शिमला: कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. कोरोना से मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार कोरोना गाइडलाइन के अनुसार किया जाता है. प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में शवों के अंतिम संस्कार के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से पूरा इंतजाम किया गया है कि ताकि लोगों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.
आईजीमएमसी में अंतिम संस्कार की पूरी व्यवस्था
अस्प्ताल के प्रशासनिक अधिकारी डॉक्टर राहुल गुप्ता ने बताया कि बीते साल 2020 में जब कोरोना का मामला आया था, तब इतनी जानकारी नहीं थी, न कोई गाइडलाइन थी. जैसे-जैसे इस पर काम करते रहे तो सरकार द्वारा एसओपी बनाई गई. उनका कहना था कि अस्प्ताल में शव का भी सम्मान हो, इसके लिए प्रबंध किए गए हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना वार्ड में वार्ड बॉय, सफाई कर्मचारी ही शव की को वार्ड से बाहर निकालते हैं. उनका कहना था कि अब यह काम एक निजी संस्था लोक कल्याण समिति को दिया गया है. वहीं, शव को वार्ड से बाहर लाते हैं और एंबुलेंस से कंलोग श्मशान घाट ले कर जाते हैं जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाता है.
लोक कल्याण समिति को सौंपा अंतिम संस्कार का जिम्मा
इस संबंध में जब लोक कल्याण समिति के संयोजक राजेश सरस्वती से बात की तो उन्होंने बताया कि पहले यह काम आईजीएमसी के कर्मचारी करते थे लेकिन बीते साल वार्ड में घंटों तक शव पड़ा रहता था, कोई नहीं उठाता था और कई बार कर्मचारी शराब पीए होते थे. ऐसे में प्रशासन ने यह जिम्मा लोक कल्याण समिति को सौंपा. उनका कहना था कि वर्तमान में उनके पास 8 लड़के हैं जो 24 घंटे इसी काम में लगे रहते हैं. उनका कहना था कि अस्पताल में 4 से 5 लोगों की मौत हो रही है. ऐसे में शव को सम्मान पूर्वक बाहर निकाला जाता है और जब एमसी कहती है कि शव को श्मशान घाट ले आओ तब शव को एंबुलेंस में अंतिम संस्कार के लिए भेजते हैं. उनका कहना था कि कुछ लोग शव को अपने गांव ले जाना चाहते हैं, उसके लिए भी व्यवस्था की जाती है.
प्रशासन की व्यवस्था से परिजनों को नहीं हो रही परेशानी
कोरोना से मृत व्यक्ति के भतीजे ने बताया कि उनके चाचा की कल रात कोरोना से मौत हो गई. उनके चाचा को मंगलवार शाम 4 बजे अस्प्ताल में दाखिल करवाया गया था लेकिन 8 बजे के करीब उन्होंने दम तोड़ दिया. उनका कहना था कि उन्हें शव लेने में कोई परेशानी नहीं हो रही है बल्कि अस्प्ताल प्रबंधन ने शव ले जाने में उनकी सहायता की. एंबुलेंस चालक योगी का कहना था कि वह 50 से अधिक शव को आईजीएसमी से कंलोग श्मशान घाट पहुंचा चुके हैं. उनका कहना था कि जब उन्हें एमसी से फोन आता है कि इस समय शव को लाना है, तब वह शव ले जाते हैं. उनका कहना था कि कई बार परेशानी तब होती है जब श्मशान घाट में लकड़ियां खत्म हो जाती हैं और इंतजार करना पड़ता है.
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