ETV Bharat / state

स्कैब को लेकर बागवान परेशान, उद्यान विभाग मुहैया करवाएगा दवाइयां

प्रदेश के कई सेब बहुल क्षेत्रों में स्कैब रोग बागवानों के लिए परेशानी का कारण बन गया है. स्कैब बीमारी के चलते सेब की फसल को भारी नुकसान हो सकता है. जिसे लेकर रामपुर के बागवान चिंतित हैं.

author img

By

Published : Jul 22, 2020, 4:25 PM IST

risk of scab disease on apple crop
फोटो

रामपुर: कोरोना संकट के बीच जिला शिमला के सेब बहुल इलाकों में स्कैब रोग के बढ़ने से बागवान काफी चिंतित हैं. बागवानों की माने तो समय रहते अगर इस बीमारी पर काबू नहीं पाया गया तो, आने वाले समय में बागवानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा.

वहीं, उद्यान विभाग के अधिकारी बलवीर चौहान ने बताया स्कैब रोग अधिकतर उन क्षेत्रों में फैलता है, जहां पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं पड़ती. उन्होंने बताया कि जहां पर अधिक बारिश होती है और बागों में अधिक नमी होती है, ऐसे क्षेत्रों में स्कैब रोग के फैलने का खतरा बढ़ जाता है. वहीं, बलबीर चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि स्कैब हिमाचल में सबसे पहले सन 1981 से 1982 के आस-पास पाया गया था.

वीडियो रिपोर्ट.

उद्यान विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस साल एक बार फिर से यह रोग सेब के पेड़ों में देखने को मिल रहा है. उन्होंने बताया कि इस बार स्कैब रोग की रोकथाम के लिए विभाग द्वारा टीम का गठन कर दिया गया है. जिसके बाद विशेषज्ञ की टीम मौके पर जाकर स्कैब रोग की रोकथाम के लिए बागवानों को जानकारी देगी.

बलवीर चौहान ने बताया कि प्रशासन सेब के बगीचों में इस बीमारी की रोकथाम के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है. उन्होंने बताया कि स्कैब पर रोकथाम के लिए उद्यान विभाग द्वारा बागवानों को दवाइयां भी मुहैया करवाई जा रही है.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस के धरना-प्रदर्शन से यातायात प्रभावित, कई दिग्गजों के खिलाफ मामला दर्ज

ये भी पढ़ें: BREAKING: सुरेश कश्यप बने हिमाचल BJP के नए प्रदेश अध्यक्ष

रामपुर: कोरोना संकट के बीच जिला शिमला के सेब बहुल इलाकों में स्कैब रोग के बढ़ने से बागवान काफी चिंतित हैं. बागवानों की माने तो समय रहते अगर इस बीमारी पर काबू नहीं पाया गया तो, आने वाले समय में बागवानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा.

वहीं, उद्यान विभाग के अधिकारी बलवीर चौहान ने बताया स्कैब रोग अधिकतर उन क्षेत्रों में फैलता है, जहां पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं पड़ती. उन्होंने बताया कि जहां पर अधिक बारिश होती है और बागों में अधिक नमी होती है, ऐसे क्षेत्रों में स्कैब रोग के फैलने का खतरा बढ़ जाता है. वहीं, बलबीर चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि स्कैब हिमाचल में सबसे पहले सन 1981 से 1982 के आस-पास पाया गया था.

वीडियो रिपोर्ट.

उद्यान विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस साल एक बार फिर से यह रोग सेब के पेड़ों में देखने को मिल रहा है. उन्होंने बताया कि इस बार स्कैब रोग की रोकथाम के लिए विभाग द्वारा टीम का गठन कर दिया गया है. जिसके बाद विशेषज्ञ की टीम मौके पर जाकर स्कैब रोग की रोकथाम के लिए बागवानों को जानकारी देगी.

बलवीर चौहान ने बताया कि प्रशासन सेब के बगीचों में इस बीमारी की रोकथाम के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है. उन्होंने बताया कि स्कैब पर रोकथाम के लिए उद्यान विभाग द्वारा बागवानों को दवाइयां भी मुहैया करवाई जा रही है.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस के धरना-प्रदर्शन से यातायात प्रभावित, कई दिग्गजों के खिलाफ मामला दर्ज

ये भी पढ़ें: BREAKING: सुरेश कश्यप बने हिमाचल BJP के नए प्रदेश अध्यक्ष

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.