शिमला: हिमाचल विधानसभा चुनाव में इस बार भी बागियों की भरमार है. भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों दल नाराज नेताओं के बगावती तेवरों से जूझ रहे हैं. उधर, दोनों ही दलों के बड़े नेता भावनाओं का वास्ता देकर बागियों की मान-मनौव्वल में जुटे हैं. भाजपा मिशन रिपीट सफल करने और रिवाज बदलने का दावा कर रही है, लेकिन बागियों को मनाने में पसीने छूट रहे हैं. (Rebels leaders in BJP) (Rebels Leaders in Congress)
ताजा मामला कुल्लू के राजघराने से जुड़े बड़े नेता महेश्वर सिंह की नाराजगी का है. महेश्वर सिंह को पहले कुल्लू से टिकट दिया गया, लेकिन बाद में टिकट काट दिया गया. अब वे आजाद उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरने के साथ ही 27 अक्टूबर को आगामी रणनीति तैयार करेंगे. बंजार से महेश्वर सिंह के बेटे हितेश्वर सिंह खफा हैं. (BJP Mission Repeat in Himachal) (Himachal Assembly Elections 2022)
खैर, प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा की बात करें तो यहां से भाजपा को फतेहपुर में बगावत का सामना करना पड़ रहा है. फतेहपुर से पार्टी ने राकेश पठानिया को टिकट दिया है. इससे कृपाल परमार नाराज हैं. हालांकि यहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ज्वाली से नाराज अर्जुन सिंह को मना लिया है. कांगड़ा जिले में कांग्रेस के लिए भी मुसीबतें कम नहीं हैं. यहां सुलह से कांग्रेस टिकट न मिलने पर जगजीवन पाल नाराज हैं. बैजनाथ से रविता भारद्वाज खफा हैं. यहां से भाजपा ने मुलखराज प्रेमी को टिकट दिया है. (Rebels Leaders of bjp And Congress) (Himachal BJP Candidates List 2022 )
जयसिंहपुर से सुशील कौल कांग्रेस से टिकट न मिलने पर नाराज हो गए हैं. यहां से पार्टी ने यादवेंद्र गोमा को प्रत्याशी बनाया है. शाहपुर में पंकू कांगड़िया भाजपा का टिकट चाहते थे, लेकिन यहां फिर से सरवीण चौधरी को ही टिकट दिया गया है. धर्मशाला से भाजपा के टिकट चाहने वाले विपिन नेहरिया और अनिल चौधरी नाराज हैं. कांगड़ा से भाजपा ने पवन काजल को टिकट दिया है. वे कांग्रेस छोड़कर आए थे. इससे कुलभाष चौधरी नाराज हो गए हैं. इंदौरा सीट से मनोहर धीमान नाराज होकर आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे. यहां से रीता धीमान को टिकट दिया गया है. ऊना जिले की चिंतपूर्णी सीट से कुलदीप कुमार खफा हैं तो पूर्व विधायक राकेश कालिया भाजपा में शामिल हो गए. (Himachal Congress Candidates List 2022)
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला की बात करें तो यहां मंडी सदर सीट पर भाजपा के युवा नेता प्रवीण शर्मा ने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरकर पार्टी को सकते में ला दिया है. प्रवीण शर्मा निरंतर उपेक्षा से नाराज थे और इस बार भी मंडी सीट से अनिल शर्मा को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया तो उनके सब्र का बांध टूट गया. प्रवीण शर्मा के अलावा महेंद्र सिंह ठाकुर की बेटी वंदना गुलेरिया भी नाराज हैं. महेंद्र सिंह के बेटे रजत ठाकुर को टिकट मिलने से वंदना ने बगावती तेवर अपना लिए. (political equation in Himachal Assembly Elections)
किन्नौर में भाजपा ने सूरत नेगी को प्रत्याशी बनाया तो पूर्व विधायक तेजवंत नेगी नाराज हो गए. सोलन जिले की नालागढ़ सीट से भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए लखविंद्र सिंह राणा को टिकट दिया तो पूर्व विधायक केएल ठाकुर नाराज हो गए. इसी तरह अर्की से कांग्रेस की टिकट सिटिंग एमएलए संजय अवस्थी को मिली तो यहां राजेंद्र ठाकुर ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया.
इतना ही नहीं, बड़सर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से ताल्लुक रखने वाले संजीव शर्मा ने आजाद प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. संजीव शर्मा भाजपा के दिवंगत नेता राकेश शर्मा बबली के बड़े भाई हैं. उम्मीद जताई जा रही थी कि इस बार भाजपा राकेश शर्मा बबली के परिवार के किसी सदस्य को चुनावी मैदान में उतारेगी, लेकिन एक बार फिर विधायक भाजपा जिला अध्यक्ष बलदेव शर्मा के परिवार पर ही पार्टी ने भरोसा जताया है. ऐसे में संजीव शर्मा ने भी ताल ठोक दी है. वहीं, ढटवाल क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले भाजपा के लोगों ने बगावत कर दी है. संजीव शर्मा के पर्चा भरने के साथ ही यहां पर भाजपा की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं.(Sanjeev Sharma filed nomination) (Independent Candidate Sanjeev Sharma From Barsar)
इसी तरह शिमला जिले की चौपाल सीट से कांग्रेस ने पार्टी महासचिव रजनीश किमटा को टिकट दिया है. यहां से पूर्व विधायक सुभाष मंगलेट बागी हो गए हैं. वे पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. मंगलेट निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस के एक और बड़े नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष जीआर मुसाफिर को टिकट नहीं दिया गया तो उनके तेवर भी तीखे हो गए. मुसाफिर निर्दलीय लड़ेंगे.
ठियोग से भाजपा के पूर्व विधायक स्व. राकेश वर्मा की पत्नी इंदु वर्मा को पार्टी में शामिल करने के बाद जब टिकट नहीं दिया गया तो उन्होंने आजाद उम्मीदवार के रूप में पर्चा भर दिया. अभी नामांकन वापस लेने के लिए कुछ समय है और दोनों दलों ने बड़े नेताओं को रूठे हुए प्रत्याशी को मनाने का जिम्मा दिया है. देखना है कि 29 तारीख तक कितने रूठे हुए मानते हैं.
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