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बिजली पंचायत में भाषण देने वाला कर्मचारी नेता सस्पेंड, जेएसी ने बिजली बोर्ड प्रबंधन को दी ये चेतावनी - ELECTRICITY BOARD EMPLOYEE SUSPEND

हमीरपुर में बिजली पंचायत में भाषण देने वाले कर्मचारी नेता नीतीश कुमार को बिजली बोर्ड प्रबंधन ने सस्पेंड कर दिया है.

Himachal Electricity Board
हिमाचल बिजली बोर्ड (File Photo)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 17, 2025, 10:45 AM IST

Updated : Feb 17, 2025, 11:59 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में 11 फरवरी को आयोजित हुई बिजली पंचायत में भाषण देने वाले कर्मचारी नेता नीतीश कुमार को सस्पेंड किया गया है. जिससे सरकार और बिजली बोर्ड कर्मचारियों में चल रहा गतिरोध और बढ़ गया है. नीतीश कुमार नादौन डिवीजन में बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष है. बिजली बोर्ड़ कर्मचारियों, इंजीनियरों और पेंशनरों की राज्य ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने बिजली बोर्ड प्रबंधन के इस फैसले पर अपना विरोध जताया है. ज्वाइंट एक्शन कमेटी का कहना है कि यूनियन पदाधिकारी नीतीश कुमार को महज बिजली बोर्ड प्रबंधन की तरफ से पदों को समाप्त करने और बोर्ड में पुरानी पेंशन के पक्ष में आवाज उठाने पर सस्पेंड किया गया है. जो एक बदले की भावना से की गई कार्रवाई है. जिसे अब किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

'प्रबंधन के आदेश ट्रेड यूनियन के अधिकारों के खिलाफ'

ज्वाइंट एक्शन कमेटी के घटक नेताओं केएएस गुप्ता, एसके सोनी, चंद्र सिंह मंडयाल, पीएल गुप्ता, लोकेश ठाकुर, कामेश्वर दत्त शर्मा, लक्ष्मण कपटा, मुकेश राठी, मनोहर लाल, दीपक चौहान, अश्वनी शर्मा व नरेंद्र ठाकुर ने आरोप लगाया कि प्रबंधन का ये फैसला संविधान में परिकल्पित नागरिकों के मौलिक अधिकारों के साथ-साथ ट्रेड यूनियन अधिनियम में कर्मचारी वर्ग को दिए गए ट्रेड यूनियन अधिकारों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि कर्मचारी नेता के निलंबन का मुख्य कारण 11 फरवरी को हमीरपुर में आयोजित बिजली पंचायत उनके दिया गया भाषण था. जिसमें कर्मचारी नेता ने पदों को समाप्त करने और पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग रखी थी. नीतीश कुमार के भाषण में कुछ भी अपमानजनक नहीं था और उन्होंने केवल बिजली बोर्ड़ और इसके कर्मचारियों से संबंधित मांगें उठाई थी. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को सुनवाई का कोई भी अवसर दिए बिना सीधे सस्पेंड कर दिया गया है. यह नेचुरल जस्टिस और सीसीएस कंडक्ट नियमों की प्रक्रिया का उल्लंघन है. ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हुए इस हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

'दबाई नहीं जा सकती कर्मचारियों की आवाज'

जेएसी के संयोजक लोकेश ठाकुर ने कहा, "बिजली बोर्ड प्रबंधन का फैसला कर्मचारियों की आवाज को दबा नहीं सकता है. इससे कर्मचारियों, इंजीनियरों और पेंशनरों में आक्रोश और बढ़ेगा. जिसकी झलक 18 फरवरी जिला ऊना में आयोजित होने वाली बिजली पंचायत में दिखेगी." लोकेश ठाकुर ने निलंबन आदेशों को तुरंत वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सरकार और प्रबंधन को जिम्मेदारी की भावना के साथ आगे आना चाहिए और बिजली बोर्ड़ कर्मचारी, अभियंता व पेंशनर्स के जेएसी की ओर से उठाए गए मुद्दों पर तुरंत बातचीत करनी चाहिए, ताकि उनके बीच व्याप्त गतिरोध को तोड़ा जा सके.

जेएसी के संयोजक लोकेश ठाकुर ने चेतावनी दी है, "अगर बिजली बोर्ड प्रबंधन इन मुद्दों पर वार्ता कर समाधान नहीं करता है तो जेएसी 24 फरवरी को बड़ी कार्रवाई करने पर मजबूर होगी, जिसके लिए प्रबंधन को पहले ही नोटिस दिया जा चुका है."

