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पहाड़ी गायों के संरक्षण के लिए शिमला में सेमिनार, कार्यक्रम में दी जाएगी ये जानकारी - Arogya Bharati in Shimla

शिमला में आरोग्य भारती व कल्याणी पहाड़ी गौ विज्ञान केंद्र संयुक्त रूप से पोर्टमोर स्कूल में 3 दिसंबर को एक कार्यशाला का आयोजन करने जा रहा है. कार्यशाला में लोगों को पहाड़ी गाय के लाभ व गुणों के बारे में जानकारी दी जाएगी.

Shimla for conservation on hill cows.
पहाड़ी गाय के संरक्षण के लिए शिमला में सेमिनार.
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Published : Dec 1, 2019, 10:29 AM IST

शिमला: जिला शिमला में आरोग्य भारती व कल्याणी पहाड़ी गौ विज्ञान केंद्र संयुक्त रूप से शिमला के पोर्टमोर स्कूल में 3 दिसंबर को एक कार्यशाला का आयोजन करने जा रहे हैं. कार्यशाला में उन्हीं वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है, जो पहाड़ी गायों पर काफी ज्यादा शोध कर चुके हैं और इनकी विशेषताओं के बारे में जानते हैं.

सेमिनार में विभिन्न राज्यों से गौ वैज्ञानिक, विशेषज्ञ एवं विशिष्ट वक्त उपस्थित रहेंगे. विशेषज्ञ कार्यशाला में उपस्थित लोगों को पहाड़ी गाय के लाभ व गुणों के बारे में जानकारी देंगे. पहाड़ी गाय के दूध के साथ-साथ उन्के गोबर और गौमूत्र से भी कई प्रकार की दवाइयां व अन्य उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं, जिससे कि किसानों को आमदनी भी हो सकती है. विशेषज्ञ लोगों को जानकारी प्रदान करेंगे कि आवारा पहाड़ी गाय कितनी लाभकारी और गुणकारी है.

वीडियो रिपोर्ट.

आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव राकेश पंडित ने बताया कि पहाड़ी गाय को लोग सड़कों पर आवारा घूमने के लिए छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर उस गाय की नस्ल को विकसित किया जाए तो उससे किसान 2 से लेकर 10 किलो तक दूध ले सकता है, जिसकी कीमत भी अन्य दूध के मुकाबले ज्यादा होगी. सचिव ने कहा कि दिल्ली के एम्स में मानसिक रोगों से पंचगव्य के उपचार पर भी प्रमाणिक शोध हुआ है. इसके साथ ही पहाड़ी गाय के दूध को एसिडिटी, इम्यूनिटी, मेमोरी, मिर्गी, मानसिक रोगों, मधुमेह को रोकने और दिल के दौरों में भी उपयोगी माना जाता है.

उन्होंने बताया कि गौमूत्र के सेवन से कई प्रकार के कैंसर का उपचार हो रहा है. यह तथ्य जर्मनी के वैज्ञानिक डॉ. जूलियस व डॉ बुस्च ने प्रमाणित किए हैं. ऐसे में किसानों को यह बताना जरूरी है कि पहाड़ी गाय कितनी उपयोगी है. उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि पहाड़ी गाय के संरक्षण के लिए क़दम उठाए जाएं, जिससे कि पहाड़ी गाय को पाल कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकें.

ये भी पढ़ें: इस पंचायत में 20 सालों बाद पहली बार कोई विधायक पहुंचा! मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं यहां के लोग

शिमला: जिला शिमला में आरोग्य भारती व कल्याणी पहाड़ी गौ विज्ञान केंद्र संयुक्त रूप से शिमला के पोर्टमोर स्कूल में 3 दिसंबर को एक कार्यशाला का आयोजन करने जा रहे हैं. कार्यशाला में उन्हीं वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है, जो पहाड़ी गायों पर काफी ज्यादा शोध कर चुके हैं और इनकी विशेषताओं के बारे में जानते हैं.

सेमिनार में विभिन्न राज्यों से गौ वैज्ञानिक, विशेषज्ञ एवं विशिष्ट वक्त उपस्थित रहेंगे. विशेषज्ञ कार्यशाला में उपस्थित लोगों को पहाड़ी गाय के लाभ व गुणों के बारे में जानकारी देंगे. पहाड़ी गाय के दूध के साथ-साथ उन्के गोबर और गौमूत्र से भी कई प्रकार की दवाइयां व अन्य उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं, जिससे कि किसानों को आमदनी भी हो सकती है. विशेषज्ञ लोगों को जानकारी प्रदान करेंगे कि आवारा पहाड़ी गाय कितनी लाभकारी और गुणकारी है.

वीडियो रिपोर्ट.

आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव राकेश पंडित ने बताया कि पहाड़ी गाय को लोग सड़कों पर आवारा घूमने के लिए छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर उस गाय की नस्ल को विकसित किया जाए तो उससे किसान 2 से लेकर 10 किलो तक दूध ले सकता है, जिसकी कीमत भी अन्य दूध के मुकाबले ज्यादा होगी. सचिव ने कहा कि दिल्ली के एम्स में मानसिक रोगों से पंचगव्य के उपचार पर भी प्रमाणिक शोध हुआ है. इसके साथ ही पहाड़ी गाय के दूध को एसिडिटी, इम्यूनिटी, मेमोरी, मिर्गी, मानसिक रोगों, मधुमेह को रोकने और दिल के दौरों में भी उपयोगी माना जाता है.

उन्होंने बताया कि गौमूत्र के सेवन से कई प्रकार के कैंसर का उपचार हो रहा है. यह तथ्य जर्मनी के वैज्ञानिक डॉ. जूलियस व डॉ बुस्च ने प्रमाणित किए हैं. ऐसे में किसानों को यह बताना जरूरी है कि पहाड़ी गाय कितनी उपयोगी है. उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि पहाड़ी गाय के संरक्षण के लिए क़दम उठाए जाएं, जिससे कि पहाड़ी गाय को पाल कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकें.

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Intro:सड़कों पर आवारा छोड़ी गई पहाड़ी गाय कितनी लाभकारी ओर गुणकारी है यह बात इन गायों को सड़कों पर छोड़ने वाले लोगों को नहीं पता है,लेकिन प्रदेश में क़ई किसानों के लिए यह पहाड़ी गाय उनकी आमदनी की वजह बन रही है। इसकी वजह है पहाड़ी गाय के गोबर और गौमूत्र ने बसे औषधीय गुण जिसकी वजह से आमदनी किसानों को हो रही है। अब पहाड़ी गाय के इन्ही औषधीय गुणोंवक बारे में अन्य किसानों को भी पता चल सके वह इसके बारे जागरूक हो सके इसके लिए आरोग्य भारती एवं कल्याणी पहाड़ी गौ विज्ञान केंद्र संयुक्त रूप से शिमला के पोर्टमोर स्कूल में 3 दिसंबर को एक कार्यशाला का आयोजन करने जा रहे है।


Body:इस कार्यशाला में इस तरह के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है जो पहाड़ी गायों पर काफी ज्यादा शोध कर चुके हैं और इनकी विशेषताओं के बारे में जानते हैं। सेमिनार में गो वैज्ञानिक,विशेषज्ञ एवं विशिष्ट वक्ताओं में गो वैज्ञानिक डॉ देवेंद्र सदाना करनाल हरियाणा, वैज्ञानिक प्रोफेसर आर. एस चौहान पंतनगर उत्तराखंड, विशिष्ट वक्ता डॉ,अशोक वार्ष्णेय राष्ट्रीय संगठन सचिव आरोग्य भारती भोपाल मध्य प्रदेश, गव्यसिद्ध ओमप्रकाश पांडे जालंधर पंजाब से उपस्थित रहेंगे। यह विशेषज्ञ कार्यशाला में उपस्थित लोगों को इस बात के बारे में जानकारी देंगे कि पहाड़ी गाय के दूध में ही पौष्टिकता नहीं है बल्कि इसके गोबर और गोमूत्र से भी कई प्रकार की दवाइयां और अन्य उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं जिससे कि किसानों को आमदनी भी हो सकती है।


Conclusion:आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव राकेश पंडित ने बताया कि पहाड़ी गाय जिसे अभी सड़कों पर आवारा घूमने के लिए छोड़ा जा रहा है। अगर उस नस्ल को विकसित किया जाए तो उससे 2 से लेकर 10 किलो तक दूध किसान ले सकता है, जिसकी कीमत भी अन्य दूध के मुकाबले अधिक होगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली के एम्स में मानसिक रोगों से पंचगव्य के उपचार पर भी प्रमाणिक शोध हुआ है। इसके साथ ही पहाड़ी गाय के दूध में एसिडिटी कम करने वाला, इम्यूनिटी और मेमोरी बढ़ाने वाला मिर्गी एवं मानसिक रोगों में उपयोगी मधुमेह को रोकने वाला व दिल के दौरों में भी उपयोगी माना जाता है। उन्होंने बताया कि गोमूत्र के सेवन से कई प्रकार के कैंसर का उपचार हो रहा है यह तथ्य जर्मनी के वैज्ञानिक डॉ.जूलियस एवं डॉ बुस्च ने प्रमाणित किए हैं। ऐसे में किसानों को यह बताना जरूरी है कि पहाड़ी गाय कितनी उपयोगी है। उन्होंने प्रदेश सरकार से भी यह मांग की कि पहाड़ी गाय के संरक्षण के लिए क़दम उठाए जाएं जिससे कि पहाड़ी गाय को पाल कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकें।
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