शिमला: हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के कंडक्टर्स ने व्हाट्सएप ग्रुप पर राज्य सरकार की लगेज पॉलिसी की कथित तौर पर आलोचना की थी. सरकार ने उन दोनों कंडक्टर्स की सेवाएं समाप्त कर दी थीं. दोनों कंडक्टर्स ने राहत पाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अब अदालत से इन दोनों को राहत मिल गई है. ये राहत अंतरिम तौर पर है. अदालत ने हिमाचल पथ परिवहन निगम प्रबंधन को दोनों की सेवाएं जारी रखने के आदेश दिए हैं. ये कंडक्टर्स हिमाचल पथ परिवहन निगम के रिकांगपिओ डिपो में सेवारत थे.
राजेश कुमार व सुनील कुमार नामक इन दोनों परिचालकों ने अपना पक्ष मीडिया के समक्ष भी रखा था और कहा था कि वे निर्दोष हैं. उन्होंने परिचालकों के निजी व्हाट्सअप ग्रुप पर लगेज पॉलिसी को लेकर कुछ टिप्पणियां की थीं. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य ने उपरोक्त दोनों परिचालकों को अंतरिम राहत दी है. याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार दोनों कंडक्टर्स अनुबंध के आधार पर रिकांगपिओ डिपो में कार्य कर रहे हैं. राजेश व सुनील के खिलाफ आरोप है कि इन्होंने व्हाट्सएप समूह के जरिए एचआरटीसी की लगेज पॉलिसी का विरोध किया था. पथ परिवहन निगम ने अधिसूचना के माध्यम से यह सूचित किया था कि कोई भी कर्मचारी निगम की नीतियों का विरोध नहीं करेगा.
याचिकाकर्ताओं की बातचीत सार्वजनिक होने पर यह तथ्य हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम के ध्यान में आ गया. निगम प्रबंधन ने इन दोनों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के अलावा इन्हें सुनवाई का मौका भी दिया. इनके पक्ष से संतुष्ट न होने पर इनके अनुबंध को 10 अक्टूबर को रद्द कर दिया. अनुबंध रद्द होने के बाद 11 अक्टूबर से इनकी सेवाएं समाप्त हो गई थी. प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रथम दृष्टया हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम द्वारा की गई इस कार्रवाई को कानून सम्मत न पाते हुए दोनों प्रार्थियों को यह अंतरिम राहत प्रदान कर दी. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम ने हाल ही में बसों में एक निश्चित भार के सामान का भी किराया वसूलने का प्रावधान किया है. इस फैसले के बाद सरकार का विरोध भी हो रहा था. नीति में स्पष्टता न होने के कारण यात्रियों की परिचालकों से बहस भी होने लगी थी. इसी बीच, ये घटनाक्रम सामने आया और सरकार ने दोनों परिचालकों की सेवाएं समाप्त कर दी थीं.