शिमला: नगर निगम शिमला में अंतिम ढाई साल के कार्यकाल की सरदारी के लिए सियासी जंग शुरू हो चुकी है. नगर निगम महापौर और उप-महापौर का कार्यकारल 30 दिसंबर को खत्म होने जा रहा है. ऐसे में बीजेपी पार्षदों में इन पदों के लिए होड़ लगनी शुरू हो गई है.
कई पार्षद महापौर की कुर्सी पाने के लिए शिमला से दिल्ली तक बड़े नेताओं से लॉबिंग करने में लगे पड़े हैं. महापौर पद के लिए पार्षदों की फेरिस्त काफी लंबी हो रही है. पार्षदों में संजोली वार्ड से सत्या कौंडल, ढली वार्ड शेलेन्द्र चौहान, कृष्णा नगर वार्ड से बिटू कुमार, रुलदू भट्टा से संजीव ठाकुर महापौर पद की होड़ में हैं.
वर्तमान महापौर कुसुम सदरेट और उप महापौर राकेश शर्मा भी महापौर बनने को लेकर लॉबिंग कर रहे हैं. हालांकि संगठन और सरकार के विचार विमर्श के बाद ही ये तह होगा कि किसे ढाई साल के लिए निगम की सरदारी मिलेगी.
स्थानीय विधायक सुरेश भारद्वाज के बिटू कुमार और सत्य कौंडल काफी करीबी माने जाते हैं, लेकिन दूसरे पार्षदों ने भी इस कुर्सी को पाने के लिए संगठन और मुख्यमंत्री के दरबार मे हजारी लगानी शुरू कर दी है. वहीं, उप महापौर पद के लिए आरती चौहान, किरण बाबा लाइन में है.
नगर निगम एक्ट के मुताबिक पांच साल के कार्यकाल में दो बार महापौर उप-महापौर बनेंगे. पहले ढाई साल के लिए एससी महिला के लिए आरक्षित था और ढाई साल एसटी के लिए, लेकिन शहर में एसटी वर्ग के लोगों की संख्या पांच प्रतिशत से कम है ऐसे में अब सामान्य वर्ग के लिए ढाई साल का महापौर बनेगा.
वहीं, बीजेपी संगठन और सरकार के बीच विचार विमर्श के बाद ही फैसला होगा, लेकिन हॉट सीट के चाहवान शिमला से लेकर दिल्ली तक अपनी गोटियां फिट करने में जुटे हैं.
आपको बता दें कि शिमला नगर निगम में 34 वार्ड हैं और इस समय बीजेपी के 23 पार्षद हैं. इसके अलावा 10 कांग्रेस और एक माकपा की पार्षद हैं. ऐसे में बीजेपी पार्षदों में से ही महापौर और उप महापौर चुने जाने हैं, लेकिन महापौर और उप महापौर बनने की बीजेपी में होड़ लगी हुई है और गुटबाजी भी देखने को मिल रही है.