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शिमला में रह रहे प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें बढ़ी, खाने के लिए नहीं मिल रहा खाना

कोरोना वायरस के चलते कर्फ्यू में प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें ओर भी बढ़ गई है. कोरोना के चलते कर्फ्यू में मजदूरों को दो बक्त की रेटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है. मजदूरों के पास दो वक्त की रोटी के लिए भा पैसे नहीं है. मजदूरों की सरकार से एक ही मांग है कि उन्हें कर्फ्यू पास बना कर अंबाला तक छोड़ दिया जाए, जिससे वह वहां से पैदल ही अपने घर बिहार के लिए चले जाएंगे.

migrant laborers in shimla
शिमला में रह रहे प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें.
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Published : Mar 29, 2020, 2:37 PM IST

शिमला: कोरोना वायरस के चलते लोग अपने घरों में ही कैद रहने को मजबूर है. लॉक डाउन और कर्फ्यू के कारण लोग अपने घरों से बाहर नहीं आ रहे है. वहीं, ऐसे में प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें ओर भी बढ़ गई है. यह लोग अपने घरों से दूर कामकाज के लिए आए है,लेकिन कोरोना के चलते कर्फ्यू में मजदूरों को दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है. मजदूरों के पास दो वक्त की रोटी के लिए भा पैसे नहीं है. ऐसे में यह मजदूर अपने घर वापस जाने को मजबूर हो रहे है.

शिमला में ध्याड़ी पर काम करने वाले 15 के करीब प्रवासी मजदूर (समस्तीपुर/बिहार) अपना गुजर बसर कर रहे थे. ऐसे में इन मजदूरों की सरकार से एक ही मांग है कि उन्हें कर्फ्यू पास बना कर अंबाला तक छोड़ दिया जाए, जिससे वह वहां से अपने घर बिहार पैदल ही चले जाएंगे. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि वह अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए शिमला में रह रहे थे, लेकिन कोरोना की वजह से कामकाज बंद हो गया है. उनका कहना है कि प्रशासन की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं दी गई है और उन्हें किसी की तरफ से राशन पानी भी मुहैया नहीं करवाया गया है. इसके चलते उन्हें यहां रहने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.
वहीं, शिमला में कई सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं जरूरतमंद व प्रवासी मजदूरों को खाना जुटाने में लगे हुए हैं. यहां तक कि पुलिस प्रशासन भी अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रहा है कि प्रवासी मजदूरों तक खाना पहुंचाया जाए, जिससे इस संकट की घड़ी में भूखे ना रहें. वहीं, राजधानी में प्रवासी मजदूरों की संख्या इतनी ज्यादा है कि सभी तक खाना नहीं पहुंच पा रहा हैं और इसके चलते एक ओर कोरोना का खतरा सर पर मंडरा रहा है. वहीं, दूसरी ओर मजदूर लोगों को इस संकट में खाना तक नसीब नहीं हो पा रहा है. इस कारण कई प्रवासी मजदूर कर्फ्यू के बावजूद भी सड़कों पर पैदल ही अपने घरों की ओर निकल गए हैं.

ये भी पढ़ें: डलहौजी में भूस्खलन, बिना जेसीबी मशीन के बहाल किया मार्ग

शिमला: कोरोना वायरस के चलते लोग अपने घरों में ही कैद रहने को मजबूर है. लॉक डाउन और कर्फ्यू के कारण लोग अपने घरों से बाहर नहीं आ रहे है. वहीं, ऐसे में प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें ओर भी बढ़ गई है. यह लोग अपने घरों से दूर कामकाज के लिए आए है,लेकिन कोरोना के चलते कर्फ्यू में मजदूरों को दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है. मजदूरों के पास दो वक्त की रोटी के लिए भा पैसे नहीं है. ऐसे में यह मजदूर अपने घर वापस जाने को मजबूर हो रहे है.

शिमला में ध्याड़ी पर काम करने वाले 15 के करीब प्रवासी मजदूर (समस्तीपुर/बिहार) अपना गुजर बसर कर रहे थे. ऐसे में इन मजदूरों की सरकार से एक ही मांग है कि उन्हें कर्फ्यू पास बना कर अंबाला तक छोड़ दिया जाए, जिससे वह वहां से अपने घर बिहार पैदल ही चले जाएंगे. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि वह अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए शिमला में रह रहे थे, लेकिन कोरोना की वजह से कामकाज बंद हो गया है. उनका कहना है कि प्रशासन की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं दी गई है और उन्हें किसी की तरफ से राशन पानी भी मुहैया नहीं करवाया गया है. इसके चलते उन्हें यहां रहने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.
वहीं, शिमला में कई सामाजिक और धार्मिक संस्थाएं जरूरतमंद व प्रवासी मजदूरों को खाना जुटाने में लगे हुए हैं. यहां तक कि पुलिस प्रशासन भी अपनी ओर से पूरा प्रयास कर रहा है कि प्रवासी मजदूरों तक खाना पहुंचाया जाए, जिससे इस संकट की घड़ी में भूखे ना रहें. वहीं, राजधानी में प्रवासी मजदूरों की संख्या इतनी ज्यादा है कि सभी तक खाना नहीं पहुंच पा रहा हैं और इसके चलते एक ओर कोरोना का खतरा सर पर मंडरा रहा है. वहीं, दूसरी ओर मजदूर लोगों को इस संकट में खाना तक नसीब नहीं हो पा रहा है. इस कारण कई प्रवासी मजदूर कर्फ्यू के बावजूद भी सड़कों पर पैदल ही अपने घरों की ओर निकल गए हैं.

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