शिमला: ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे जलवायु परिवर्तन पर मंथन के लिए पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने सीआई जेड के साथ मिलकर शिमला में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें सभी विभागों के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया.
कार्यशाला में बाहरी राज्यों से आए वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन पर मंथन किया और पर्यावरण परिवर्तन से हो रहे नुकसान और उन से कैसे बचा जाए इसको लेकर सभी को प्रशिक्षित किया.
विज्ञान पर्यावरण एवं प्रौद्योगकी के निदेशक डीसी राणा ने कहा की हर साल तापमान में वृद्धि हो रही है जिससे काफी समस्याएं पैदा हो रही हैं, जिसमें से सबसे बड़ा संकट पानी का है. राणा ने कहां क्लाइमेट चेंज का असर ग्लेशियर पर भी देखने को मिल रहा है.
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गेलशियर के पिघलने से जहां आने वाले समय से पानी की किल्लत होगी. वहीं, ग्लेशियर भी अपना वजूद खो देंगे. इसका असर कृषि के साथ-साथ पावर प्रोजेक्ट पर भी पड़ेगा. इन समस्याओं से निपटने के लिए हमें पहले से ही तैयारी की जानी चाहिए. इसी मकसद को लेकर तीन दिन की कार्यशाला का आयोजन किया गया है.