शिमला: कोरोना संकट के बीच प्रदूषण का स्तर पूरी दुनिया में घटा है. देश में लॉकडाउन के कारण सड़कों पर वाहन बंद होने, फैक्टरियों में काम ठप होने का असर पर्यावरण पर देखने को मिला है. मार्च के बाद अप्रैल महीने में हवा की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है और प्रदुषण र एक बड़े स्तर पर कम हुआ है.
पिछले 5 सालों में एयर क्वालिटी इंडेक्स में सबसे स्वच्छ और बेहतर हवा इसी साल अप्रैल में दर्ज की गई है. सबसे अधिक प्रदूषित रहने वाली राजधानी दिल्ली में भी वायु प्रदूषण में कमी आई है. इसके अलावा हिमाचल में भी आरएसपीएम (रीस्पाइरेबल सस्पेंडेड पर्टकिलेट मैटर) में कमी आई है.
हवा की गुणवत्ता में इतना सुधार आ गया है कि हिमाचल प्रदेश की धौलाधार पर्वत श्रृंखला पंजाब के जालंधर से साफ दिखाई दे रहे हैं.
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा जारी डाटा के अनुसार प्रदेश के खासकर औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर 65 फीसदी घटा है. 23 मार्च को जहां औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में आरएसपीएम 144.2 रिकॉर्ड किया गया था, वहीं 31 मार्च को ये कम होकर 47.3 पर पहुंच गया है.
इसके अलावा सुंदरनगर में 60.4 रिकॉर्ड किया गया था जोकि अब 18 फीसदी पर पहुंच गया है. इसके अलावा प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में प्रदूषण घटा है. गौरतलब है कि लॉकडाउन और कर्फ़्यू के बाद वाहनों की आवाजाही बिल्कुल ठप्प हो गई है. केवल जरूरी वस्तुओं की सेवाओं के लिए ही वाहनों की आवाजाही हो रही है. साथ ही कई उद्योग भी बंद पड़े हैं.
हिमाचल प्रदूषण बोर्ड के सचिव आदित्य नेगी ने कहा कि पिछले दस दिनों में प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है. इसका सबसे बड़ा कारण गाड़ियों के चलने पर रोक और उद्योगों में काम न होना है.
औद्योगिक क्षेत्रों में 65 फीसदी तक प्रदूषण कम हुआ है. बता दें कि कोरोना वायरस के मामले सामने आने के बाद देशभर में लॉक डाउन कर दिया है. ऐसे में वाहनों की आवाजाही बन्द हो गई है जिसके चलते प्रदेश में पर्यावरण पर असर देखने को मिल रहा है ओर मैदानी इलाकों में प्रदूषण का स्तर दिन प्रतिदिन कम हो रहा है.