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Scrub Typhus In Himachal: आईजीएमसी शिमला में स्क्रब टाइफस से 7 साल की बच्ची की मौत, 12 नए मामले आए सामने - शिमला में स्क्रब टाइफस का प्रकोप

हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टाइफस कहर बरपा रहा है. आज आईजीएमसी अस्पताल शिमला में सोलन जिले की 7 साल की बच्ची ने दम तोड़ दिया. इसके साथ ही आज 12 नए मामले सामने आए हैं. पढ़ें पूरी खबर... (Scrub Typhus In Himachal).

Scrub Typhus In Himachal
सांकेतिक तस्वीर.
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 4, 2023, 7:41 PM IST

शिमला: हिमाचल में स्क्रब टाइफस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. स्क्रब टाइफस से सोमवार को एक और मौत हो गई है. सोलन जिले के अर्की की रहने वाली 7 साल की बच्ची ने आईजीएमसी अस्पताल में दम तोड़ा है. वहीं, अस्पताल में सोमवार को स्क्रब टाइफस के 12 नए मामले सामने आए. स्क्रब टाइफस के 35 सैंपल की जांच की गई, जिनमें 12 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. अब तक स्क्रब टाइफस के कुल 818 सैंपल की जांच की जा चुकी है, जिनमें 239 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. वहीं, स्क्रब टाइफस से अब तक 7 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इसके अलावा पीलिया का 1 मामला सामने आया है. सोमवार को पीलिया के 4 सैंपल लिए गए, जिनमें 1 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. पीलिया के अब तक 229 सैंपल लिए गए, जिनमें 95 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.

अस्पताल के एमएस डॉक्टर राहुल राव ने कहा कि स्क्रब टाइफस से सोलन जिले के अर्की की 7 साल की बच्ची ने अपनी जान गंवाई है. स्क्रब टाइफस के लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल में आकर अपना चेकअप करवाएं. प्रदेश में 800 के लगभग मामले स्क्रब टाइफस के आ चुके हैं.

स्क्रब टाइफस एक जीवाणु संक्रमण से होने वाली बीमारी है. विशिष्ट बैक्टीरिया रिकेट्सिया नामक समूह से संबंधित है. यह रोग पिस्सू, घुन, जूं आदि जैसे छोटे कीड़ों के काटने से फैलता है. स्क्रब टाइफस के मामले में, संक्रमण छोटे लार्वा माइट्स के माध्यम से फैलता है. स्क्रब टाइफस होने से शुरू में कोई दर्द नहीं होता है घास में जाने पर यदि किट काट ले तो कुछ समय बाद वहां काले निशान पड़ने शुरू हो जाते हैं ऐसे में लोगों को तुरंत अस्पताल जाकर जांच करवानी चाहिए.

स्क्रब टाइफस के लक्षण: स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 सेर 105 तक जा सकता है. जोड़ों में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार शरीर में ऐंठन अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना, अधिक संक्रमण में गर्दन बाजू कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना आदि इसके लक्षण हैं.

स्क्रब टाइफस से बचने के उपाय: लोग सफाई का विशेष ध्यान रखे. घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें. घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरुआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है.

स्क्रब टाइफस का इलाज: स्क्रब टाइफस का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं, विशेष रूप से डॉक्सीसाइक्लिन से होता है. यह किसी भी उम्र के रोगियों को दिया जा सकता है जब तक कि अन्य चिकित्सीय स्थितियां इसके उपयोग को प्रतिबंधित न करें. हालांकि इसमें शामिल प्रक्रियाओं के कारण निदान की पुष्टि में समय लग सकता है, जितनी जल्दी एंटीबायोटिक्स ली जाएंगी, दवा उतनी ही अधिक प्रभावी होगी और रिकवरी भी उतनी ही तेजी से होगी.

स्क्रब टाइफस से 2022 में 20 के लगभग मौत हुई है, जबकि 2000 टेस्ट करवाए गए थे. जिसमें 500 लोग पॉजिटिव पाए गए थे. 2020 और 21 में कोरोना संक्रमण के दौरान इसके टेस्ट नहीं हो पाए. जबकि 2019 में 12 के लोगों की मौत हो चुकी थी. उस समय भी 600 के लगभग लोग स्क्रब टाइफस के पॉजीटिव थे.

