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सवालों के घेरे में 3000 ऑक्सीमीटर खरीद मामला, स्वास्थ्य मंत्री बोले: गंभीरता से होगी जांच

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Published : Oct 14, 2020, 10:48 PM IST

Updated : Oct 14, 2020, 10:55 PM IST

कोरोना संकट काल में स्वास्थ्य विभाग में हुई 3000 पल्स ऑक्सीमीटर की खरीद सवालों के घेरे में आ गई है. सभी नियमों को दरकिनार करके तीन गुना ज्यादा कीमत पर ऑक्सीमीटर की खरीद की गई है.

health dept
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शिमला: प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है. इस बार मरीजों में जांची जाने वाली ऑक्सीमीटर सवालों के घेरे में आ गयी है. कोरोना संकट काल में स्वास्थ्य विभाग में हुई 3000 पल्स ऑक्सीमीटर की खरीद सवालों के घेरे में आ गई है. सभी नियमों को दरकिनार करके तीन गुना ज्यादा कीमत पर ऑक्सीमीटर की खरीद की गई है.

यहां खरीद प्रकिया को लेकर वित्त विभाग के आदेश तक को दरकिनार कर दिया गया है. यह खरीद सीपीडब्ल्यूडी के माध्यम से हुई हा, लेकिन सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर जैम पोर्टल, ई-टेंडर और एचएलएल के माध्यम से खरीदारी क्यों नहीं की गई. सरकार को वित्त विभाग के क्लीयर कट आदेश हैं कि सरकारी खरीद जैम पोर्टल से की जाए. जो कि भारत सरकार की ऑनलाईन ई-मार्केटिंग की वेबसाइट है.

आगे ये आदेश है कि जो चीज इस पोर्टल से नहीं मिलती है, उसे ई-टेंडर से खरीदा जाए. भारत सरकार का उपक्रम एचएलएल भी है, जो कि अस्पतालों से संबंधित वस्तुएं और मशीनरी को उपलबध करवाता है. जहां तक स्वास्थ्य विभाग की बात है तो पल्स ऑक्सीमीटर की 88.50 लाख की खरीदारी हर ऑक्सीमिटर 2950 रुपए के हिसाब से सीपीडब्ल्यूडी के माध्यम से हुई, जबकि मेडीकल डिवॉइस होने के नाते सीपीडब्ल्यूडी का इससे कोई भी संबंध नहीं था और ना ही उनके पास इसकी जांच परख के कोई विशेषज्ञ है ना ही सीपीडब्ल्यू पहले कोई इस तरह की खरीदारी करता है.

बजारों में 500 से लेकर 2500 तक के ऑक्सीमीटर हैं. यह भी बात मान्य है कि कोई भी खरीद करने से पहले रिक्वायरमेंट जरूरी है. 88.50 लाख पल्स ऑक्सीमीटर खरीद की रिक्वारमेंट कहां से आई जब पल्स ऑक्सीमीटर की जैम पोर्टल से तलाश की गई तो यह ऑक्सीमीटर जैम पोर्टल में भी उपलबध है. अगर स्वास्थ्य विभाग खुद टेंडर नहीं कर पाया तो भारत सरकार के उपक्रम एचएलएल के माध्यम से खरीदारी क्यों नहीं की गई. सामान्य स्तर पर कोई भी अधिकारी वित्त विभाग के आदेशों की अवहेलना नहीं कर सकता. फिर ये नियम किसने दरकिनार किए हैं. पहले भी स्वास्थ्य विभाग में सेनिटाइजर सहित कई घोटाले हुए हैं.

अधिकरियों ने मूल्य की प्रासंगिकता को ध्यान में क्यों नहीं रखा?

ऑक्सीमीटर खरीद प्रक्रिया में मूल्य की प्रासंगिकता का भी ध्यान नहीं रखा गया है. जब सीपीडब्ल्यू के मूल्य निर्धारित हुए उस समय डायरेक्टर हेल्थ सर्विस के सभी ज्वाइंट, डिप्टी और स्पेशल सेक्रेटरी हेल्थ भी एक एमबीबीएस और एमडी स्तर के अधिकारी इन सभी ने ज्यादा मूल्य की प्रासंगिकता क्यों नहीं देखी, जबकि मूल्य पर खरीद होती है तो पहले रेट का पता किया जाता है. उसे प्रासंगिक्ता मूल्य तय करता है.

क्या है पल्स ऑक्सीमीटर?

कोरोना के मामलों में यह काफी मददगार है. यह डिवाइस आपके खून में ऑक्सीजन के स्तर को मापने के काम आती है. यह डिवाइस शरीर में होने वाले छोटे से छोटे अंतर का भी पता लगा सकती है. इस डिवाइस से यह पता लगता है कि आपका दिल कितने अच्छे से काम कर रहा है. आप सभी को पता है कि दिल पूरे शरीर में ऑक्सीजन फ्लो का काम करता है. इससे यह भी मालूम होता है कि आपका दिल यह काम कितने अच्छे से कर रहा है. इससे यह भी पता लगता है कि फेफड़ों के लिए दी गई दवाई कितने अच्छे से काम कर रही है या यह पता लगता है कि क्या किसी को सांस लेने के लिए मदद की आवश्यकता है? यानी कि सांस से जुड़ी अलग-अलग जानकारियों के लिए यह डिवाइस काम आती है.

