शिमला: 14 अगस्त का दिन शिमला के लोग शायद ही भूल पाए. क्योंकि इस दिन जो हुआ, उसकी कल्पना भी कभी किसी ने नहीं की होगी. सावन माह के अंतिम सोमवार को शिव भक्त बड़ी संख्या में समरहिल शिव बाड़ी मंदिर जलाभिषेक करने पहुंचे थे, तभी अचानक आए फ्लैश फ्लड और लैंडस्लाइड की चपेट में महाकाल का मंदिर आ गया. चारों और चीख पुकार मच गई. मलबा इतना ज्यादा था कि पलक छपकते ही मंदिर और आसपास का पूरा क्षेत्र मिट्टी और किचड़ में समां गया. जिसमें कई लोग हमेशा-हमेशा के लिए जिंदा दफन हो गए. हादसे के बाद तीन दिनों से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में अब तक 13 शव बरामद हो चुके हैं, लेकिन अभी भी लाशों के मिलने का सिलसिला जारी है. बताया जा रहा है कि घटना के वक्त मंदिर में 20 से 25 लोग मौजूद थे.
शिमला समरहिल आपदा में अपनों को खोने वाले लोगों की आंखों में सिर्फ और सिर्फ दर्द है. इनकी सिसकियों में अपनों के खोने की आह सुनाई दे रही है. किसी ने अपना बेटा खोया तो किसी ने अपना पति. वहीं, जिन लोगों के सदस्य अभी भी लापता हैं, वह अपनों की तलाश में मारे-मारे फिर रहे हैं. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. अपनों की तलाश में लोग लापता लोगों की फोटो लेकर घटना स्थल पहुंच रहे हैं.
शिमला के शिव बाड़ी मंदिर में हुए हादसे के बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. मलबे में दबे लोगों की तलाश के लिए स्नीफर डॉग की मदद ली जा रही है. सेना के छोटे रोबोट को मलबा हटाने के लिए लगाया गया है. अभी भी मलबे में कईयों के फंसे होने की आशंका है. वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हादसे को लेकर दुख जताया है.
हिमाचल में इस बार रह रह कर प्रकृति का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है. जिससे जानमाल का भारी नुकसान हो रहा है. वहीं, शिमला में बादल फटने और लैंडस्लाइड की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी जा रही है. जिसमें अपनों को खोने वाले लोगों को कभी नहीं भरने वाले जख्म मिले है.
ये भी पढ़ें: Shimla लैंडस्लाइड में दफन हुई एक परिवार की तीन पीढ़ियां, 7 में से 5 सदस्यों की लाशें मिली, दादा और पोती की तलाश जारी