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सेब में स्कैब ने बढ़ाई बागवानों की चिंता, स्प्रे करने से पहले जरूर पढ़ें ये खबर

हिमाचल में इन दिनों बागवान सेब में स्कैब की बीमारी से चिंतित हैं. हालांकि अभी कुछेक एरिया से ही इस फलों को इस बीमारी से नुकसान की सूचना है. बागवानी विभाग ने बागवानों को एहतियात बरतनें के निर्देश दिए हैं.

scab in apple in himachal pradesh
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Published : Jun 27, 2019, 2:50 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले सेब पर इन दिनों स्कैब बीमारी का खतरा मंडरा रहा है. सेब बाहुल्य क्षेत्र रोहड़ू ठियोग ओर कोटखाई में लोग स्कैब की बीमारी को लेकर चिंतित दिख रहे हैं.
करीब 37 सालों के बाद इस बीमारी की दस्तक से बागवानों को चिंता सता रही हैं. वहीं बागवानी विभाग भी इस बीमारी को लेकर पूरी तैयारी में जुटा हुआ है. विभाग ने अपने कर्मचारियों को इस बीमारी से निपटने के लिए दिशा निर्देश दे दिए हैं.

जानकारी देते बागवानी अधिकारी.
ठियोग के अंतर्गत आने वाली 50 पंचायतों में स्कैब बीमारी के कहीं भी कोई लक्षण नहीं पाए गए है. ठियोग में बागवानी विभाग के अधिकारी मदन शर्मा का कहना है कि लोगों को इस बीमारी से डरने की कोई आवश्यकता नही हैं. अगर किसी को कोई संदेह हो तो वो विभाग से सीधा संपर्क करें. बिना जानकारी के स्प्रे न करें.


क्या है स्कैब के लक्षण

  • सेब के पेड़ की पतियों में काले धब्बे पड़ना
  • सेब के फल का निचला हिस्सा काला पड़ जाना
  • फल में काले धब्बे पड़ना
  • सेब की पत्तियों का भूरा पड़ जाना

कैसे करें बचाव

  • नियमित रूप से विभाग द्वारा दिये शेड्यूल पर करें स्प्रे
  • डोडिन ओर कंटाप+मेनकोजेब का करें छिड़काव
  • 200 लीटर पानी 150 ml का करें प्रयोग
  • बिना विभागीय परामर्श के न करें कोई अतिरिक्त स्प्रे

बागवानी अधिकारी मदन शर्मा का कहना है कि ठियोग ब्लॉक और उसके अंतर्गत आने वाले दवाई वितरण केन्द्रों में इस बीमारी से बचने के लिए सभी दवाइयां उपलब्ध है और लोग अपने नजदीकी केंद्र से इसकी दवाई ले और बीमारी के लक्षण दिखने पर विभाग के कर्मचारियों से सम्पर्क कर उन्हें अपने बगीचे में ले जाये जिससे समय रहते इस बीमारी पर काबू पाया जा सके.


आपको बता दें कि इन दिनों स्कैब की बीमारी को लेकर चिंतित बागवान इस बीमारी से बचने के लिए सरकार और विभाग से जमीनी स्तर पर मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन ये बीमारी केवल जुब्बल और ननखड़ी के कुछ एक बगीचे में ही देखी गई है. जिस पर बागवानी विभाग पूरी मुस्तैदी से काबू करने में जुटा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः बसों में ओवरलोडिंग पर बोले शिमलावासी- 'हादसों के बाद जागती है सरकार, सख्त हो कानून'

शिमला: हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले सेब पर इन दिनों स्कैब बीमारी का खतरा मंडरा रहा है. सेब बाहुल्य क्षेत्र रोहड़ू ठियोग ओर कोटखाई में लोग स्कैब की बीमारी को लेकर चिंतित दिख रहे हैं.
करीब 37 सालों के बाद इस बीमारी की दस्तक से बागवानों को चिंता सता रही हैं. वहीं बागवानी विभाग भी इस बीमारी को लेकर पूरी तैयारी में जुटा हुआ है. विभाग ने अपने कर्मचारियों को इस बीमारी से निपटने के लिए दिशा निर्देश दे दिए हैं.

जानकारी देते बागवानी अधिकारी.
ठियोग के अंतर्गत आने वाली 50 पंचायतों में स्कैब बीमारी के कहीं भी कोई लक्षण नहीं पाए गए है. ठियोग में बागवानी विभाग के अधिकारी मदन शर्मा का कहना है कि लोगों को इस बीमारी से डरने की कोई आवश्यकता नही हैं. अगर किसी को कोई संदेह हो तो वो विभाग से सीधा संपर्क करें. बिना जानकारी के स्प्रे न करें.


