शिमला: कोरोना को लेकर लगाए गए कर्फ्यू के चलते काम काज ठप पड़ा है. ऐसे में गरीब लोगों को राशन उपलब्ध करवाने के लिए कई संस्थाएं आगे आ रही हैं. वहीं, शिमला के बंदरों को खाना तक नसीब नहीं हो रहा है. ऐसे में कारोबारी रामपाल हर रोज इन बंदरों को खाना देने के लिए जाखू पहुंच रहे हैं.
शिमला के प्रसिद्ध मंदिर जाखू में बंदरों को दर्शनों के लिए आने वाले लोगों से प्रसाद मिलता था, लेकिन कोरोना के चलते सभी धार्मिक स्थल बंद पड़े हैं. इसके कारण इन बेजुबानों को खाने के लिए नहीं मिल रहा है, जिसके चलते अब बंदर गुस्सैल हो रहै हैं और लोगों पर झपट रहे हैं.
वहीं, अब कई लोग इन बंदरों को जाखू में रोजाना खाना देने का काम कर रहे हैं. शिमला के कारोबारी रामपाल हर रोज बंदरों के लिए फल लेकर रोज जाखू पहुंचते हैं और सैकड़ों बंदरों का पेट भर रहे हैं.
कारोबारी रामपाल का कहना है कि पहले मंदिर में बंदरों को खाने के लिए मिल जाता था, लेकिन मंदिर कोरोना के चलते बंद है. इसके चलते लोग भी नहीं आ रहे हैं. ऐसे में बंदर भूखे न रहे इसके लिए हर रोज कुछ न कुछ खाने के लिए लोग लाते हैं. उन्होंने कहा कि खाना न मिलने से अब ये बंदर भी गुस्सैल हो गए हैं.
बता दें कि शिमला में दो हजार के करीब बंदर है. ज्यादातर बंदर जाखू मंदिर के आसपास रहते हैं. इन बंदरों को लोग खाने के लिए कुछ न कुछ देते थे, लेकिन कोरोना के चलते इन बंदरो को खाना नहीं मिल रहा था. वहीं, अब लोग इन बंदरों का खाना देने के लिए जाखू पहुंच रहे हैं.
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