शिमला: हिमाचल विधानसभा चुनाव में इस बार शिमला शहरी विधानसभा की सीट भी हॉट सीट है. इस बार कांग्रेस, बीजेपी, माकपा और 'आप' चारों ही पार्टियों में यहां से जीत हासिल करने की होड़ मची है. शिमला शहरी सीट पर काफी समय तक बीजेपी का कब्जा रहा है. ऐसा माना जाता है कि जो भी यहां से चुनाव जीतता है, वह आने वाले समय में मंत्री पद तक जाता है. साल 2007 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से सुरेश भारद्वाज को पूर्ण बहुमत से जीत हासिल हुई और अब सुरेश भारद्वाज हिमाचल की जयराम सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. (Shimla Urban Assembly seat) (BJP candidate Sanjay Sood)
सात उम्मीदवार मैदान में: शिमला शहरी सीट से अबकी बार सात उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, यहां से कांग्रेस से हरीश जनारथा, बीजेपी से संजय सूद, माकपा से टिकेंद्र पंवर, आप से चमन राकेश, बीएसपी के राकेश कुमार गिल, राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी से कल्याण सिंह और निर्दलीय अभिषेक बारोवारिया भी जूनाती मैदान में हैं. हालांकि, यहां पर मुकबला तीन दलों कांग्रेस, भाजपा और माकपा के बीच ही माना जा रहा है. (himachal assembly election 2022) (Congress candidate Harish Janartha)
शिमला विधानसभा सीट पर भाजपा ने नए उम्मीदवार संजय सूद को टिकट दिया है, जो कि पार्टी में कोषाध्यक्ष रहे हैं और नगर निगम के एक बार निवार्चित और एक बार मनोनीत पार्षद रहे हैं. तो वहीं, कांग्रेस ने यहां से पर्यटन निगम के पूर्व उपाध्यक्ष एवं पूर्व डिप्टी मेयर हरीश जनारथा को चुनावी मैदान में उतारा है. जनारथा यहां से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं. साल 2012 में हरीश जनारथा यहां से पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, तब वह सुरेश भारद्वाज से मात्र 628 वोटों से हार गए थे.
साल 2017 में कांग्रेस ने पूर्व विधायक हरभजन सिंह भज्जी को टिकट दिया, तो जनारथा बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े. इन चुनाव में सुरेश भारद्वाज को 14,012 वोट मिले और 12109 वोटों के साथ हरीश जनारथा दूसरे स्थान पर रहे थे. हालांकि, हरभजन सिंह भज्जी को मात्र 2680 वोट ही मिल पाए थे.
माकपा के आने से सियासी घमासान: माकपा ने अबकी बार यहां से नए प्रत्याशी के तौर पर पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर को चुनावी मैदान में उतारा है. शिमला में माकपा का भी अच्छा खासा वोट बैंक है. मजदूर वर्ग, छात्र और युवाओं में इस पार्टी की पैठ है. यही वजह कि 1993 में यहां से राकेश सिंघा जीते हैं. यही नहीं इसके बाद भी कई बार माकपा ने यहां पर कड़ी टक्कर दी है. साल 2003 में माकपा के संजय चौहान यहां दूसरे स्थान पर रहे थे. तब कांग्रेस के हरभजन सिंह भज्जी 12,060 मत लेकर जीते थे, जबकि जबकि माकपा के संजय चौहान 9,949 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे.
साल, 2007 के विधानसभा चुनाव में भी माकपा दूसरे स्थान पर रही थी. तब 12,443 वोटों के साथ यहां से भाजपा के सुरेश भारद्वाज विजयी रहे, जबकि 9855 वोटों के साथ माकपा के संजय चौहान दूसरे स्थान पर रहे. अब फिर से यहां से माकपा ने अपना उम्मीदवार दिया है, जिससे यह मुकाबला रोचक हो गया है. ऐसे में यहां इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है.
