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नीलकंठ महादेव का घृत कंबल श्रृंगार, इस मंदिर में जलाभिषेक करने पर बदलता है शिवलिंग का रंग - NEELKANTH MAHADEV SHIVLING SHRINGAR

छोटी काशी मंडी में नीलकंठ महादेव मंदिर में बाबा भोलेनाथ का घृत कंबल श्रृंगार किया गया.

Neelkanth Mahadev Temple
नीलकंठ महादेव का श्रृंगार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 17, 2025, 11:24 AM IST

Updated : Feb 17, 2025, 12:04 PM IST

मंडी: देश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाली छोटी काशी मंडी के अनेकों शिवालयों में 27 जनवरी की तारा रात्रि से बाबा भोलेनाथ के घृत कंबल रूपी श्रृंगार रस्में लगातार जारी है. इन शिवालयों में बाबा भोलेनाथ रोजाना नए स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं. शहर के बीचोबीच विराजमान नीलकंठ महादेव मंदिर में भी बाबा के माखन रूपी श्रृंगार की रस्में भी पिछले कई सालों से निभाई जा रही हैं. शिखर शैली में बना यह मंदिर हिमाचल का एक एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां मंदिर के गर्भगृह में बाबा भोलेनाथ का सबसे बड़ा शिवलिंग मौजूद है.

नीलकंठ महादेव मंदिर में बाबा भोलेनाथ का माखन से श्रृंगार (ETV Bharat)

16 सालों से निभाई जा रही घृत कंबल की रस्म

नीलकंठ महादेव मंदिर के पुजारी चंदन कटोच ने बताया, "यहां के स्थानीय युवाओं को साथ लेकर हमने बाबा के माखन रूपी श्रृंगार की रस्मों को शुरू किया था. पिछले 16 सालों से यह रस्में मंदिर में लगातार निभाई जा रही हैं. इस पहल को करने से आज जहां स्थानीय युवा धर्म पथ पर आगे बढ़ रहें हैं. वहीं, नशे जैसी बुराईयों से भी अपने आप को दूर रख रहें हैं."

Neelkanth Mahadev Temple
नीलकंठ महादेव मंदिर (ETV Bharat)

माता श्यामा काली के रूप में श्रृंगार

पुजारी चंदन कटोच ने बताया कि घृतकंबल श्रृंगार के 21वें दिन यानी सोमवार को माता श्यामा काली के रूप में नीलकंठ महादेव का श्रृंगार किया गया है. मंदिर में स्थायी पुजारी न होने के कारण यहां के स्थानीय लोगों व युवाओं द्वारा ही सुबह शाम बाबा की आरती की जाती है. पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का पान करने के बाद भगवान भोलेनाथ नीलकंठ कहलाए.

'जलाभिषेक करने पर गहरे नीले रंग का हो जाता है शिवलिंग'

नीलकंठ महादेव मंदिर के पुजारी चंदन कटोच ने बताया, "सदियों पुराने छोटी काशी के इस मंदिर में विराजमान नीलकंठ महादेव के शिवलिंग का जब जलाभिषेक किया जाता है तो ये शिवलिंग खुद ही गहरे नीले रंग में परिवर्तित हो जाता है. इसलिए इस मंदिर का नाम नीलकंठ महादेव के नाम पर है."

ये भी पढ़ें: महाशिवरात्रि कब है, 26 या 27 फरवरी? यहां जानें पूजा मुहूर्त और पारण का सही समय

ये भी पढ़ें: महाशिवरात्रि पर बन रहे हैं दुर्लभ संयोग, इन 3 राशियों के जीवन में होगा बड़ा बदलाव, चमकने वाली है किस्मत!

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नीलकंठ महादेव मंदिर में बाबा भोलेनाथ का माखन से श्रृंगार (ETV Bharat)

16 सालों से निभाई जा रही घृत कंबल की रस्म

नीलकंठ महादेव मंदिर के पुजारी चंदन कटोच ने बताया, "यहां के स्थानीय युवाओं को साथ लेकर हमने बाबा के माखन रूपी श्रृंगार की रस्मों को शुरू किया था. पिछले 16 सालों से यह रस्में मंदिर में लगातार निभाई जा रही हैं. इस पहल को करने से आज जहां स्थानीय युवा धर्म पथ पर आगे बढ़ रहें हैं. वहीं, नशे जैसी बुराईयों से भी अपने आप को दूर रख रहें हैं."

Neelkanth Mahadev Temple
नीलकंठ महादेव मंदिर (ETV Bharat)

माता श्यामा काली के रूप में श्रृंगार

पुजारी चंदन कटोच ने बताया कि घृतकंबल श्रृंगार के 21वें दिन यानी सोमवार को माता श्यामा काली के रूप में नीलकंठ महादेव का श्रृंगार किया गया है. मंदिर में स्थायी पुजारी न होने के कारण यहां के स्थानीय लोगों व युवाओं द्वारा ही सुबह शाम बाबा की आरती की जाती है. पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का पान करने के बाद भगवान भोलेनाथ नीलकंठ कहलाए.

'जलाभिषेक करने पर गहरे नीले रंग का हो जाता है शिवलिंग'

नीलकंठ महादेव मंदिर के पुजारी चंदन कटोच ने बताया, "सदियों पुराने छोटी काशी के इस मंदिर में विराजमान नीलकंठ महादेव के शिवलिंग का जब जलाभिषेक किया जाता है तो ये शिवलिंग खुद ही गहरे नीले रंग में परिवर्तित हो जाता है. इसलिए इस मंदिर का नाम नीलकंठ महादेव के नाम पर है."

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Last Updated : Feb 17, 2025, 12:04 PM IST
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