शिमला: किन्नौर के नमज्ञा डोगरी में बर्फ के नीचे दबे 5 जवानों की खोज में लगे सेना के अधिकारियों को शनिवार को बर्फ हटाते समय एक घड़ी मिली है, जो कि दबे सैनिकों में से ही किसी का होने की संभावना है. इससे पहले टोपी और मोबाइल फोन भी मिला था. इससे अब जवानों के जल्द मिलने की आशाएं बढ़ गयी हैं.
जानकारी के अनुसार, घटना स्थल पर कई प्रकार के संकेत लगातार ग्लेशियर की चपेट में आए जवानों की खोज में मिल रहे है, लेकिन 10 दिन बाद भी कोई जवानों का कोई पता नहीं चल पा रहा है. जबकि शनिवार को टीम को एक घड़ी मिली है. शनिवार को भी सुबह 7 बजे से आर्मी के पांचों जवानों की तलाश शुरू कर दी गई है. हालांकि, मौसम ने एक बार फिर से करवट ले ली है. इसके बावजूद भी जवानों की तलाश जारी है.
बता दें किसेना द्वारा डीआरडीओ की मदद भी ली जा रही है. शनिवार को डीआरडीओ (रक्षा अनुसांधान एवं विकास संगठन) के साइंटिस्ट् का एक विशेष दल घटना स्थल पर आया है. इस दौरान दल के साथ और एक खोजी कुते को भी शामिल किया गया है. दल ने मौके पर पहुंचकर आधुनिक उपकरणों समेत डॉग स्क्वायड की मदद से जवानों की तलाश शुरू कर दी है. शनिवार के दिन एक और डॉग स्कवायड को लगाया गया है.
घटना के बाद से ही आर्मी, आईटीबीपी और ग्रेफ की विशेष टीमों द्वारा सर्च ऑपरेशन किया जा रहा है. इस दौरान आधुनिक मशीनरीज के अलावा स्थानीय ग्रामीणों की भी मदद भी ली जा रही है. विशेष टीमों की मदद से किेए जा रही सर्च ऑपरेशन के दौरान मौसम भी कई बार करवट बदल चुका है.
बता दें की पुह उपमंडल के नमज्ञा डोगरी नामक स्थान पर बुधवार 20 फरवरी को ग्लेशियर की चपेट में 6 जवान आए थे. जिनमें से एक जवान को तुरंत प्रभाव से निकाल दिया गया था. लेकिन, 5 जवानों का 10 दिन बाद भी कोई सुराग नहीं लग पाया है. उन पांच जवानों की तलाश जारी है.
जिनमें इलेक्ट्रॉनिक राडार डिटेक्टर, मैटल डिटैक्टर व खोजी कुत्ते का इस्तेमाल किया जा रहा है. बर्फ को करीब 5 से 6 फीट गहरा खोद कर लंबी पट्टी बनाई जा रही है, ताकि इसमें खोजी कुत्ते के अलावा इलैक्ट्रॉनिक रडार के जरिए जवानों को तलाशा जा सके. लेकिन कई स्थानों पर बर्फ की परत काफी मोटी है. इससे ग्लेशियर में दबे जवानों का पता नहीं चल रहा है.