शिमला:पहाड़ों की रानी शिमला को इस सालगर्मियों में पानी की किल्लत से नहीं जूझना पड़ेगा. शहर के प्राकृतिक जल स्त्रोतों को गर्मियों से पहले ही दुरुस्त किया जा रहा है और इन स्त्रोतों के पानी को पीने योग्य बनाया जा रहा है.
शहर में पानी का जिम्मा संभाल रही शिमला जल प्रबंधन निगम का दावा है कि शहरवासियों को इस बार पानी की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा. इस बार सभी पेयजल स्त्रोतों में पर्याप्त पानी की मात्रा है. साथ ही निगम गिरी और गुम्मा पेयजल परियोजनाओं में नए पंप स्थापित कर पानी की मात्रा को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है. वहीं, शहर की 43 बावड़ियों का जीर्णोद्धार कर उसके पानी को भी पीने योग्य बनाया जाएगा.
जल निगम के अधिकारी विजय गोयल ने बताया कि शहर में 43 बावड़ियों का जीर्णोद्धार अमृत योजना के तहत किया जाना है. जिसके तहत अभी तक 13 बावड़ियों का पानी पीने योग्य बनाया गया है. इन बावड़ियों मे कार्बन फिल्टर लगाकर शहरवासी पानी का प्रयोग पीने के लिए कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि बाकी बची बावड़ियों के लिए डीपीआर तैयार कर दी है और जल्द ही इन बावड़ियों के पानी को भी पीने योग्य बनाया जाएगा.
शिमला जल प्रबंधन निगम का कहना है कि शहरवासियों को स्वच्छ पानी देने के लिए वाटर एटीएम भी स्थापित किए गए हैं. जिसमें से अभी 12 वाटर एटीएम को चालू कर दिया गया है. जल्द ही सभी वाटर एटीएम को भी लोगों के लिए मुहैया करवाया जाएगा. निगम का दावा है कि चाबा पेयजल योजनासे भी पानी की मात्रा बढ़ाई जाएगी. साथ ही सतलुज से भी पानी लाने की योजना पर काम किया जा रहा है.
गौर हो कि शिमलावासियों को हर साल खास कर गर्मियों में पानी की किल्लत से दो चार होना पड़ता है. गर्मियों में लोग पानी की एक एक बूंद के लिए तरस जाते हैं. शहर में कई जगहों पर प्राकृतिक जल स्त्रोत भी हैं, लेकिन इन स्त्रोतों का पानी दूषित होने के चलते इसका पानी प्रयोग में नहीं लाया जा रहा.
राजधानी के दूषित जल स्त्रोतों को साफ कर उसे पीने योग्य बनाया जा रहा है. मौजूदा बावड़ियों का जीर्णोद्धार करने के लिए अमृत योजना के तहत कार्य किया जाना है, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी निगम द्वारा मात्र 13 ही बावड़ियों में कार्बन फिल्टर स्थापित कर उसके पानी को पीने योग्य बनाया गया है.