गंभीरता से होगी मामले की जांच

स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने कहा कि यह मामला सरकार के ध्यान में आया है. इस मामले को लेकर गंभीरता से जांच की जाएगी. पहले मामले की जांच होगी अगर उसमें कोई दोषी पाया जाएगा तो उस पर नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल इस मामले में इतना ही बताया जा सकता है.

ये भी पढे़ं - JBT के 17 पदों के लिए इस दिन होगी काउंसलिंग, अभ्यर्थियों को लाने होंगे ये दस्तावेज

शिमला: प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है. इस बार मरीजों में जांची जाने वाली ऑक्सीमीटर सवालों के घेरे में आ गयी है. कोरोना संकट काल में स्वास्थ्य विभाग में हुई 3000 पल्स ऑक्सीमीटर की खरीद सवालों के घेरे में आ गई है. सभी नियमों को दरकिनार करके तीन गुना ज्यादा कीमत पर ऑक्सीमीटर की खरीद की गई है.

यहां खरीद प्रकिया को लेकर वित्त विभाग के आदेश तक को दरकिनार कर दिया गया है. यह खरीद सीपीडब्ल्यूडी के माध्यम से हुई हा, लेकिन सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर जैम पोर्टल, ई-टेंडर और एचएलएल के माध्यम से खरीदारी क्यों नहीं की गई. सरकार को वित्त विभाग के क्लीयर कट आदेश हैं कि सरकारी खरीद जैम पोर्टल से की जाए. जो कि भारत सरकार की ऑनलाईन ई-मार्केटिंग की वेबसाइट है.

आगे ये आदेश है कि जो चीज इस पोर्टल से नहीं मिलती है, उसे ई-टेंडर से खरीदा जाए. भारत सरकार का उपक्रम एचएलएल भी है, जो कि अस्पतालों से संबंधित वस्तुएं और मशीनरी को उपलबध करवाता है. जहां तक स्वास्थ्य विभाग की बात है तो पल्स ऑक्सीमीटर की 88.50 लाख की खरीदारी हर ऑक्सीमिटर 2950 रुपए के हिसाब से सीपीडब्ल्यूडी के माध्यम से हुई, जबकि मेडीकल डिवॉइस होने के नाते सीपीडब्ल्यूडी का इससे कोई भी संबंध नहीं था और ना ही उनके पास इसकी जांच परख के कोई विशेषज्ञ है ना ही सीपीडब्ल्यू पहले कोई इस तरह की खरीदारी करता है.

बजारों में 500 से लेकर 2500 तक के ऑक्सीमीटर हैं. यह भी बात मान्य है कि कोई भी खरीद करने से पहले रिक्वायरमेंट जरूरी है. 88.50 लाख पल्स ऑक्सीमीटर खरीद की रिक्वारमेंट कहां से आई जब पल्स ऑक्सीमीटर की जैम पोर्टल से तलाश की गई तो यह ऑक्सीमीटर जैम पोर्टल में भी उपलबध है. अगर स्वास्थ्य विभाग खुद टेंडर नहीं कर पाया तो भारत सरकार के उपक्रम एचएलएल के माध्यम से खरीदारी क्यों नहीं की गई. सामान्य स्तर पर कोई भी अधिकारी वित्त विभाग के आदेशों की अवहेलना नहीं कर सकता. फिर ये नियम किसने दरकिनार किए हैं. पहले भी स्वास्थ्य विभाग में सेनिटाइजर सहित कई घोटाले हुए हैं.

अधिकरियों ने मूल्य की प्रासंगिकता को ध्यान में क्यों नहीं रखा?

ऑक्सीमीटर खरीद प्रक्रिया में मूल्य की प्रासंगिकता का भी ध्यान नहीं रखा गया है. जब सीपीडब्ल्यू के मूल्य निर्धारित हुए उस समय डायरेक्टर हेल्थ सर्विस के सभी ज्वाइंट, डिप्टी और स्पेशल सेक्रेटरी हेल्थ भी एक एमबीबीएस और एमडी स्तर के अधिकारी इन सभी ने ज्यादा मूल्य की प्रासंगिकता क्यों नहीं देखी, जबकि मूल्य पर खरीद होती है तो पहले रेट का पता किया जाता है. उसे प्रासंगिक्ता मूल्य तय करता है.

क्या है पल्स ऑक्सीमीटर?

कोरोना के मामलों में यह काफी मददगार है. यह डिवाइस आपके खून में ऑक्सीजन के स्तर को मापने के काम आती है. यह डिवाइस शरीर में होने वाले छोटे से छोटे अंतर का भी पता लगा सकती है. इस डिवाइस से यह पता लगता है कि आपका दिल कितने अच्छे से काम कर रहा है. आप सभी को पता है कि दिल पूरे शरीर में ऑक्सीजन फ्लो का काम करता है. इससे यह भी मालूम होता है कि आपका दिल यह काम कितने अच्छे से कर रहा है. इससे यह भी पता लगता है कि फेफड़ों के लिए दी गई दवाई कितने अच्छे से काम कर रही है या यह पता लगता है कि क्या किसी को सांस लेने के लिए मदद की आवश्यकता है? यानी कि सांस से जुड़ी अलग-अलग जानकारियों के लिए यह डिवाइस काम आती है.

गंभीरता से होगी मामले की जांच

स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने कहा कि यह मामला सरकार के ध्यान में आया है. इस मामले को लेकर गंभीरता से जांच की जाएगी. पहले मामले की जांच होगी अगर उसमें कोई दोषी पाया जाएगा तो उस पर नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल इस मामले में इतना ही बताया जा सकता है.

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Last Updated : Oct 14, 2020, 10:55 PM IST
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