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JNU में हुई मारपीट का SFI ने किया विरोध, HPU में दिया धरना

जेएनयू में रविवार को छात्रों से हुई मारपीट की घटना के विरोध में एचपीयू में एसएफआई ने धरना प्रदर्शन किया और एबीवीपी के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की.

SFI protest against abvp in hpu
एसएफआई का एचपीयू में एबीवीपी के खिलाफ विरोध
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Published : Jan 6, 2020, 5:36 PM IST

शिमला: जेएनयू में रविवार को छात्रों से हुई मारपीट की घटना के विरोध में एचपीयू में एसएफआई ने धरना प्रदर्शन किया और एबीवीपी के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. जेएनयू में हुई मारपीट के पीछे एसएफआई ने एबीवीपी, केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय के प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है.

धरना प्रदर्शन के माध्यम से एसएफआई ने मांग की है कि इस पूरी घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों और एबीवीपी के लोगों पर कार्रवाई की जाए. एसएफआई ने आरोप लगाया है कि जेएनयू में अपनी मांगों और छात्र हित की मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर आरएसएस के लोगों ने हमला किया. आरएसएस के कार्यकर्ताओं की ओर से लेफ्ट फ्रंट के अध्यक्ष और महिला प्रोफेसर पर हमला करना निंदनीय है.

एचपीयू में एसएफआई के कैंपस उपाध्यक्ष पकंज ने कहा कि केंद्र सरकार छात्रों की आवाज को दबाने की मंशा रखती है. बीते कल सोची समझी साजिश के तहत जेएनयू के छात्र आंदोलन को बदनाम करने के लिए एबीवीपी की ओर से हमला किया गया है. जेएनयू पिछले लंबे समय से फीस वृद्धि को लेकर विरोध कर रहा है, लेकिन सरकार और प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है.

एसएफआई ने आरोप लगाया कि सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाया जा रहा है और जानबूझ कर हिंसा का सहारा लिया जा रहा है. यही, वजह है कि बीते कल की घटना भी प्रशासन और सरकार के संरक्षण में हुई है. हमले से पहले एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर इस पूरे वाक्य को अंजाम दिया गया है.

वीडियो रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: धूमधाम से मनाया गया मुख्यमंत्री का 55वां जन्मदिन, पत्नी संग डाली नाटी काटा केक

शिमला: जेएनयू में रविवार को छात्रों से हुई मारपीट की घटना के विरोध में एचपीयू में एसएफआई ने धरना प्रदर्शन किया और एबीवीपी के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. जेएनयू में हुई मारपीट के पीछे एसएफआई ने एबीवीपी, केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय के प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है.

धरना प्रदर्शन के माध्यम से एसएफआई ने मांग की है कि इस पूरी घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों और एबीवीपी के लोगों पर कार्रवाई की जाए. एसएफआई ने आरोप लगाया है कि जेएनयू में अपनी मांगों और छात्र हित की मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर आरएसएस के लोगों ने हमला किया. आरएसएस के कार्यकर्ताओं की ओर से लेफ्ट फ्रंट के अध्यक्ष और महिला प्रोफेसर पर हमला करना निंदनीय है.

एचपीयू में एसएफआई के कैंपस उपाध्यक्ष पकंज ने कहा कि केंद्र सरकार छात्रों की आवाज को दबाने की मंशा रखती है. बीते कल सोची समझी साजिश के तहत जेएनयू के छात्र आंदोलन को बदनाम करने के लिए एबीवीपी की ओर से हमला किया गया है. जेएनयू पिछले लंबे समय से फीस वृद्धि को लेकर विरोध कर रहा है, लेकिन सरकार और प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है.

एसएफआई ने आरोप लगाया कि सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाया जा रहा है और जानबूझ कर हिंसा का सहारा लिया जा रहा है. यही, वजह है कि बीते कल की घटना भी प्रशासन और सरकार के संरक्षण में हुई है. हमले से पहले एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर इस पूरे वाक्य को अंजाम दिया गया है.

वीडियो रिपोर्ट

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Intro:जेएनयू में छात्र संगठनों के बीच हुई हिंसक घटना का प्रदेश में भी छात्र संगठन विरोध कर रहे है। इस हिंसा की चिंगारी एचपीयू में भी भड़क उठी है जिसके चलते एसएफआई ने एचपीयू कैंपस में धरना प्रदर्शन किया और एबीवीपी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जेएनयू में भड़की इस हिंसा के लिए एसएफआई ने एबीवीपी,केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय के प्रशासन को जिम्मेवार ठहराया। एसएफआई ने जमकर नारेबाजी की। इस धरना प्रदर्शन के माध्यम से एसएफआई ने मांग की है की इस पूरी घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों ओर एबीवीपी के गुंडों पर कार्रवाई की जाए।


Body:एसएफआई ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार के इशारों पर जेएनयू में अपनी मांगों को लेकर ओर छात्र हित की मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे उनपर आरएसएस के लोगों की ओर से हमला किया गया। एसएफआई ने कहा कि आरएसएस के कार्यकर्ताओं की ओर से लेफ्ट फ्रंट के अध्यक्ष और महिला प्रोफेसर पर हमला किया गया है। केंद्र सरकार की मंशा है कि सरकार की केंद्र सरकार की छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे छात्रों की आवाज को दबाया जाए।


Conclusion:एसएफआई के उपाध्यक्ष पकंज ने कहा कि बीते कल सोची समझी साजिश के तहत जेएनयू के छात्र आंदोलन को बदनाम करने के लिए एबीवीपी की ओर से हमला किया जाता है। जेएनयू पिछले लंबे समय से फीस वृद्धि को लेकर विरोध कर रहा है,लेकिन सरकार और प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। अब सरकार के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाया जा रहा है और जानबूझ कर हिंसा का सहारा लिया जा रहा है। यही वजह है कि बीते कल की घटना को भी प्रशासन और सरकार के संरक्षण में हुआ है। हमले से पहले एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाता है और इस पुरे वाक्य को अंजाम दिया गया है। एसएफआई ने स्पष्ट किया है कि अभी यह आंदोलन मात्र कैंपस तक ही सीमित है लेकिन अगर सरकार नहीं जागती है और इस हिंसा को नहीं रोकती है तो यह आंदोलन उग्र रूप लेगा।
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