शिमला: हिमाचल सरकार किसी भी कीमत पर शानन प्रोजेक्ट को अपने हाथ से नहीं जाने देगी. आर्थिक संकट से घिरी हिमाचल सरकार के खजाने को शानन प्रोजेक्ट से सालाना 200 करोड़ रुपए की कमाई अनुमानित है. ब्रिटिश हुकूमत के समय के इस प्रोजेक्ट के लिए हिमाचल ने 99 साल इंतजार किया है. इस समय शानन प्रोजेक्ट पंजाब के अधीन है. शर्तों के अनुसार अगले साल मार्च में इसकी लीज अवधि खत्म हो रही है. पंजाब सरकार भी इस प्रोजेक्ट से हाथ नहीं धोना चाहती. पंजाब ने इसे अपने कब्जे में बनाए रखने के लिए प्रयास शुरु कर दिए हैं, लेकिन हिमाचल सरकार भी अपने हक पर कुंडली सहन करने के लिए तैयार नहीं है.
हिमाचल सरकार ने शानन प्रोजेक्ट को वापिस लेने के लिए जबरदस्त कानूनी तैयारी की है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद इस केस को देख रहे हैं. हिमाचल सरकार ने सभी कानूनी औपचारिकताएं तैयार की हैं. यही नहीं, केंद्र के संबंधित मंत्रालय को भी इस बात की जानकारी दे दी गई है कि लीज अवधि पूरी होते ही ये प्रोजेक्ट हिमाचल को सौंप दिया जाए.
शानन प्रोजेक्ट को लेकर सीएम सुक्खू की तैयारी- हिमाचल में मंडी जिले के जोगेंद्रनगर में ब्रिटिश हुकूमत के समय स्थापित शानन बिजली प्रोजेक्ट कमाऊ पूत है. हिमाचल को इससे सालाना 200 करोड़ रुपए की कमाई अनुमानित है. मार्च 2024 में लीज अवधि खत्म होने पर ये प्रोजेक्ट हिमाचल के अधीन आएगा, लेकिन परिस्थितियां बता रही हैं कि पंजाब सरकार इसे आसानी से नहीं छोड़ेगी. ऐसे में हिमाचल सरकार को भी अपनी तैयारी करनी पड़ी है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कुछ समय पहले दिल्ली में केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह से मुलाकात की थी. उस दौरान हिमाचल सरकार की अफसरशाही भी साथ थी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्रीय मंत्री को राज्य के सारे लीगल पहलू सौंप दिए हैं. हिमाचल सरकार ने उदाहरण सहित केंद्र को बताया है कि लीज अवधि समाप्त होने पर किस तरह से प्रोजेक्ट का स्थानांतरण होना है.
अंग्रेजों के जमाने का शानन पावर प्रोजेक्ट- उल्लेखनीय है कि शानन प्रोजेक्ट के लिए मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन ने जमीन लीज पर दी थी. ब्रिटिश शासकों के साथ समझौते के अनुसार 99 साल बाद ये प्रोजेक्ट उसी धरती की सरकार को मिलना था, जहां पर ये स्थापित है. आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश पंजाब का ही हिस्सा था. बाद में पंजाब पुनर्गठन एक्ट के दौरान शानन प्रोजेक्ट पंजाब सरकार के स्वामित्व में ही रहा. पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 के तहत इस बिजली प्रोजेक्ट को प्रबंधन के लिए पंजाब सरकार को ट्रांसफर किया था. अब जब लीज अवधि खत्म होने का समय आ रहा है तो पंजाब सरकार रोड़े अटकाने में लग गई है.
पंजाब सरकार पूर्व की इसी नोटिफिकेशन की आड़ में बहाना बना रही है कि शानन प्रोजेक्ट सिर्फ लीज का मसला नहीं है, बल्कि पंजाब पुगर्नठन एक्ट का एक अंग है. साथ ही पंजाब सरकार ये तर्क भी दे रही है कि पुनर्गठन एक्ट का अंग होने के कारण ही शानन प्रोजेक्ट उसे दिया गया था और अब ये स्थाई रूप से पंजाब का हक है.वहीं, हिमाचल सरकार ने केंद्रीय उर्जा मंत्री को सारे दस्तावेज और संबंधित रिकॉर्ड के साथ अपनी कानूनी राय भी दे दी है. ऊहल नदी पर बना शानन प्रोजेक्ट अंग्रेजों के समय 1932 में सिर्फ 48 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाला था. बाद में इसकी कैपेसिटी को पंजाब बिजली बोर्ड ने बढ़ाया. शुरू होने के पचास साल बाद यानी वर्ष 1982 में शानन प्रोजेक्ट 60 मेगावाट उत्पादन वाला बनाया गया। फिर इसकी क्षमता पचास मेगावाट और बढ़ाई गई। अब ये 110 मेगावाट का है.
हिमाचल के तर्क मजबूत, इग्नोर नहीं कर सकती केंद्र व पंजाब सरकार- कानूनी पहलू के हिसाब से देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश के तर्क मजबूत हैं. राज्य सरकार का तर्क है कि पूर्व में आजादी से पहले ब्रिटिश इंडिया सरकार का उत्तराधिकार अब भारत सरकार का है. वहीं, मंडी के राजा, जिन्होंने समझौता किया था, अब उसका कानूनी वारिस का हक हिमाचल सरकार का बनता है. जब शानन प्रोजेक्ट को वापिस लेने की चर्चा ने जोर पकड़ा तो आनन-फानन में पंजाब के उर्जा मंत्री ने जोगेंद्रनगर का दौरा किया. उन्होंने तब संकेत दिया था कि शानन प्रोजेक्ट पंजाब अपने पास ही रखेगा. हिमाचल सरकार उसी समय से सतर्क हो गई और केंद्र सरकार को अपने पक्ष में मजबूत कानूनी तर्क दे दिए हैं.
हिमाचल सरकार चाहती है कि यदि बात कानूनी लड़ाई तक पहुंचे तो पहले पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट जाए। ऐसे में हिमाचल के पास सुप्रीम कोर्ट में अपने तर्क रखने का अवसर आएगा और राज्य सरकार ये कह सकेगी कि मालिकाना हक होने के बाद भी शानन प्रोजेक्ट उसे वापिस नहीं किया जा रहा. सुखविंदर सिंह सरकार ने केंद्रीय उर्जा मंत्रालय को ये स्पष्ट कर दिया है कि लीज पर दी गई संपत्ति का मालिकाना हक स्थानांतरित नहीं हो सकता. यही कारण है कि हिमाचल सरकार खुद पहल करते हुए शानन प्रोजेक्ट वापिसी के लिए कोर्ट नहीं जाना चाहती क्योंकि हिमाचल का ये तर्क इग्नोर नहीं किया जाएगा कि लीज संपत्ति का मालिकाना हक स्थानांतरित नहीं हो सकता.
कुल मिलाकर हिमाचल का पलड़ा मजबूत है पूर्व में शानन प्रोजेक्ट पंजाब बिजली बोर्ड को इसलिए ट्रांसफर हुआ था क्योंकि वर्ष 1966 में हिमाचल में राज्य बिजली बोर्ड अस्तित्व में नहीं था. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि लीज अवधि पूरी होने पर शानन प्रोजेक्ट हिमाचल को मिलना तय है. हिमाचल का पक्ष मजबूत है. नियम व कानूनों के दायरे में ये प्रोजेक्ट मार्च 2024 में हिमाचल को हर हाल में ट्रांसफर होगा.