शिमला: राजधानी शिमला में जर्जर हो चुके पुराने भवन कभी भी कहर बरसा सकते हैं. शहर के लोअर बाजार और मिडिल बाजार में दर्जनों भवन असुरक्षित घोषित (declared unsafe) किए जा चुके हैं. बावजूद इसके इन भवनों को खाली नहीं करवाया किया जा रहा है. अगर ये भवन गिरते हैं, तो बड़ा हादसा भी हो सकता है.
वहीं, अब नगर निगम (municipal Corporation) भी हरकत में आया है और इन भवनों को खाली करवाने के नोटिस जारी दिए हैं. साथ ही भवनों को खाली करने पर बिजली पानी का कनेक्शन काटने का फरमान भी जारी कर दिया है. नगर निगम बीते दिनों ही 30 भवनों को असुरक्षित घोषित किया है.
नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त अजीत भारद्वाज का कहना है कि शहर में भवनों का निरीक्षण कर कई भवनों को असुरक्षित घोषित किया गया है. इसमें से कई भवन ऐसे हैं जो कभी भी गिर सकते हैं और बरसात में ऐसे भवनों के गिरने का खतरा भी बना रहता है. ऐसे में इन भवनों को खाली करने को लेकर भवन मालिकों को नोटिस भी जारी किए जा चुके हैं. उनका कहना है कि शहर में अधिकतर भवन में किराएदार खाली भवन खाली नहीं कर रहे हैं और मामले कोर्ट में विचाराधीन होने के चलते ये भवन खाली नहीं हो रहे हैं.
राजधानी शिमला में ब्रिटिश काल में अधिकतर भवन बने हुए हैं. इनकी हालत अब खस्ता हो चुकी है और इनमें से कई भवन ऐसे हैं जो कभी भी गिर सकते हैं. ज्यादातर बरसात के मौसम में इन भवनों के गिरने का खतरा बना रहता है. ऐसे में अगर यह भवन गिरते हैं तो काफी जान माल का नुकसान हो सकता है. शहर की बात करें तो सबसे ज्यादा असुरक्षित भवन मिडिल बाजार लोअर बाजार कृष्णानगर में हैं और यहां पर अन्य भवनों के साथ यह भवन सटे हैं.
शिमला में हर साल नगर निगम असुरक्षित भवनों का निरीक्षण करता है. इसके लिए अलग से कमेटी भी अतिरिक्त आयुक्त की अध्यक्षता में बनाई हुई है जोकि मौके पर जाकर भवन की स्थिति का जायजा लेने के बाद असुरक्षित घोषित करता है. अगर कोई भवन मालिक दोबारा से भवन बनाने की अनुमति मानता है तो उन्हें अनुमति भी नगर निगम द्वारा दी जाती है. शहर की बात करें तो यहां पर अब तक 150 के करीब भवनों को नगर निगम द्वारा असुरक्षित घोषित किया जा चुका है.
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