ETV Bharat / state

ऊपरी शिमला से भेड़ पालकों का पलायन शुरू, ठंड ने बढ़ाई मुश्किलें - भेड़ पालकों का पलायन

प्रदेश के ऊपरी इलाको में ठंड बढ़ने से भेड़ चरवाहों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे भेड़ पालक का निचले इलाकों की ओर प्रवास कर रहे है. रास्ते में पेश आ रही समस्याओं के कारण सरकार से मुआवजे की उम्मीद कर रहै हैं.

Sheep farmers start migrating
ऊपरी शिमला व किन्नौर में ठंड बढ़ने से भेड़ पालकों की बड़ी चिंता.
author img

By

Published : Dec 6, 2019, 11:26 PM IST

Updated : Dec 7, 2019, 2:13 PM IST

शिमला: प्रदेश के ऊपरी इलाको में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, जो लोगों को ठंड में ठिठुरने पर मजबूर कर रही है. वहीं, अब पालतू पशुओं को भी ठंड सता रही है. जिला शिमला के ऊपरी इलाकों में ठंड की वजह से आ रही परेशानियों के कारण भेड़ चरवाहे निचले इलाकों की ओर प्रवास कर रहे हैं.

खासतौर से दुर्गम क्षेत्र किन्नौर के इलाकों से ठंड के बढ़ जाने से इन लोगों को अपने पशुधन की चिंता सता रही है और यह लोग अब सड़कों से सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर मैदानी इलाकों की ओर जा रहे हैं. वहीं, निचले इलाकों कि ओर जाने के लिए जिन रास्तों और सड़क मार्गो से यह सफर तय करते हैं, उसमें कई कठिनाईयों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

वीडियो रिपोर्ट.

राष्ट्रीय राजमार्ग-05 पर ठियोग के समीप गुजरते हुए भेड़ पलकों से बात की गई. उन्होंने कहा कि उन्हें 400 भेड़ों को बिलासपुर तक पहुंचना है और सड़क मार्ग व रात्रि ठहराव करते समय भेड़ों की रखवाली में बहुत परेशानियां पेश आती है. उन्होंने कहा कि रात भर जंगली जानवरों का डर और दिन को वाहनों से बचाव करना सबसे बड़ी चुनौती होती है.

भेड़ पलकों ने बताया कि कई बार भेड़ें वाहन की चपेट में आ जाती है और बीते वर्ष एक आदमी भी वाहन की चपेट में आ गया था, जिसकी मौके पर ही उसकी मृत्यु हो गई थी. चरवाहों का कहना है कि इन लोगों को सरकारी मदद भी नहीं मिल पाती और कभी कभार केवल दवाइयां दी जाती हैं, लेकिन भेड़ों की मौत होने पर सरकार कोई मुआवजा नहीं देती है.

इन लोगों का कहना है कि रात को भेड़ों की रखवाली के लिए उन्होंने कुत्ते पाल रखे हैं, जो भेड़ों की रखवाली करते हैं और भोजन ढोने के लिए गधों को रखा गया है. उन्होंने बताया कि वह भोजन की सामग्री को साथ-साथ ढोते रहते हैं. भेड़ पालकों का कहना है कि बिलासपुर तक पहुंचने के लिए एक महीने से ज्यादा का समय लगता है और दिन को इस रफ्तार से चलना पड़ता कि वह रात को अपने निश्चित अड्डे पर पहुंच सके.

बता दें कि सर्दियों का मौसम आते ही ऊपरी शिमला ओर किन्नौर से भेड़ पलकों के समूह निचले इलाकों की ओर चल पड़ते है, जिससे अपने पशुओं को ठंड से बचाया जा सके. रास्तों में कई समस्याओं का सामना करते हुए भेड़ पलको को हरदम अपने पशुधन और खुद को जी जान का खतरा बना रहता है, जिसके लिए सरकार इन लोगों को कोई मुआवजा नहीं देती है. ऐसे में यह सरकार से मुआवजे की आस लगाए बैठे है, जिससे वह आसानी से एक जगह से दूसरी जगह आ जा सके.

शिमला: प्रदेश के ऊपरी इलाको में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, जो लोगों को ठंड में ठिठुरने पर मजबूर कर रही है. वहीं, अब पालतू पशुओं को भी ठंड सता रही है. जिला शिमला के ऊपरी इलाकों में ठंड की वजह से आ रही परेशानियों के कारण भेड़ चरवाहे निचले इलाकों की ओर प्रवास कर रहे हैं.

खासतौर से दुर्गम क्षेत्र किन्नौर के इलाकों से ठंड के बढ़ जाने से इन लोगों को अपने पशुधन की चिंता सता रही है और यह लोग अब सड़कों से सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर मैदानी इलाकों की ओर जा रहे हैं. वहीं, निचले इलाकों कि ओर जाने के लिए जिन रास्तों और सड़क मार्गो से यह सफर तय करते हैं, उसमें कई कठिनाईयों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

वीडियो रिपोर्ट.

राष्ट्रीय राजमार्ग-05 पर ठियोग के समीप गुजरते हुए भेड़ पलकों से बात की गई. उन्होंने कहा कि उन्हें 400 भेड़ों को बिलासपुर तक पहुंचना है और सड़क मार्ग व रात्रि ठहराव करते समय भेड़ों की रखवाली में बहुत परेशानियां पेश आती है. उन्होंने कहा कि रात भर जंगली जानवरों का डर और दिन को वाहनों से बचाव करना सबसे बड़ी चुनौती होती है.

