शिमला: कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने दुनिया भर में कोहराम मचा कर रखा हुआ है. देशभर में लगे लॉकडाउन की वजह से लोग अपने घरों में रहने को मजबूर हो गए हैं. सभी छोटे बड़े कारखाने बंद हैं. अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सभी काम धंधे चोपट हो गए हैं, लेकिन इस बीच प्रकृति एक बार फिर सजीव हो उठी है.
हिमाचल में लॉकडाउन और कर्फ्यू से प्रदूषण के स्तर में कमी देखने को मिली है. प्रदेश में हर शहर में प्रदूषण का स्तर इस दौरान कम हुआ है. गाड़ियों और उद्योगों से निकलने वाला जहरीला धुएं पर लॉकडाउन के चलते ब्रेक लगी हुई थी.
बता दें कि राजधानी शिमला में लॉकडाउन से पहले PM 10 का स्तर 43.1 था, जो लॉकडाउन एक के दौरान 34.5, लॉकडाउन दो के दौरान 31.1 और लॉकडाउन 3 में 36.8 पहुंच गया. गौर रहे कि शिमला में लॉकडाउन दो के दौरान PM 10 में भारी गिरावट देखने को मिली, लेकिन लॉकडाउन तीन में इसमें कुछ इजाफा हुआ. जिसका कारण लॉकडाउन में मिली छूट भी हो सकता है.
पर्यटन नगरी मनाली में लॉकडाउन से पहले जिस पीएम 10 का स्तर 41 था, वो लॉकडाउन एक के दौरान 14.9 और लॉकडाउन दो के दौरान 9.1 पहुंच गया. जबकि लॉकडाउन 3 में कर्फ्यू में राहत मिलते ही ये स्तर 15.8 पहुंच गया था.
इन कारणों से प्रदूषित होती है हवा
गौर रहे कि हवा में प्रदूषण का कारण Co2, Nox, पीएम 2.5 और पीएम 10 होता है. यह सभी वातावरण में ईंधन और कोयले के जलने से फैलते है. ये सब ऐसिड रेन की वजह भी बनते हैं और पर्यवरण को प्रदूषित करने में बड़ी भूमिका अदा करते हैं. कुल मिला कर ये वो मूल कारण है जो पर्यवरण को प्रदूषित करते हैं.
वहीं, हवा में मौजूद खतरनाक कण सांसों के जरिए हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. प्रदूषण के इन कणों को पीएम 2.5 और पीएम10 कहा जाता है. पीएम 2.5 एक बाल के डायामीटर के बराबर होता है. इसीलिए इसे आंखों से नहीं देखा जा सकता. जबकि पीएम10 धूल के कणों के बराबर होता है.
हिमाचल में शिमला और मनाली की तरह बाकी शहरों में भी पीएम स्तर में लॉकडाउन दो के दौरान कमी देखने को मिली है. पांवटा साहिब, सुंदरनगर, बद्दी में लॉकडाउन से पहले और बाद में पीएम 10 के स्तर में भारी अंदर देखने को मिला.
नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा में भी बढोतरी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार हवा की गुणवत्ता जांच में रिस्पायरेबल सस्पेंडिट पार्टिकुलर मैटर (आरएसपीएम) की मात्रा और नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा में भी बढोतरी होने लगी है. आने वाले दिनों में बसों की आवाजाही से इसमें और भी बढ़ोतरी होने वाली है.
हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अद्वितीय नेगी ने कहा कि कोरोना, लॉकडाउन से पहले हिमाचल में प्रदूषण का स्तर 70 फीसदी था, लेकिन लॉकडाउन के पहले फेस में जहां कुछ क्षेत्रों में 65 फीसदी तक कि गिरावट आई है वहीं, प्रदेश स्तर पर 50 फीसदी तक प्रदूषण में गिरावट दर्ज की गई.
इन आंकड़ों से एक बात तो साफ जाहिर है कि इंसानी गतिविधियों से प्रदूषण के स्तर में भारी बढ़ोतरी हो रही है. जिसपर लॉकडाउन ने कुछ समय के लिए ब्रेक लगा दी, लेकिन सरकार से कर्फ्यू और लॉकडाउन में छूट मिलते ही उद्योगों और गाड़ियों के धुएं ने एक बार फिर हवा को प्रदूषित करने का काम शुरू कर दिया है.
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