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नई शिक्षा नीति पर छात्रों की मिली-जुली राय, समझने के लिए सेमिनार आयोजित करे सरकार

नई शिक्षा नीति को लेकर प्रदेश के छात्रों की अलग-अलग राय नजर आई. कुछ छात्रों ने इसका स्वागत किया तो वहीं, कुछ छात्रों का कहना है कि इसे लागू करने से पहले पूरी तैयारी की जाए. एमफिल कर रहे छात्रों ने बताया इसमें अनुसंधान को महत्व नहीं दिया गया.

Seminars should be organized
सेमिनार आयोजित किए जाए
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Published : Jul 30, 2020, 7:32 PM IST

शिमला: केंद्र सरकार ने 34 सालों बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया है. वर्तमान की शिक्षा पद्धति में इस नई एजुकेशन पॉलिसी को लागू कर एजुकेशन सिस्टम को बदला गया. इसे एक नया स्वरूप दिया गया. ऐसे में नई शिक्षा नीति में किए गए नए प्रावधानों को लेकर छात्रों की राय भी अलग-अलग है. अलग-अलग संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों ने शिक्षा नीति को लेकर अपने विचार व्यक्त किए. इसके साथ ही छात्रों ने नई शिक्षा नीति को लागू करने को लेकर अपने विचार साझा किए. छात्रों ने बताया शिक्षा नीति में बदलाव आवश्यक था. शिक्षा नीति छात्रों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी, लेकिन पूरी तैयारियों के बाद ही इसे लागू किया जाए.

वीडियो

बेहतर प्लान की आवश्यकता
नई शिक्षा नीति को लाने का स्वागत कॉलेज छात्रों ने किया. उनका मानना है जो बदवाल किए गए गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए मददगार साबित होंगें. इस नीति में शिक्षा का वर्गीकरण किया गया है. पहली से बाहरवीं तक की पढ़ाई को अलग-अलग चरण में शामिल किया गया है. इसे शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और छात्रों की नींव पक्की होगी. इसके साथ ही छात्रों को अपनी लोकल लैंग्वेज के साथ ही मातृ भाषा सहित विदेशी भाषाओं का भी ज्ञान मिलेगा. हालांकि छात्रों का यह भी मानना है कि यह शिक्षा नीति तभी लाभदायक हो पाएगी जब इस नीति को सही तरीके से लागू किया जाएगा. छात्रों ने बताया नीति को लागू करने से पहले बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतर प्लान की जरूरत रहेगी.

शोध का दायरा कम हुआ
जो छात्र एमफिल कर रहे हैं वह इस नई शिक्षा नीति को लेकर निराश नजर आए.उन्होंने बताया नई शिक्षा नीति में अनुसंधान को तवज्जो नहीं दी गई. एमफिल को समाप्त कर शोध के दायरे को कम किया गया. एमफिल कोर्स में छात्र 2 वर्षों में अनुसंधान से जुड़े पहलुओं पर काम करते थे, जिससे उन्हें पीएचडी के शोध के लिए मदद मिलती थी, लेकिन अब नई शिक्षा नीति में एमए के बाद सीधा पीएचडी में प्रवेश का प्रावधान किया गया है.

वहीं, एचपीयू से मास्टर्स डिग्री कर रहे छात्रों का कहना है कि नई शिक्षा नीति में यूजी की डिग्री को 4 साल का कर दिया गया, जबकि मास्टर डिग्री को एक साल किया गया.वर्तमान में जो छात्र दो साल की एमए डिग्री कर रहे हैं उन्हें इसका क्या लाभ मिलेगा. प्रदेश के शिक्षकों और छात्रों को नई शिक्षा नीति से जुड़े हर बदलाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाए. इसके लिए सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि शिक्षक और छात्र नई शिक्षा नीति को समझ सकें.

ये भी पढ़ें: EXCLUSIVE: मंत्री बनने के बाद राकेश पठानिया से खास बातचीत, बोले: कांगड़ा के लिए लड़ूंगा हर लड़ाई

शिमला: केंद्र सरकार ने 34 सालों बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया है. वर्तमान की शिक्षा पद्धति में इस नई एजुकेशन पॉलिसी को लागू कर एजुकेशन सिस्टम को बदला गया. इसे एक नया स्वरूप दिया गया. ऐसे में नई शिक्षा नीति में किए गए नए प्रावधानों को लेकर छात्रों की राय भी अलग-अलग है. अलग-अलग संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों ने शिक्षा नीति को लेकर अपने विचार व्यक्त किए. इसके साथ ही छात्रों ने नई शिक्षा नीति को लागू करने को लेकर अपने विचार साझा किए. छात्रों ने बताया शिक्षा नीति में बदलाव आवश्यक था. शिक्षा नीति छात्रों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी, लेकिन पूरी तैयारियों के बाद ही इसे लागू किया जाए.

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बेहतर प्लान की आवश्यकता
नई शिक्षा नीति को लाने का स्वागत कॉलेज छात्रों ने किया. उनका मानना है जो बदवाल किए गए गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए मददगार साबित होंगें. इस नीति में शिक्षा का वर्गीकरण किया गया है. पहली से बाहरवीं तक की पढ़ाई को अलग-अलग चरण में शामिल किया गया है. इसे शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और छात्रों की नींव पक्की होगी. इसके साथ ही छात्रों को अपनी लोकल लैंग्वेज के साथ ही मातृ भाषा सहित विदेशी भाषाओं का भी ज्ञान मिलेगा. हालांकि छात्रों का यह भी मानना है कि यह शिक्षा नीति तभी लाभदायक हो पाएगी जब इस नीति को सही तरीके से लागू किया जाएगा. छात्रों ने बताया नीति को लागू करने से पहले बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतर प्लान की जरूरत रहेगी.

शोध का दायरा कम हुआ
जो छात्र एमफिल कर रहे हैं वह इस नई शिक्षा नीति को लेकर निराश नजर आए.उन्होंने बताया नई शिक्षा नीति में अनुसंधान को तवज्जो नहीं दी गई. एमफिल को समाप्त कर शोध के दायरे को कम किया गया. एमफिल कोर्स में छात्र 2 वर्षों में अनुसंधान से जुड़े पहलुओं पर काम करते थे, जिससे उन्हें पीएचडी के शोध के लिए मदद मिलती थी, लेकिन अब नई शिक्षा नीति में एमए के बाद सीधा पीएचडी में प्रवेश का प्रावधान किया गया है.

वहीं, एचपीयू से मास्टर्स डिग्री कर रहे छात्रों का कहना है कि नई शिक्षा नीति में यूजी की डिग्री को 4 साल का कर दिया गया, जबकि मास्टर डिग्री को एक साल किया गया.वर्तमान में जो छात्र दो साल की एमए डिग्री कर रहे हैं उन्हें इसका क्या लाभ मिलेगा. प्रदेश के शिक्षकों और छात्रों को नई शिक्षा नीति से जुड़े हर बदलाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाए. इसके लिए सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि शिक्षक और छात्र नई शिक्षा नीति को समझ सकें.

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