शिमला: आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी से परेशान होकर कुछ लोग मौत को गले लगा लेते हैं. आज के समय में दुनियाभर में हजारों लोग आए दिन अपनी जिंदगी को खत्म कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में भी आत्महत्या के मामलों में हर दिन इजाफा हो रहा है. खासकर युवाओं में आत्महत्या के मामले ज्यादा देखे जा रहे हैं. ऐसे ही चौंकाने वाले मामले शिमला से भी सामने आए हैं. शिमला जिले में पिछले 9 महीने में 66 लोगों ने जिंदगी की जंग में हार कर मौत को गले लगाया है.
शिमला में आत्महत्या के मामले: हिमाचल जैसे खुशहाल प्रदेश में लोगों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति चिंताजनक है. शिमला जिले में आत्महत्या के हैरान कर देने वाले आंकड़े सामने आए हैं. जिले में 1 जनवरी 2023 से 30 सितंबर 2023 तक 66 लोगों ने आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम उठाया है. शिमला पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इसमें इनमें 48 पुरुष हैं, जबकि 18 महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी खत्म कर ली है. शिमला पुलिस के अनुसार 16 से 40 साल के युवाओं द्वारा आत्महत्या करने के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं.
पिछले साल से आत्महत्या के मामलों में कमी: हालांकि राहत की बात यह है कि ये आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले कुछ कम है. बीते साल 1 जनवरी 2022 से लेकर 30 सितंबर 2022 तक कुल 85 लोगों ने आत्महत्या की थी. इनमें 68 पुरुष और 17 महिलाएं शामिल थी. वहीं, गौर करने वाली बात है कि पुरुषों में आत्महत्या के मामले और प्रवृत्ति अधिक है. पुलिस में दर्ज मामलों के अनुसार इस साल सितंबर महीने तक कुल 66 मामलों में से 4 मामले आत्महत्या के लिए उकसाने के दर्ज हैं. जबकि 2022 में 3 मामले आत्महत्या के लिए उकसाने के दर्ज हुए थे.
आत्महत्या के मुख्य कारण: वहीं, अगर मनोचिकित्सकों की मानें तो लोगों द्वारा आत्महत्या करने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मानसिक तनाव और दबाव इसका मुख्य कारण है. जो कि ज्यादातर आत्महत्या के मामलों में देखा गया है. आईजीएमसी शिमला के डॉक्टरों के अनुसार व्यक्ति का मानसिक तनाव में रहना, किसी तरह का उस पर मानसिक दबाव का होना, पारिवारिक झगड़े, बेरोजगारी, नशे का सेवन (जिससे मानसिक तनाव बढ़ता है), समाज के प्रति उदासीनता, वित्तीय स्थिति का कमजोर होना आदि बहुत से कारण जिसके चलते लोग अपनी जीवन लीला को खत्म कर लेते हैं. हालांकि आत्महत्या करने के सटीक कारणों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है.
आत्महत्या के मुख्य लक्षण: इसके अलावा, ज्यादातर मामलों में आत्महत्या करने वाले शख्स के अंदर कुछ समय पहले ही आत्महत्या के लक्षण देखने को मिल जाते हैं. जैसे की व्यक्ति का सबसे अलग-थलग रहना, परिवार वालों से कम बात करना और एकदम से गुमसुम हो जाना, चिड़चिड़ापन होना, रात को नींद न आना या फिर बहुत ज्यादा नींद का आना, भूख का कम लगना या बहुत ज्यादा भूख लगना, एक ही बात को बार-बार लंबे समय तक सोचते रहना इत्यादी ये सभी लक्षण उस व्यक्ति में देखे जा सकते हैं, जिनमें आत्महत्या करने की प्रवृत्ति अधिक होती है.
मानसिक तनाव में डॉक्टर की सलाह: शिमला जिले में आत्महत्या करने वालों में युवाओं की संख्या ज्यादा है. जिंदगी की चुनौतियों से हार मानकर युवा मौत के रास्ते को अपना रहे हैं. आत्महत्या करने में युवाओं के साथ-साथ विवाहित महिलाओं और युवतियों का आंकड़ा भी काफी ज्यादा है. आईजीएमसी में मनोचिकित्सा विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ देवेश शर्मा ने बताया कि आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण मानसिक तनाव है. डॉक्टर का कहना है कि मानसिक तनाव की स्थिति में परिजनों और दोस्तों को चाहिए की वह व्यक्ति को किसी डॉक्टर को दिखाएं और उसकी सही से काउंसलिंग करवाएं.
अभी तक अनसुलझी है यह गुत्थी: शिमला के ढली थाना क्षेत्र के भट्टाकुफर में 6 महीने पहले 50 वर्षीय दर्जी का शव उसके कमरे में पड़ा मिला था. उसके पेट पर चाकू से कई बार वार किए गए थे. शिमला पुलिस ने इस मामले में आत्महत्या का केस दर्ज किया था, लेकिन परिजनों ने मामले में हत्या की आशंका जताई थी. जिसके बाद पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की. करीब छह महीने पुराने इस केस की गुत्थी अभी तक नहीं सुलझ पाई है.
कसुम्पटी के पास मिला था शव: सिरमौर के एक युवक ने शिमला के कसुम्पटी स्थित रानी मैदान के साथ जंगल में आत्महत्या की थी. युवक कॉलेज का छात्र था. पुलिस ने इस मामले में उसके कुछ दोस्तों को हिरासत में भी लिया था. मामले में हत्या का केस दर्ज कर जांच शुरू की गई, लेकिन हत्या के कारणों का कोई पता नहीं चल सका. ऐसे में ये मामला भी अनसुलझी गुत्थी बन कर रह गया. इसके अलावा बालूगंज थाना के समरहिल क्षेत्र में बीते माह ही 10वीं कक्षा के स्कूली छात्रा ने
आत्महत्या की थी. घर के साथ लगते जंगल में ही पुलिस को उसका शव बरामद हुआ था. यह मामला हत्या का है या आत्महत्या का, पुलिस इस गुत्थी में उलझ कर रह गई है.
आत्महत्या मामलों पर शिमला पुलिस: शिमला जिला पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील नेगी का कहना है कि जिले में आत्महत्या के मामले बढ़ना बेहद चिंताजनक विषय है. ऐसे मामलों में पुलिस 174 सीआरपीसी के तहत कार्रवाई करती है. अगर मामले में व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने की बात सामने आती है तो पुलिस द्वारा इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाती है.