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जलवायु परिवर्तन पर मंथन के लिए शिमला में जुटे वैज्ञानिक, विभागीय अधिकारियों को दिए जा रहे ये टिप्स

ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे जलवायु परिवर्तन पर मंथन के लिए पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने सीआई जेड के साथ मिलकर शिमला में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.

जलवायु परिवर्तन पर मंथन के लिए शिमला में जुटे वैज्ञानिक, विभागीय अधिकारियों को दिए जा रहे ये टिप्स
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Published : Jul 18, 2019, 11:25 AM IST

शिमला: ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे जलवायु परिवर्तन पर मंथन के लिए पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने सीआई जेड के साथ मिलकर शिमला में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें सभी विभागों के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया.

कार्यशाला में बाहरी राज्यों से आए वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन पर मंथन किया और पर्यावरण परिवर्तन से हो रहे नुकसान और उन से कैसे बचा जाए इसको लेकर सभी को प्रशिक्षित किया.

वीडियो

विज्ञान पर्यावरण एवं प्रौद्योगकी के निदेशक डीसी राणा ने कहा की हर साल तापमान में वृद्धि हो रही है जिससे काफी समस्याएं पैदा हो रही हैं, जिसमें से सबसे बड़ा संकट पानी का है. राणा ने कहां क्लाइमेट चेंज का असर ग्लेशियर पर भी देखने को मिल रहा है.

ये भी पढ़े: चेकअप के लिए IGMC पहुंचे मुख्यमंत्री जयराम, हुआ X-ray

गेलशियर के पिघलने से जहां आने वाले समय से पानी की किल्लत होगी. वहीं, ग्लेशियर भी अपना वजूद खो देंगे. इसका असर कृषि के साथ-साथ पावर प्रोजेक्ट पर भी पड़ेगा. इन समस्याओं से निपटने के लिए हमें पहले से ही तैयारी की जानी चाहिए. इसी मकसद को लेकर तीन दिन की कार्यशाला का आयोजन किया गया है.

शिमला: ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे जलवायु परिवर्तन पर मंथन के लिए पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने सीआई जेड के साथ मिलकर शिमला में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें सभी विभागों के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया.

कार्यशाला में बाहरी राज्यों से आए वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन पर मंथन किया और पर्यावरण परिवर्तन से हो रहे नुकसान और उन से कैसे बचा जाए इसको लेकर सभी को प्रशिक्षित किया.

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विज्ञान पर्यावरण एवं प्रौद्योगकी के निदेशक डीसी राणा ने कहा की हर साल तापमान में वृद्धि हो रही है जिससे काफी समस्याएं पैदा हो रही हैं, जिसमें से सबसे बड़ा संकट पानी का है. राणा ने कहां क्लाइमेट चेंज का असर ग्लेशियर पर भी देखने को मिल रहा है.

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गेलशियर के पिघलने से जहां आने वाले समय से पानी की किल्लत होगी. वहीं, ग्लेशियर भी अपना वजूद खो देंगे. इसका असर कृषि के साथ-साथ पावर प्रोजेक्ट पर भी पड़ेगा. इन समस्याओं से निपटने के लिए हमें पहले से ही तैयारी की जानी चाहिए. इसी मकसद को लेकर तीन दिन की कार्यशाला का आयोजन किया गया है.

Intro:देश में तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है जिससे कई समस्याएं पैदा हो रही हैं खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में इसका बुरा असर पढ़ रहा है ।ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या आने वाले समय में गंभीर हो सकती है ।ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे जलवायु परिवर्तन पर मंथन के लिए पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने सीआई जेड के साथ मिलकर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन शिमला में किया ।जिसमें बाहरी राज्य से वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन पर मंथन कर रहे हैं ।इस कार्यशाला में सभी विभागों के अधिकारी भी हिस्सा ले रहे हैं जिन्हें पर्यावरण परिवर्तन से हो रही नुकसान और उन से कैसे बचा जाए इसको लेकर उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा


Body: विज्ञान पर्यावरण एवम प्रौद्योगकी के निदेशक डीसी राणा ने कहा की क्लाइमेट चेंज एक सच्चाई है इसे झुठलाया नहीं जा सकता है। हर साल तापमान में वृद्धि हो रही है जिसका काफी समस्याएं पैदा हो रही हैं जिसमें से सबसे बड़ा संकट पानी का है ।प्राकृतिक जल स्रोत धीरे धीरे खत्म हो रहे हैं और अब बारिश के पानी पर ही निर्भर ता बढ़ रही है ऐसे में आने वाले समझने समस्या काफी गंभीर हो सकती है। भविष्य में पानी की समस्या से निपटने के लिए पहले ही तैयार होना पड़ेगा और बारिश के पानी को एकत्रित किया जाना चाहिए और लोगो को चेक डैम बनाने चाहिए । राणा ने कहां क्लाइमेट चेंज का असर ग्लेशियर पर भी देखने को मिल रहा है साल दर साल ग्लेशियर पिघल रहे हैं। गेलशियर के पिघलने से जहा आने वाले समय से पानी की किल्लत होगी वही ग्लेशियर भी अपना वजूद खो देंगे।इसका असर कृषि के साथ साथ पावर प्रोजेक्ट पर भी पड़ेगा। इन समस्याओं से निपटने के लिए हमे पहले से ही तैयारी की जानी चाहिए। इसी मकसद से आज यहां तीन दिन की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।


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