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अब तक चुनावों में सबसे ज्यादा बार बीजेपी जीती: पूर्ण राजत्व का दर्जा 1971 को मिलने के बाद शिमला में कुल 12 विधानसभा चुनाव हुए हैं. इन चुनावों में से 6 में बीजेपी विजय रही हैं, जबकि तीन बार कांग्रेस, सीपीएम एक बार और एक बार भारतीय जनसंघ और एक बार जनता पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं. विधानसभा चुनाव 1967, 1972, 1977 और 1982 में पहले जनता दल और फिर भाजपा से दौलत राम चौहान ने लगातार चुनाव जीते. हालांकि, 1985 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी हरभजन सिंह भज्जी ने जीत हासिल की.
इसके बाद 1990 में फिर से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुरेश भारद्वाज ने जीत हासिल की. 1993 के विधानसभा चुनावों में सीपीआई(एम) से राकेश सिंघा, 1996 में कांग्रेस से आदर्श सूद, 1998 में भाजपा की टिकट पर नरेंद्र बरागटा ने जीत हासिल की. 2003 में कांग्रेस के हरभजन सिंह भज्जी और उसके बाद से सुरेश भारद्वाज लगातार जीत हासिल कर रहे हैं.
2007 से लगातार भाजपा जीत रही है शिमला शहरी सीट: शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र पहले शिमला के नाम से ही जाना था. परिसीमन के बाद इसको शिमला शहरी और शिमला ग्रामीण दो क्षेत्रों में बांट दिया गया. शिमला शहरी में नगर निगम के शिमला के पुराने 18 वार्ड शामिल हैं. 2007 से लगातार इस सीट पर भाजपा विजय हो रही है. भाजपा के वर्तमान विधायक एवं शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज 2007 से यहां लगातार तीन बार जीत चुके हैं. कांग्रेस की आपसी लड़ाई भी भाजपा की जीत को यहां आसान बनाती रही है. अबकी बार यहां से सुरेश भारद्वाज कसुम्पटी क्षेत्र चले गए हैं और वहां से चुनाव लड़ रहे हैं. इससे राजनीतिक समीकरण भी यहां बदले हैं.
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48,608 मतदाता करेंगे मतदान: शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र में कुल 48,608 मतदाता हैं, जिनमें 25,402 पुरूष और 23,206 महिला मतदाता हैं. शिमला शहर में रहने वाले मतदाताओं में एक बड़ा वर्ग कर्मचारियों का है, जो कि कुल वोटरों का करीब एक तिहाई है. तकरीबन इतनी ही संख्या शहर में कारोबार से जुड़े लोगों की हैं, जिनमें होटल, रेस्टोरेंट, शोरूम, दुकानें चलाने वाले बड़े कारोबारियों के साथ-साथ रेहड़ी फहड़ी लगाने वाला तबका भी शामिल है.
ऊपरी शिमला के भी लोग बड़ी संख्या में यहां रहते हैं जो कि बागवान तबका है, इसके अलावा छात्रों की भी एक बड़ी तादाद यहां पर हैं. शिमला से कौन विधानसभा जाएगा, ये चारों वर्ग के मतदाता इसको निर्धारित करने में अहम भूमिका रखते हैं.
शिमला शहरी क्षेत्र के अहम मुद्दे: वर्षों से राजधानी शिमला में ट्रैफिक जाम और पेयजल किल्लत ही सबसे बड़े चुनावी मुद्दे बने हुए हैं. कोई भी सरकार इन समस्याओं का समाधान नहीं निकाल पाई है. अभी तक लोगों को जहां तीसरे से चौथे दिन पानी मिल रहा था, वहीं इसकी संभावना आने वाले दिनों में और कम हो सकती है. शहर में रोजाना पानी की मांग 40-45 एमएलडी है, अगले तीन दिन शहर में यदि सैलानियों की आमद रहती है तो होटलों में पानी के लिए मांग बढ़ जाती है। इस पानी से पूरे शहर की मांग को पूरा करना शिमला जल प्रबंधन निगम के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.