ये भी पढ़ें: अब चिट्टा तस्करों और नशेड़ी युवकों को नहीं मिलेगा किराए पर कमरा व दुकान, नशे के खिलाफ बेहतरीन पहल

ये भी पढ़ें: इस दिन से शुरू होगा हिमाचल का बजट सेशन, यहां जानें पूरा शेड्यूल

शिमला: हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में 11 फरवरी को आयोजित हुई बिजली पंचायत में भाषण देने वाले कर्मचारी नेता नीतीश कुमार को सस्पेंड किया गया है. जिससे सरकार और बिजली बोर्ड कर्मचारियों में चल रहा गतिरोध और बढ़ गया है. नीतीश कुमार नादौन डिवीजन में बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष है. बिजली बोर्ड़ कर्मचारियों, इंजीनियरों और पेंशनरों की राज्य ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने बिजली बोर्ड प्रबंधन के इस फैसले पर अपना विरोध जताया है. ज्वाइंट एक्शन कमेटी का कहना है कि यूनियन पदाधिकारी नीतीश कुमार को महज बिजली बोर्ड प्रबंधन की तरफ से पदों को समाप्त करने और बोर्ड में पुरानी पेंशन के पक्ष में आवाज उठाने पर सस्पेंड किया गया है. जो एक बदले की भावना से की गई कार्रवाई है. जिसे अब किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

'प्रबंधन के आदेश ट्रेड यूनियन के अधिकारों के खिलाफ'

ज्वाइंट एक्शन कमेटी के घटक नेताओं केएएस गुप्ता, एसके सोनी, चंद्र सिंह मंडयाल, पीएल गुप्ता, लोकेश ठाकुर, कामेश्वर दत्त शर्मा, लक्ष्मण कपटा, मुकेश राठी, मनोहर लाल, दीपक चौहान, अश्वनी शर्मा व नरेंद्र ठाकुर ने आरोप लगाया कि प्रबंधन का ये फैसला संविधान में परिकल्पित नागरिकों के मौलिक अधिकारों के साथ-साथ ट्रेड यूनियन अधिनियम में कर्मचारी वर्ग को दिए गए ट्रेड यूनियन अधिकारों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि कर्मचारी नेता के निलंबन का मुख्य कारण 11 फरवरी को हमीरपुर में आयोजित बिजली पंचायत उनके दिया गया भाषण था. जिसमें कर्मचारी नेता ने पदों को समाप्त करने और पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग रखी थी. नीतीश कुमार के भाषण में कुछ भी अपमानजनक नहीं था और उन्होंने केवल बिजली बोर्ड़ और इसके कर्मचारियों से संबंधित मांगें उठाई थी. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को सुनवाई का कोई भी अवसर दिए बिना सीधे सस्पेंड कर दिया गया है. यह नेचुरल जस्टिस और सीसीएस कंडक्ट नियमों की प्रक्रिया का उल्लंघन है. ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हुए इस हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

'दबाई नहीं जा सकती कर्मचारियों की आवाज'

जेएसी के संयोजक लोकेश ठाकुर ने कहा, "बिजली बोर्ड प्रबंधन का फैसला कर्मचारियों की आवाज को दबा नहीं सकता है. इससे कर्मचारियों, इंजीनियरों और पेंशनरों में आक्रोश और बढ़ेगा. जिसकी झलक 18 फरवरी जिला ऊना में आयोजित होने वाली बिजली पंचायत में दिखेगी." लोकेश ठाकुर ने निलंबन आदेशों को तुरंत वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि सरकार और प्रबंधन को जिम्मेदारी की भावना के साथ आगे आना चाहिए और बिजली बोर्ड़ कर्मचारी, अभियंता व पेंशनर्स के जेएसी की ओर से उठाए गए मुद्दों पर तुरंत बातचीत करनी चाहिए, ताकि उनके बीच व्याप्त गतिरोध को तोड़ा जा सके.

जेएसी के संयोजक लोकेश ठाकुर ने चेतावनी दी है, "अगर बिजली बोर्ड प्रबंधन इन मुद्दों पर वार्ता कर समाधान नहीं करता है तो जेएसी 24 फरवरी को बड़ी कार्रवाई करने पर मजबूर होगी, जिसके लिए प्रबंधन को पहले ही नोटिस दिया जा चुका है."

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Last Updated : Feb 17, 2025, 11:59 AM IST
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