिए सामान ढुलाई के लिए किया जाता था. लेकिन आज आम जनता इस टनल का इस्तेमाल करती है. फिर भी इसकी हालत और सुधार की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

टनल का रिवोली की ओर का किनारा भी धंसने लगा है. इसके साथ लगे डंगे में दरारें आ गई हैं. जिसकी वजह से टनल के इस सिरे के दो एग्जिट पॉइंट्स में से एक को एहतियात के तौर पर बंद कर दिया गया है. वहीं, इस टनल की ऐतिहासिकता और इसके वजूद को बचाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है.

बता दें कि 500 मीटर लंबी और 10 फुट चौड़ी रिवोली टनल का जीर्णोद्धार साल 2000 में करवाया गया था. तब इस टनल में पानी की निकासी ओर रोशनी का उचित प्रबंध किया गया था. लेकिन आज इसके हालात को लेकर कोई भी कदम अब नहीं उठाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: अरुण जेटली का निधन: किडनी ट्रांसप्लांट के लिए हिमाचल के डॉक्टर पर जताया था जेटली ने भरोसा

Intro:शिमला के लोअर बाज़ार को रिवोली लक्कड़ बाजार को जोड़ने वाली रिवोली सुरंग आज ख़स्ताहाल है। ब्रिटिश हकूमत में राजधानी शिमला ने इस टनल का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था। जब शिमला ने ब्रिटिश हकूमत ने अपने पैर पसारना शुरू किया और 1885 में उन्होंने राजधानी शिमला को अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। इसके बाद उन्होंने कालका-शिमला ट्रैक का निर्माण कर यहां 103 सुरंगों को बनाने के साथ ही अन्य क़ई सुरंगे शहर के बीच भी बनवाई। ऐसी ही एक सुरंग का निर्माण लोअर बाज़ार को रिवोली लक्कड़ बाजार से जोड़ने के लिए वर्ष 1905 में किया गया जो वर्तमान में भी रिवोली टनल के नाम से जानी जाती है। आज भी लक्कड़ बाजार से लोअर बाज़ार आने जाने के लिए अधिकतर लोग इसी टनल का इस्तेमाल करते है।


Body:ब्रिटिश काल मे जब इस टनल का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था तो उस समय इसका इस्तेमाल घोड़ों के जरिए सामान ढुलाई के लिए किया जाता था। अब आज के समय में आम जनता जब इस टनल का आने जाने के लिए इस्तेमाल करती है तो इसकी हालत और सुधार की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। टनल में जगह-जगह जहां पानी रिस रहा है वहीं इस टनल को रोशन करने के लिए जो लाइट्स लगाई गई है वह भी जगह जगह खराब पड़ी है।टनल में रोशनी ना होने से यहां से आने जाने वाले लोगों खासकर महिलाओं ओर बच्चों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब तो टनल का रिवोली की तरफ का किनारा भी धसने लगा ही। इसके साथ लगे डंगे में दरारें आ गई है जिसकी वजह से टनल के इस सिरे के दो एग्जिट पॉइंट्स में से एक को एतिहात के तौर पर बंद कर दिया गया है। इस टनल की ऐतिहासिकता ओर इसके वजूद को बचाने के लिए कोई कदम इसकी हालत को सुधारने के लिए नहीं उठाया जा रहा है।


Conclusion:बता दे की 500 मीटर लंबी ओर 10 फुट चौड़ी इस रिवोली टनल का जीर्णोद्धार वर्ष 2000 में करवाया गया था। तब इस टनल में पानी की निकासी ओर रोशनी का उचित प्रबंध किया गया था लेकिन आज फिर से यह टनल उसी हालत में आ गई है,लेकिन इसके हालात को लेकर कोई भी कदम अब नहीं उठाए जा रहे है। हालात अगर यही रहे तो राजधानी में नई सुरंगों का निर्माण तो दूर है लेकिन जो सुरंगे हमे विरासत के रूप में अंग्रेज दे गए है हम उन्हें भी सहेज कर नहीं रख पा रहे है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.