शिमला: एक तरफ जहां कोरोना महामारी के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं वहीं, इस दौरान प्रदेश में गर्भवती महिलाएं अस्पतालों में अपने रूटीन चेकअप के लिए जा रही हैं. प्रदेश के एकमात्र राज्य शिशु मातृ अस्पताल में कोविड-19 की वजह से ना तो रोजाना होने वाली ओपीडी का आंकड़ा कम हुआ है, न ही यहां रोजाना होने वाली डिलीवरी के आंकड़े में कोई कमी आई है.
कोरोना की वजह से जब लॉकडाउन की स्थिति प्रदेश में थी, उसके बावजूद भी इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी के ग्राफ में कोई कमी नहीं देखी गई. महिलाएं अभी भी अस्पतालों में ही अपनी डिलीवरी के लिए आ रही हैं और अस्पताल में डॉक्टर की निगरानी में ही बच्चों का जन्म हो रहा है.
प्रदेश के राज्यस्तरीय मातृ शिशु अस्पताल में भी रोजाना 20 महिलाओं की डिलीवरी हो रही हैं. महिलाएं अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा जागरूक हो गई हैं और वे किसी भी तरह का रिस्क घर पर बच्चे के जन्म को लेकर नहीं लेना चाहतीं. वहीं, अस्पताल में महिलाओं की आवाजाही को देखते हुए केएनएच में विशेष प्रावधान किए गए हैं. यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के साथ ही महिलाओं की थर्मल स्केनिंग भी की जा रही है. इस प्रकिया के पूरा होने के बाद ही उन्हें अस्पताल की ओपीडी में एंट्री दी जा रही है.
केएनएच की एमएस डॉ. अंबिका चौहान ने बताया कि कोविड का कोई भी असर इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी पर नहीं हुआ है. अस्पताल में रोजाना 20 के करीब डिलीवरीज महिलाओं की होती है. हालांकि दिन दयाल उपाध्याय अस्पताल के कोविड सेंटर बनाने के बाद वहां के केस भी यहीं केएनएच में ही डील किए जा रहे हैं. ऐसे में आंकड़ा घटने के बजाए बढ़ गया है.
अस्पताल में किए गए हैं खास इस्तेमाल
केएनएच में महिलाओं के लिए पूरी व्यवस्था की गई है, इसके लिए अस्पताल में ट्राइस वार्ड भी बनाया गया है जहां कोरोना के संदिग्ध या रेड जोन से केएनएच में इलाज के लिए आई महिलाओं को रखा जा सके. इसके साथ ही आइसोलेशन वार्ड भी बनाया गया है. हालांकि अभी तक ऐसा कोई भी केस अभी तक राज्य मातृ शिशु अस्पताल में नहीं आया है.
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