शिमला: लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के साथ ही हिमाचल की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी. इस लोकसभा चुनाव में हिमाचल के कई दिग्गज नेता प्रत्यक्ष रूप से चुनाव में नहीं उतरे, हालांकि चुनाव प्रचार में वरिष्ठ नेताओं ने खूब पसीना बहाया.
छह बार के सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह भी इस लोकसभा चुनाव में नहीं उतरे. पूर्व सीएम ने प्रदेशभर में कांग्रेस का प्रचार किया. अपनी पार्टी के नेताओं पर खुले मंच से दिए बयानों के लिए भी वे सुर्खियों में रहे. उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे चुनाव लड़ेंगे नहीं लड़वाएंगे.
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लोकसभा चुनाव-2019 में भाजपा कांग्रेस दोनों ही दलों के दिग्गज नेताओं ने चुनाव से किनारा कर लिया. भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने चुनावी राजनीति को अलविदा कह दिया है. इस बार उन्होंने अपने शिष्य किशन कपूर को चुनाव में उतारा है और कपूर की जीत का पूरा दरोमदार उन पर ही दिया गया था और कांगड़ा समेत चंबा में शांता कुमार ने जमकर उनके लिए प्रचार किया.
पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने अपने पोते आश्रय शर्मा को कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़वाया. प्रदेश और देश की राजनीति में सुखराम का प्रभाव रहा है. मंडी संसदीय सीट पर भी इनकी पैठ रही है. सुखराम अब बुजुर्ग हो गए हैं और चुनावी राजनीति से पहले से ही अलविदा कह चुके हैं. हालांकि उनके बेटे अनिल शर्मा के बाद अब पोते आश्रय शर्मा भी राजनीति के मैदान में उतरे हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल हमीरपुर सीट से तीन बार सांसद रह चुके हैं, जिसके बाद उनके बेटे हमीरपुर सीट से चुनाव लड़ते आए और तीन बार इस सीट से जीते. धूमल अब लोकसभा चुनाव में प्रत्यक्ष रूप से नहीं उतरते हैं और बेटे अनुराग के प्रचार में इस बार भी फील्ड में काफी एक्टिव रहे.
इस लोकसभा चुनाव में अगर एग्जिट पोल के नतीजे सही साबित होते हैं तो सीएम जयराम ठाकुर का कद बढ़ेगा. इस चुनाव में पहली बार सीएम बने जयराम ठाकुर की साख दांव पर हैं और बीजेपी के पक्ष में नतीजे आने से जयराम ठाकुर की राजनीति पारी में जरूर स्टार लगेंगे.
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भाजपा ने इस बार हिमाचल में स्पष्ट किया था कि संबंधित विधानसभा से मिलने वाली लीड के आधार पर उस क्षेत्र के नेता की परफॉर्मेंस को आंका जाएगा. ऐसे में लोकसभा चुनाव का असर विधानसभा में भी पड़ने वाला है. इस लोकसभा चुनाव के साथ नई पीढ़ी का दौर शुरू होगा.