शिमला: प्रदेश में कोरोना का कहर लगातार जारी है. इसी बीच कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं. शिमला के आईजीएमसी में नेरचौक मेडिकल कॉलेज से रेफर की गई महिला में ब्लैक फंगस का मामला सामने आने के बाद सोलन जिले के अर्की की रहने वाली महिला में भी ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है.
शुक्रवार को महिला का सैंपल लिया गया था और शनिवार को रिपोर्ट पॉजटिव आने के बाद महिला का ईएनटी विभाग ने सफल ऑपरेशन कर दिया है, जबकि नेरचौक से रेफर ब्लैक फंगस महिला का आज ऑपरेशन नहीं हो सका. महिला का शुगर हाई होने से ऑपरेशन नहीं हुआ. अब सोमवार या मंगलवार को ऑपरेशन होगा.
गौरतलब है कि अर्की की महिला को शुक्रवार के दिन आईजीएमसी में दाखिल किया गया. मरीज के इलाज के दौरान उन में फंगस के लक्षण नजर आने के बाद डॉक्टरों ने एहतियात के तौर पर सैंपल लिए थे. आईजीएमसी के प्रशानिक अधिकारी राहुल गुप्ता ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि सोलन अर्की से आई महिला भी ब्लैक फंगस पॉजिटिव आई है. उसका आज सफल ऑपरेशन हुआ है.
गंभीर बीमारी वाले लोग रखें विशेष ख्याल
आईजीएमसी के प्रशानिक अधिकारी राहुल गुप्ता का कहना है कि ब्लैक फंगस बीमारी हाईएस्ट स्टेज पर जाकर जानलेवा होती है. शुरुआती लक्षणों के समय पर जांच करने से इस बीमारी का दवाइयों वह इंजेक्शन से इलाज संभव है. पहले से गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को ब्लैक फंगस होने की संभावना अधिक रहती है इसलिए उन्होंने लोगों से अपील की है कि ऐसे लोग अपना विशेष ख्याल रखें.
कीटाणु वातावरण में मौजूद होते हैं
उन्होंने कहा कि अपने शरीर व चेहरे को अच्छे तरीके से साफ करते रहें. इस प्रकार का फंगस बनाने वाले कीटाणु वातावरण में मौजूद होते हैं, लेकिन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर ही वह फंगस का रूप धारण कर शरीर में काले निशान बनाते हैं. पहले यह नाक और आंख सहित त्वचा में फैलता है. इस स्थिति में दवाई इंजेक्शन या फिर सर्जरी से इसका इलाज संभव है, लेकिन अगर या इन्फेक्शन दिमाग तक चला जाता है तो यह जानलेवा हो सकता है.
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