क्या है स्कैब के लक्षण

  • सेब के पेड़ की पतियों में काले धब्बे पड़ना
  • सेब के फल का निचला हिस्सा काला पड़ जाना
  • फल में काले धब्बे पड़ना
  • सेब की पत्तियों का भूरा पड़ जाना

कैसे करें बचाव

  • नियमित रूप से विभाग द्वारा दिये शेड्यूल पर करें स्प्रे
  • डोडिन ओर कंटाप+मेनकोजेब का करें छिड़काव
  • 200 लीटर पानी 150 ml का करें प्रयोग
  • बिना विभागीय परामर्श के न करें कोई अतिरिक्त स्प्रे

बागवानी अधिकारी मदन शर्मा का कहना है कि ठियोग ब्लॉक और उसके अंतर्गत आने वाले दवाई वितरण केन्द्रों में इस बीमारी से बचने के लिए सभी दवाइयां उपलब्ध है और लोग अपने नजदीकी केंद्र से इसकी दवाई ले और बीमारी के लक्षण दिखने पर विभाग के कर्मचारियों से सम्पर्क कर उन्हें अपने बगीचे में ले जाये जिससे समय रहते इस बीमारी पर काबू पाया जा सके.


आपको बता दें कि इन दिनों स्कैब की बीमारी को लेकर चिंतित बागवान इस बीमारी से बचने के लिए सरकार और विभाग से जमीनी स्तर पर मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन ये बीमारी केवल जुब्बल और ननखड़ी के कुछ एक बगीचे में ही देखी गई है. जिस पर बागवानी विभाग पूरी मुस्तैदी से काबू करने में जुटा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः बसों में ओवरलोडिंग पर बोले शिमलावासी- 'हादसों के बाद जागती है सरकार, सख्त हो कानून'



---------- Forwarded message ---------
From: Suresh Sharma <journalist.suresh86@gmail.com>
Date: Thu, Jun 27, 2019 at 1:32 AM
Subject: सकैब से बचने के उपाय
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


ठियोग की 50 पंचायतों में कंही नही है सकैब कि बीमारी। बिना जानकारी कोई स्प्रेय न करे बागवान।
बीमारी के लक्षण दिखने पर विभाग से करे सम्पर्क।
बीमारी से बचने के लिये विभाग के पास मौजूद है दवाइयां।
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हिमाचल प्रदेश जी मुख्य आर्थकि सेब पर इन दिनों सकैब बीमारी का खतरा मंडरा रहा है। सेब बाहुल्य क्षेत्र रोहड़ू ठियोग ओर कोटखाई में लोग सकैब की बीमारी को लेकर चिंतित दिख रहे है। लगभग 37 सालों के बाद इस बीमारी की दस्तक से बागवानों को चिंता सता रही वन्ही बागवानी विभाग भी इस बीमारी को लेकर पूरी तैयारी में जुटा हुआ है।विभाग ने अपने कर्मचारियों को इस बीमारी से निपटने के लिए दिशा निर्देश दे दिए है।ठियोग के अंतर्गत आने वाली 50 पंचायतों में सकैब बीमारी के कंही भी कोई लक्षण नही पाए गए है।ठियोग में बागवानी विभाग के अधिकारी मदन शर्मा का कहना है कि लोगों को इस बीमारी से डरने की कोई आवश्यकता नही है।अगर किसी को कोई संदेह हो तो वो विभाग से सीधा संपर्क करे।

बाईट। मदन शर्मा 
बागवानी अधिकारी

क्या है सकैब के लक्षण 
सेब के पेड़ की पतियों में काले धब्बे पड़ना
सेब के फल का निचला हिसा काला पड़ जाना
फल में काले धब्बे पड़ना 
सेब की पत्तियों का भूरा पड़ जाना

कैसे करे बचाव 
नियमित रूप से विभाग द्वारा दिये शेड्यूल पर करे स्प्रेय
डोडिन ओर कंटाप +मेनकोजेब का करे छिड़काव
200 लीटर पानी 150 ml का करे प्रयोग
बिना विभागीय परामर्श के न करे कोई अतिरिक्त स्प्रेय
बाईट,

मदन शर्मा का कहना है कि ठियोग ब्लॉक ओर उसके अंतर्गत आने वाले दवाई वितरण केन्दों में इस बीमारी से बचने के लिए सभी दवाइयां उपलब्ध है।और लोग अपने नजदिकी केंद से इसकी दवाई ले और बीमारी के लक्षण दिखने पर विभाग के कर्मचारियों से सम्पर्क कर उन्हें अपने बगीचे में ले जाये जिससे समय रहते इस बीमारी पर काबू पाया जा सके।

मदन शर्मा 
बागवानी अधिकारी

आपको बता दे कि इन दिनों सकैब की बीमारी को लेकर चिंतित बागवान इस बीमारी से बचने के लिए सरकार और विभाग से जमीनी स्तर पर मदद की गुहार लगा रहे है। लेकिन ये बीमारी केवल जुब्बल ओर ननखड़ी के कुछ एक बगीचे में ही देखी गई है जिस पर बागवानी विभाग पूरी मुस्तैदी से काबू करने में जुटा हुआ है।

Etv भारत के लिये ठियोग से सुरेश शर्मा की रिपोर्ट

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