भेड़ पलकों ने बताया कि कई बार भेड़ें वाहन की चपेट में आ जाती है और बीते वर्ष एक आदमी भी वाहन की चपेट में आ गया था, जिसकी मौके पर ही उसकी मृत्यु हो गई थी. चरवाहों का कहना है कि इन लोगों को सरकारी मदद भी नहीं मिल पाती और कभी कभार केवल दवाइयां दी जाती हैं, लेकिन भेड़ों की मौत होने पर सरकार कोई मुआवजा नहीं देती है.

इन लोगों का कहना है कि रात को भेड़ों की रखवाली के लिए उन्होंने कुत्ते पाल रखे हैं, जो भेड़ों की रखवाली करते हैं और भोजन ढोने के लिए गधों को रखा गया है. उन्होंने बताया कि वह भोजन की सामग्री को साथ-साथ ढोते रहते हैं. भेड़ पालकों का कहना है कि बिलासपुर तक पहुंचने के लिए एक महीने से ज्यादा का समय लगता है और दिन को इस रफ्तार से चलना पड़ता कि वह रात को अपने निश्चित अड्डे पर पहुंच सके.

बता दें कि सर्दियों का मौसम आते ही ऊपरी शिमला ओर किन्नौर से भेड़ पलकों के समूह निचले इलाकों की ओर चल पड़ते है, जिससे अपने पशुओं को ठंड से बचाया जा सके. रास्तों में कई समस्याओं का सामना करते हुए भेड़ पलको को हरदम अपने पशुधन और खुद को जी जान का खतरा बना रहता है, जिसके लिए सरकार इन लोगों को कोई मुआवजा नहीं देती है. ऐसे में यह सरकार से मुआवजे की आस लगाए बैठे है, जिससे वह आसानी से एक जगह से दूसरी जगह आ जा सके.

Intro:ऊपरी शिमला ओर किन्नौर में ठंड बढ़ने से भेड़ पालकों की बड़ी चिंता। निचले इलाकों की ओर भेड़ पालकों का पलायन शुरू। सड़क मार्ग ओर रास्तो में कई परेशानियों से करना पड़ता है सामना,दुर्घटना में सरकार की ओर से मुआवजा न मिलने से नाराज हैं भेड़ पालक।
Body:
प्रदेश के ऊपरी इलाको में पड़ रही कड़ाके की ठंड से जंहा लोगों को ठिठुरने पर मजबूर कर रही है वन्ही अब पालतू पशुओं को भी ठंड सत्ता रही है।ऊपरी शिमला के इलाकों से इन दिनों ठंड की वजह से आ रही दिक़्क़तों के कारण अब भेड़ चरवाहे निचले इलाकों की ओर प्रवास कर रहे है। खास कर दुर्गम क्षेत्र किन्नौर के इलाकों से इन दिनों ठंड के बढ़ जाने से अब इन लोगों को अपने पशुधन की चिंता सता रही है और ये अब सड़को से सेंकडो किलोमीटर की दूरी तय कर मैदानी इलाकों की ओर जा रहे हैं।लेकिन निचले इलाकों कि ओर जाने के लिए जिन रास्तों ओर सड़क मार्गो से ये सफर करते हैं उसमें कई कठिनाई ओर दिक़्क़तों का इन लोगों को सामना करना पड़ताहै। राष्ट्रीय राजमार्ग 5 पर ठियोग के समीप से गुजरते हुए इन भेड़ पलको से जब बात की गई तो लोगों का कहना है कि बड़ी दिक़्क़तों से 400 भेड़ो को बिलासपुर तक पहुंचना है और सड़क मार्ग ओर रात्रि ठहराव करते समय इन भेड़ो की रखवाली बड़ी दिक्कत करती है रात भर जंगली जानवरों का डर ओर दिन को वाहनों से बचाव करना सबसे बड़ी चुनोती होती है। कई बार भेड़ें वाहन की चपेट में आ जाती है और पिछली साल तो एक आदमी भी वाहन की चपेट में आ गया जिसकी मोके पर ही मौत हो गई।इन चरवाहों का कहना है कि सरकारी मदद भी इन लोगों को नही मिल पाती केवल दवाइयां कभी कभार दी जाती है। लेकिन भेड़ो की मौत होने पर सरकार कोई मुआवजा नही देती ।
बाईट,,, भेड़ पालक

रात दिन अपनी भेड़ो के साथ सफर कर रहे इन लोगों का कहना है कि रात को भेड़ो की रखवाली के लिए उन्होंने कुते पाल रखे हैं जो भेड़ो की रखवाली करते है।और भोजन को ढोने के लिए गधों को रखा गया है जो भोजन की सामग्री को साथ साथ ढोते रहते है। इन भेड़ पालकों का कहना है कि बिलासपुर तक पहुंचने के लिए एक महीने से ज्यादा का समय लग जाता है और दिन को इस रफ़्तार से चलना पड़ता कि वे रात को अपने निश्चित अड्डे पर पहुंच सके।

बाईट,,,, भेड़ पालकConclusion:
आपको बता दे कि सर्दियों का मौसम आते ही ऊपरी शिमला ओर किन्नौर से भेड़ पलको के समूह निचले इलाकों की ओर जाते है जिससे अपने पशुओं को ठंड से बचाया जा सके लेकिन रास्तों में कई दिक़्क़तों से सामना करते इन भेड़ पलको को हरदम अपने पशुधन ओर खुद जी जान का खतरा बना रहता है जिसके लिए सरकार इन लोगों को कोई मुआवजा नही देती ऐसे में ये सरकार से मुआवजे की आस लगाए बैठे है जिससे वे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह आ जा सके।
Last Updated : Dec 7, 2019, 2:13 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.