शिमला: 12 नवंबर को पूरे देश के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में दिवाली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. वहीं, इस दौरान शिमला के कई घरों में आग लगने और पटाखों से लोगों के झुलसने के मामले सामने आए हैं. शिमला में दिवाली पर पटाखों से झुलसे 19 लोगों ने अस्पताल उपचार कराया. इसमें पांच लाेगाें के हाथ जले. जबकि एक की चेहरे पर चिंगारी पड़ी है.
सभी मामले दिवाली की रात की हैं. जिसमें करीब 19 लोग पटाखों से झुलसने के बाद अस्पतालों में पहुंचे. इसमें जिला अस्पताल डीडीयू में 14 और आईजीएमसी शिमला में 5 लोग पटाखों से झुलसने के बाद इलाज के लिए पहुंचे. इन मरीजों में एक 17 साल का किशोर, 10 और 12 साल के दो भी बच्चे शामिल हैं. इसके अलावा तीन अन्य लाेग भी जले हैं.
हालांकि, इस दिवाली पर पटाखों से किसी को ज्यादा बर्न नहीं हुआ. रिपन और आईजीएमसी के आपातकाल में रात के समय अधिक मामले आए. दोनों अस्पतालों में पहले ही अतिरिक्त डॉक्टरों की टीम तैनात की गई थी, ताकि मरीजों को इलाज की बेहतर सुविधाएं मिले. इसके अलावा कुछ मामले निजी अस्पतालों में भी पहुंचे. जिला अस्पताल डीडीयू के एमएस डॉ लोकेंद्र शर्मा ने बताया कि उनके अस्पताल में 14 लोग पटाखों से जलने के बाद पहुंचे. हालांकि, इन लोगों को ज्यादा बड़ी इंजरी नहीं थी. सबको प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया.
गनीमत रही कि इस साल दिवाली पटाखों के जलने से लोगों को अधिक इंजरी नहीं हुई. सभी 6 मामलाें में 30 फीसदी से कम बर्न हुआ है. ऐसे में चिकित्सकाें ने प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी. इसमें सभी मामले पटाखों से जलने के हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इस बार दिवाली पर जलने के कम मामले अस्पताल पहुंचे हैं.
रिपन और आईजीएमसी अस्पताल में पटाखों से जलने के बाद आने वाले मरीजों की तादाद पिछले वर्ष के मुकाबले कम है. जहां बीते साल दाेनाें अस्पतालों में 10 मामले पहुंचे थे. वहीं, इस बार सिर्फ 5 मामले आए. बीते साल रिपन में 20 बर्न केस सामने आए थे. जबकि इस साल 15 मामले आए हैं.
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