ये भी पढ़ें- scrub typhus in Himachal: स्क्रब टाइफस से एक और मरीज की मौत, अब तक 6 लोगों की जा चुकी है जान

शिमला: हिमाचल में स्क्रब टाइफस के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. स्क्रब टाइफस से सोमवार को एक और मौत हो गई है. सोलन जिले के अर्की की रहने वाली 7 साल की बच्ची ने आईजीएमसी अस्पताल में दम तोड़ा है. वहीं, अस्पताल में सोमवार को स्क्रब टाइफस के 12 नए मामले सामने आए. स्क्रब टाइफस के 35 सैंपल की जांच की गई, जिनमें 12 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. अब तक स्क्रब टाइफस के कुल 818 सैंपल की जांच की जा चुकी है, जिनमें 239 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. वहीं, स्क्रब टाइफस से अब तक 7 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इसके अलावा पीलिया का 1 मामला सामने आया है. सोमवार को पीलिया के 4 सैंपल लिए गए, जिनमें 1 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. पीलिया के अब तक 229 सैंपल लिए गए, जिनमें 95 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.

अस्पताल के एमएस डॉक्टर राहुल राव ने कहा कि स्क्रब टाइफस से सोलन जिले के अर्की की 7 साल की बच्ची ने अपनी जान गंवाई है. स्क्रब टाइफस के लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल में आकर अपना चेकअप करवाएं. प्रदेश में 800 के लगभग मामले स्क्रब टाइफस के आ चुके हैं.

स्क्रब टाइफस एक जीवाणु संक्रमण से होने वाली बीमारी है. विशिष्ट बैक्टीरिया रिकेट्सिया नामक समूह से संबंधित है. यह रोग पिस्सू, घुन, जूं आदि जैसे छोटे कीड़ों के काटने से फैलता है. स्क्रब टाइफस के मामले में, संक्रमण छोटे लार्वा माइट्स के माध्यम से फैलता है. स्क्रब टाइफस होने से शुरू में कोई दर्द नहीं होता है घास में जाने पर यदि किट काट ले तो कुछ समय बाद वहां काले निशान पड़ने शुरू हो जाते हैं ऐसे में लोगों को तुरंत अस्पताल जाकर जांच करवानी चाहिए.

स्क्रब टाइफस के लक्षण: स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 सेर 105 तक जा सकता है. जोड़ों में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार शरीर में ऐंठन अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना, अधिक संक्रमण में गर्दन बाजू कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना आदि इसके लक्षण हैं.

स्क्रब टाइफस से बचने के उपाय: लोग सफाई का विशेष ध्यान रखे. घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें. घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन दवा दी जाती है. स्क्रब टाइफस शुरुआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है. यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है.

स्क्रब टाइफस का इलाज: स्क्रब टाइफस का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं, विशेष रूप से डॉक्सीसाइक्लिन से होता है. यह किसी भी उम्र के रोगियों को दिया जा सकता है जब तक कि अन्य चिकित्सीय स्थितियां इसके उपयोग को प्रतिबंधित न करें. हालांकि इसमें शामिल प्रक्रियाओं के कारण निदान की पुष्टि में समय लग सकता है, जितनी जल्दी एंटीबायोटिक्स ली जाएंगी, दवा उतनी ही अधिक प्रभावी होगी और रिकवरी भी उतनी ही तेजी से होगी.

स्क्रब टाइफस से 2022 में 20 के लगभग मौत हुई है, जबकि 2000 टेस्ट करवाए गए थे. जिसमें 500 लोग पॉजिटिव पाए गए थे. 2020 और 21 में कोरोना संक्रमण के दौरान इसके टेस्ट नहीं हो पाए. जबकि 2019 में 12 के लोगों की मौत हो चुकी थी. उस समय भी 600 के लगभग लोग स्क्रब टाइफस के पॉजीटिव थे.

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